आदमखोर हो चुके हैं आवारा कुत्ते, सिविल अस्पताल में कुत्तों के काटने के आ रहे बड़ी संख्या में मामले

punjabkesari.in Monday, May 29, 2023 - 12:30 PM (IST)

फगवाड़ा (जलोटा): आवारा कुत्ते, जिन्हें कभी हानिरहित और अनदेखा माना जाता था, अब आधुनिक समाज में दिन-ब-दिन बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं। हाल के वर्षों में कुत्ते के काटने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, जिससे लोगों की सुरक्षा और इन जानवरों के कल्याण के बारे में सवाल उठे हैं?

यदि बात फगवाड़ा की ही की जाए तो यहां पर सरकारी सिविल अस्पताल के एक डाक्टर ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि महीने में 200 से ज्यादा लोग केवल आवारा कुत्तों के काटने का इलाज करवाने आ रहे है। यह आंकड़ा इससे भी कहीं ज्यादा बड़ा है क्योंकि कुछ लोग निजी तौर पर भी यहां के अन्य अस्पतालों में आवारा कुत्ते के काटने का इलाज करवाते हैं। हालात किस हद तक खराब है इसका अंदाजा मात्र इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि यहां की पॉश कालोनियों जिनमें गुरु हरगोबिन्द नगर, चाहल नगर, शहीद भगत सिंह नगर, अर्बन एस्टेट आदि शामिल हैं, सहित घनी आबादी वाले मोहल्लों और सभी इलाको में आवारा कुत्तों की भरमार है। इसके बावजूद न तो नगर निगम को इसकी कोई चिंता है और न ही सरकारी तौर पर ऐसी कोई पहल होती दिखाई दे रही है।

आखिर आवारा कुत्ते क्यों हो रहे आक्रामक

विभिन्न कारक आवारा कुत्तों द्वारा प्रदर्शित आक्रामक व्यवहार में योगदान करते हैं। सबसे पहले, उनके मालिकों द्वारा परित्याग और उपेक्षा के परिणामस्वरूप आक्रामक प्रवृत्तियों का विकास हो सकता है। यह कुत्ते अक्सर सड़कों पर कठिनाइयों को सहन करते हैं, जिससे भय, क्षेत्रीयता और जीवित रहने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। इसके अलावा, उचित समाजीकरण और प्रशिक्षण की अनुपस्थिति समस्या को बढ़ाती है। आवारा कुत्ते मनुष्यों और अन्य जानवरों के प्रति सकारात्मक संबंध स्थापित करने में असफल हो रहे हैं और यहीं इनकी उत्तेजनाओं को उचित प्रतिक्रिया देने की उनकी क्षमता को प्रभावित कर रहा है।

इसके अतिरक्ति, कुछ आवारा कुत्तों ने दुर्व्यवहार या आघात का अनुभव किया हो सकता है, जिससे उनकी आक्रामक प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता है। यह जानवर मनुष्यों को खतरों के रूप में देख सकते हैं और रक्षात्मक या अप्रत्याशित रूप से प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

कुत्ते के काटने के हो सकते हैं बेहद घातक परिणाम

आवारा कुत्ते के काटने के परिणाम गंभीर और दूरगामी हो सकते हैं। पीड़ितों, विशेष रूप से बच्चों को शारीरिक चोटों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें गहरे घाव, संक्रमण और निशान शामिल हैं। ऐसी घटनाओं का भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पर्याप्त हो सकता है, जिससे भय, चिंता और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पी.टी.एस.डी.) हो सकता है। इसके अलावा, कुत्ते के काटने से रेबीज और टैटनस जैसी बीमारियां फैल सकती हैं।

आवारा कुत्ते के खतरे से कैसे निपटे

आवारा कुत्तों की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने और कुत्ते को काटने की घटनाओं को कम करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। इसके तहत निम्नलिखित रणनीतियों को लागू किया जा सकता है।

- जागरूकता और शिक्षा में वृद्धि : जिम्मेदार पालतू स्वामित्व, जानवरों को छोड़ने के जोखिमों और भुगतान/नसबंदी के महत्व के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने से आवारा कुत्तों की आबादी को रोकने में मदद मिल सकती है।

- पशु नियंत्रण उपायों को मजबूत करना : स्थानीय सरकारी अधिकारियों को आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए अधिक कड़े उपायों को लागू करना चाहिए जैसे कि प्रभावी नसबंदी कार्यक्रम, नियमित टीकाकरण अभियान और समर्पित पशु आश्रय आदि।

- देखभाल के लिए प्रोत्साहित करना : बहुत से लोग आवारा कुत्तों और जानवरों के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। ऐसे में इनको सरकारी स्तर पर अधिकारी इनकी पालक देखभाल के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। ऐसे में इन बेसहारा जानवरों को देखभाल के साथ प्यार करने वाले घर मिल सकते हैं।

-उन्नत पशु कल्याण कानून : पशु कल्याण से संबंधित मौजूदा कानूनों को मजबूत करना और पशु परित्याग, क्रूरता और उपेक्षा के लिए सख्त दंड लागू करना निवारक के रूप में कार्य कर सकता है और जिम्मदार पालतू स्वामित्व को बढ़ावा दे सकता है।

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News Editor

Kalash

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