दास्तान-ए-फगवाड़ा रेलवे स्टेशन: न केंद्र सरकार को फ्रिक और न रेलवे प्रशासन का कोई लेना-देना

punjabkesari.in Saturday, May 05, 2018 - 01:00 PM (IST)

फगवाड़ा(जलोटा): दावे हजार और विकास एवं रखरखाव शून्य। यही दास्तां है फगवाड़ा रेलवे स्टेशन की। लोग कहते हैं कि सत्ता बदली, शासन बदले, हुकमरान भी बदले और गुलाम भारत से आजाद भारत भी हो गया लेकिन यदि कुछ नहीं बदला तो वह है पंजाब के दोआबा के गेटवे रेलवे स्टेशन के रूप में जाने जाते फगवाड़ा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर डाले गए शैडों की दशा।

 

जी हां यही सच्चाई है जिसके सदके यहां पर आने वाले हजारों यात्री रोजाना परेशानी के दौर से गुजरने को विवश हैं और यह दौर पूरे वर्षभर जस का तस चलता ही रहता है। ‘पंजाब केसरी’ की टीम ने जब रेलवे स्टेशन फगवाड़ा का दौरा किया तो अनेक लोगों ने दिखाया कि प्लेटफार्म नं.-1 को दर्शाता बोर्ड हवा में टेढ़ा लटका हुआ है। कुछ रेल यात्रियों ने सवाल करके पूछा कि यह ऐसा क्यों है, क्या इसकी कोई खास वजह है? 


प्लेटफार्म बड़े और शैड छोटे
इसी तर्ज पर असंख्य लोगों ने कहा कि रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नं.-1, 2 व 3 पर जो यात्री शैड हैं वे प्लेटफार्म के आकार के लिहाज से बेहद छोटे हैं। कुछ बुजुर्ग लोगों ने बताया कि अंग्रेजों के समयकाल से उक्त यात्री शैडों की रिपेयर व मुरम्मत तो कई बार हुई है लेकिन इसके प्लेटफार्म के आकार के अनुसार विस्तार का मामला गत लंबे समय से ज्यों का त्यों ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। इसके कारण प्रचंड गर्मी के मौसम में रेल यात्रियों को कड़क धूप में खड़े होकर जहां रेलगाड़ी का इंतजार करना पड़ता है तो वहीं बरसात के मौसम में यात्रीगण वर्षा के बीच भीगते हुए ट्रेन में सवार हो पाते हैं।

यही आलम सर्दी में होता है जब कड़ाके की सर्दी में ठंड से ठिठुरते हुए रेल यात्रियों को अपनी ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है। इसी तर्ज पर प्लेटफार्म के आकार के अनुसार रेल यात्रियों के बैठने के लिए व्यवस्था भी कुछ विशेष नहीं है। जारी घटनाक्रम के कारण कई बार तो रेल यात्रियों को मजबूरी में जमीन पर बैठकर ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है। 
प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन को चुनौती देती है स्टेशन की साफ-सफाई 


लोगों ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर साफ-सफाई का भी बुरा हाल है। कई स्थानों पर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं जिनको साफ करने के प्रति किसी को कोई विशेष दिलचस्पी नहीं है। ऐसा तब है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में स्वच्छ भारत अभियान चला रहे हैं। मामले का सबसे दुखद व अफसोसजनक  पहलू यह है कि जिन समस्याओं से रेल यात्री रोजाना 24 घंटे हैरान परेशान हो रहे हैं उसका पता रेलवे के शीर्ष सरकारी अमले को भी है और रेलवे विभाग भी इससे परिचित है। हद तो इस बात की हो चुकी है कि इस संबंधी सारी हकीकत मोदी सरकार को भी पता है।

ऐसा तब हो रहा है जब फगवाड़ा रेलवे जंक्शन पर एक साथ 4 जिलों जिनमें गृह जिला कपूरथला, जिला जालंधर, जिला होशियारपुर व जिला शहीद भगत सिंह नगर शामिल हैं, के रेल यात्रियों की रोज आमद होती है और फगवाड़ा रेलवे स्टेशन को पंजाब के दोआबा का गेटवे स्टेशन भी पुकारा जाता है क्योंकि यहां से फगवाड़ा, कपूरथला, गोराया, होशियारपुर, बंगा, नवांशहर सहित आसपास के कस्बों व सैंकड़ों गांवों से लोग विभिन्न ट्रेनों में सवार होने के लिए आते हैं लेकिन पब्लिक को कें न्द्र सरकार, रेलवे विभाग व रेलवे प्रशासन के मामले संबंधी अपनाए जा रहे गुपचुप रवैए से रोजाना भारी परेशानी के दौर से गुजरना पड़ रहा है।

जनता सवाल करती है कि उनकी यह जायज व मूलभूत सुविधाओं को प्रदान करने की मांग कब पूरी होगी? रेल यात्री व्यंग कर तर्क देते हैं कि अभी फगवाड़ा रेलवे स्टेशन पर आने वाले रेल यात्रियों के अच्छे दिन नहीं आए हैं और ये कब आएंगे इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता है। जनता जो तर्क रख रही है वह सच्चाई है और यही फगवाड़ा रेलवे स्टेशन की वास्तविक हकीकत भी बना हुआ है। क्या रेल मंत्रालय जनहित में फगवाड़ा रेलवे जंक्शन की सूरत को सुधारेगा अथवा स्टेशन पर आने वाले हजारों रेल यात्री इसी भांति वर्ष दर वर्ष हैरान-परेशान होते रहेंगे? 

रेलवे स्टेशन पर बेधड़क चल रहा मौत को खुली दावत देने का खतरनाक खेल

फगवाड़ा रेलवे स्टेशन पर बिना प्लेटफार्म ओवरब्रिज का प्रयोग कर लोग प्लेटफार्म नं.-1 से प्लेटफार्म नं.-2 व 3 तक का सफर सीधे तौर पर रेल लाइनों को खतरनाक ढंग से पार कर पूरा कर रहे हैं। जानकारों की राय में यह घटनाक्रम किसी भी क्षण बड़े अनर्थ का कारण बन सकता है। कानून की नजर में ऐसा करना संगीन जुर्म है लेकिन बावजूद इसके खुलेआम दिन-दिहाड़े लोग रेलवे स्टेशन पर रेल लाइनों का इस्तेमाल कर प्लेटफार्म नं.-1 से प्लेटफार्म नं.-2 व 3 तक जा रहे हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि इनको ऐसा करने से न तो कोई पुलिस अधिकारी रोक रहा है और न ही इसको प्रभावी ढंग से रोकने के लिए कोई विशेष रोक है। 


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