लद्दाख में मारे गए भारतीय सेना के जवान सुखविंदर सिंह का हफ्ते बाद हुआ अंतिम संस्कार

punjabkesari.in Monday, Apr 01, 2024 - 06:00 PM (IST)

नूरपुर बेदी (भंडारी): लद्दाख में अचानक मारे गए गांव हीरपुर के भारतीय सेना के जवान सुखविंदर सिंह का आज सैकड़ों सेजल आंखों की हाजिरी में सप्ताह बाद अंतिम संस्कार हुआ। बता दें कि 26 पंजाब रेजिमेंट के 23 वर्षीय जवान सुखविंदर सिंह की 24 मार्च की रात अचानक मौत हो गई थी, जिसकी वजह सेना के अधिकारी आत्महत्या बता रहे थे। जबकि सैनिक के माता-पिता अपने लाडले की मौत से संबंधित दस्तावेजों के साथ पूरा सेवा भत्ता दिलाने और सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने की मांग कर रहे थे। इस मामले को लेकर एक सप्ताह से चल रहे गतिरोध के बाद देर शाम लद्दाख से पहुंचे सैन्य अधिकारियों द्वारा जवान की मौत से जुड़ी पूरी जांच जारी रखने और अन्य मांगों को लेकर परिवार को आश्वासन देने के बाद सैनिक का गांव के श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया।

इस बीच जब सैनिक का शव घर लाया गया तो पूरा परिवार अपने प्यारे सैनिक बेटे के शव से लिपट कर विलाप करते हुए रो रहा था। इस मौके पर शहीद के पिता मंगल सिंह और मां राजिंदर कौर अपने बेटे की अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट पहुंचे और सैनिक सुखविंदर सिंह को सलामी दी। इस दौरान सैनिक सुखविंदर सिंह के लिए ‘इंसाफ दो’ के जोरदार नारे भी लगाए गए। पंजाब सरकार की ओर से आए रूपनगर हलके के विधायक दिनेश चड्ढा, प्रशासन की ओर से आए आर.टी.ओ. से गुरविंदर सिंह जौहल तथा पुलिस प्रशासन की ओर पहुंचे डी.एस.पी. अजय सिंह के अलावा निर्देशक रक्षा सेवा कल्याण पंजाब के कार्यालय से पहुंचे अधिकारियों और जिला रक्षा सेवा कल्याण अधिकारी ने सैनिक को फूलमालाएं भेंट करके सैनिक को श्रद्धांजलि भेंट की।

सैनिक के संस्कार के मौके पर पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, दरबारा सिंह बाला, वीर सिंह बड़वा, मा. गुरनैब सिंह जेतेवाल, हरप्रीत भट्टों, गौरव राणा, डॉ. दविंदर बजार, बाबा सरूप सिंह, बाबा गुरचरण सिंह बेईहारा, सत्तू थियाड़ा, बाल साऊपुरिया, शिंगारा सिंह, भजन लाल कांगड़, मेहर बब्बू, मनजिंदर सिंह बराड़, बचितर भठल, जरनैल सिंह औलख और सरपंच चमन लाल सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे।

पूरा न्याय नहीं मिला : पिता मंगल सिंह

इस मौके पर सैनिक सुखविंदर सिंह के पिता मंगल सिंह ने दुखी मन से कहा कि उनके परिवार को अभी तक पूरा न्याय नहीं मिला है। लेकिन फिर भी उन्होंने सेना के अधिकारियों के पूरे विश्वास के बाद अपने लाडले के अंतिम संस्कार की रस्में निभा दी हैं।

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News Editor

Kalash

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