भाजपा ने पंजाब को विरोधी दलों के लिए बना दिया अग्निपथ, कैप्टन को लेकर कर सकते हैं बड़ा ऐलान

punjabkesari.in Friday, Nov 26, 2021 - 11:08 AM (IST)

चंडीगढ़(हरिश्चंद्र): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहले करतारपुर कॉरीडोर खोलने और उसके ठीक 2 दिन बाद गुरुपर्व के मौके पर तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने की घोषणा से पंजाब के सभी विपक्षी दलों के हाथ से एक बड़ा मुद्दा छिन गया है। एक तरह से भाजपा ने यह तुरुप का पत्ता चलकर अन्य दलों के लिए पंजाब को अग्निपथ बना दिया है। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस के साथ भाजपा के चुनावी तालमेल की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। 

गौरतलब है कि अमरिंदर पहले ही यह साफ कर चुके थे कि वह भाजपा के साथ मिलकर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं बशर्ते कृषि कानूनों का किसानों के हित में कोई हल निकले। दोनों दलों के गठबंधन का ऐलान किसी भी वक्त हो सकता है। यह भी बेहद दिलचस्प होगा कि बिना किसी ढांचे वाले ऐसे दल के साथ भाजपा गठबंधन करेगी, जिसमें एकमात्र नेता हो। इस बीच, पार्टी नेतृत्व ने पंजाब इकाई को स्पष्ट कर दिया है कि यह विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर के साथ मिलकर लड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 14 नवम्बर को मुलाकात से पहले पंजाब के वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ मुलाकात की थी। इस दौरान पंजाब के नेताओं को यह साफ कर दिया गया था। यह बाद में तय होगा कि अमरिंदर के दल के साथ कैसे चुनाव लड़ा जाएगा।

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हिंदू वोट की रहेगी अहम भूमिका 
पंजाब में एक तिहाई से अधिक 38.5 प्रतिशत हिंदू आबादी है। अब तक अकाली दल के साथ गठबंधन में भाजपा के बेहद जूनियर सहयोगी होने के कारण हिंदू वोट का झुकाव अकसर कांग्रेस की ओर रहता था क्योंकि अकाली दल की 93 के मुकाबले भाजपा मात्र 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी। इस बार भाजपा पूर्व के मुकाबले दोगुनी से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के मूड में है। पंजाब में 46 विधानसभा हलके ऐसे हैं जहां हिंदू आबादी 60 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में भाजपा का मुख्य फोकस इन सीटों पर ही है।

ढींडसा के दल को मिलेंगी 5-7 सीटें 
सूत्रों की मानें तो कैप्टन खेमा सुखदेव सिंह ढींडसा के अकाली दल के लिए 5-7 सीटें छोड़ना चाहता है जबकि बाकी सीटें पंजाब लोक कांग्रेस और भाजपा के खाते में आएंगी। यह माना जा रहा है कि भाजपा अपनी बड़ी भूमिका के लिए इनमें से आधी से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी और कैप्टन अमरिंदर को करीब 50 सीटें मिलेंगी। हालांकि पंजाब भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि जब तक कैप्टन की पार्टी की कोई रूपरेखा तैयार नहीं होती, तब तक सीटों आदि के बारे में बात करना बेमानी ही है। उक्त नेता ने कहा कि इसमें कोई दोराय नहीं कि अमरिंदर बेहद राष्ट्रवादी नेता हैं, उनके जैसा कोई और नेता कांग्रेस में नहीं, जो राष्ट्र के मुद्दे पर बेबाकी से बात रखे। उनकी यह विचारधारा भाजपा के राष्ट्रवाद से मेल खाती है।

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पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार पंजाब चुनाव का सारा जिम्मा केंद्रीय नेतृत्व अपने हाथ में रखना चाहता है। दोनों दलों में सीट बंटवारे से लेकर प्रचार व मुद्दों आदि के लिए पहले से अंदरखाते तैयारी हो चुकी है। भाजपा कैप्टन अमरिंदर को ही केंद्र में रखकर पंजाब चुनाव लड़ने के मूड में है। भाजपा के पास चूंकि कैप्टन जैसे कद का कोई नेता नहीं है, ऐसे में पार्टी उनके नाम व वरिष्ठता को भुनाना चाहती है।

माझा-दोआबा में भाजपा और मालवा में अमरिंदर रखेंगे दबदबा 
सूत्रों के मुताबिक भाजपा माझा और दोआबा में अपनी पकड़ के कारण इन इलाकों की ज्यादा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी जबकि अमरिंदर मालवा में अपनी बेहतर पैठ को कैश करना चाहेंगे। भाजपा माझा में अमृतसर, गुरदासपुर व पठानकोट जिलों में, जबकि दोआबा के होशियारपुर, जालंधर व कपूरथला जिलों के अलावा मालवा के लुधियाना, फिरोजपुर व फाजिल्का जिलों में तगड़ा जनाधार रखती है। इन जिलों में वह कई चुनाव जीतती भी रही है। ऐसे में वह इन जिलों की ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि मोहाली से लेकर बठिंडा तक अमरिंदर अपनी लोकप्रियता को भुनाएंगे।

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अमरिंदर के साथ आएंगे टिकट न मिलने वाले कांग्रेसी: डा. मदान
पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के डा. डी.के. मदान का कहना है कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर के साथ चाहे खुलकर कांग्रेसी नहीं आ रहे लेकिन टिकट कटी तो ऐसे कांग्रेसी सबसे पहले अमरिंदर का ही रुख करेंगे। भाजपा के पास भी अपना एक पक्का वोट बैंक है, जो कृषि कानूनों पर चाहे चुप रहे या खुलकर नहीं बोले लेकिन जब बात चुनाव की होगी तो यह वोट केवल भाजपा को ही मिलेंगे।

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Content Writer

Sunita sarangal

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