...इसलिए रुकी अवैध कमर्शियल मार्कीट में बोर्ड लगाने की कार्रवाई

punjabkesari.in Saturday, Jan 23, 2021 - 12:55 PM (IST)

लुधियाना(हितेश): नगर निगम द्वारा जालंधर बाईपास के नजदीक अवैध कमर्शियल मार्कीट बनाने के जिस मामले में पुलिस केस दर्ज करवाने व रजिस्ट्रियों पर रोक लगाने की सिफारिश करने का दावा किया गया था। उस साइट पर बोर्ड लगाने की कार्रवाई नेताओं व अफसरों के साथ कथित तौर पर सैंटिंग होने के बाद रुक गई है।

इस मामले में बिल्डिंग ब्रांच हैड र्क्वाटर द्वारा जोन ए के ए.टी.पी. को जालंधर बाईपास के नजदीक अवैध कमर्शियल मार्कीट बनाने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस केस दर्ज करवाने व रजिस्ट्रियों पर रोक लगाने की सिफारिश भेजने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद स्टाफ द्वारा साइट विजिट करने के दौरान यह बात सामने आई कि वहां कोई निर्माण या प्लॉटिंग नहीं की गई। इसके मद्देनजर फिलहाल साइट पर अवैध रूप से कमर्शियल मार्कीट न बनाने की चेतावनी देने का बोर्ड लगाने का फैसला किया गया। लेकिन इस कार्रवाई के लिए मौके पर पहुंचे मुलाजिमों को ऐन मौके पर वापस बुलाया गया। बताया जाता है कि यह विवाद एक नेता द्वारा प्रस्तावित मार्कीट में सस्ती दुकानें देने की मांग करने पर प्रापर्टी डीलर के साथ बहस होने का नतीजा है। जिसके अलावा अफसरों के साथ भी मार्कीट बनाने वाले लोगों की सैटिंग हो गई है। जिस कारण बोर्ड न लगाने के साथ-साथ पुलिस केस दर्ज करवाने व रजिस्ट्रियों पर रोक लगाने की सिफारिश भेजने की कार्रवाई रोके जाने की सूचना है।


जमीन खरीदने वाले लोगों ने किया CLU व नक्शा पास करवाने का दावा
जिन लोगों द्वारा मार्कीट बनाने के लिए बाजार में नक्शा उतारा गया है। उन्होंने जगह के मालिकों के साथ फिलहाल एग्रीमैंट ही किया है। उनके द्वारा साइट पर निर्माण करने के लिए बकायदा नगर निगम से सी.एल.यू. व नक्शा पास करवाने का दावा किया जा रहा है। जिससे नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों द्वारा आनन-फानन में की गई पुलिस केस दर्ज करवाने व रजिस्ट्रियों पर रोक लगाने की सिफारिश भेजने की कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

ये हैं नियम
नियमों के मुताबिक जी.टी. रोड के साथ लगती साइट पर 500 फुट तक कमर्शियल निर्माण किया जा सकता है। शायद इसी के आधार पर सी.एल.यू. व नक्शा पास किया गया है। लेकिन उससे पीछे का इलाका मास्टर प्लान में रिहायशी है। जिसकी गली वाली साइड में दुकानें बनाई जा सकती हैं या नहीं, उसे लेकर बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।


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