शहर में आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या से बिगड़ रहे हालात, लोगों में दहशत
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 05:29 PM (IST)

पठानकोट (शारदा): शहर में दिन-प्रतिदिन आवारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे हालात बिगड़ रहे हैं और लोगों में इन पशुओं को लेकर दहशत है। शहर की हर सड़क, गली और मोहल्ले में इन मवेशियों को घूमते देखा जा सकता है। आए दिन ये आवारा पशु बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और राहगीरों पर जानलेवा हमले तक कर देते हैं। यही नहीं, सड़क हादसों का मुख्य कारण भी बनते हैं।
इनकी वजह से रोजाना कई दुर्घटनाएं हो रही हैं। अकसर आवारा सांड बाजारों और गलियों में खतरनाक रूप धारण कर दहशत का माहौल पैदा कर देते हैं। इन पशुओं की बढ़ती संख्या के लिए कहीं न कहीं शहर के कुछ पशुपालक ही जिम्मेदार माने जा रहे हैं। ये पशु बाहर से नहीं आते, बल्कि शहर में ही जन्म लेते और छोड़ दिए जाते हैं।
दूध बेचने वाले कई पशुपालक लालच के चलते छोटे बछड़ों को पालने से बचते हैं और उन्हें सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं। इसी तरह जब दुधारू पशु बूढ़े, बीमार हो जाते हैं या दूध देना बंद कर देते हैं तो उन्हें भी रात के अंधेरे में शहर में छोड़ दिया जाता है। इसके अलावा कुछ पशुपालक सुबह दूध निकालने के बाद पशुओं को दिनभर बाहर छोड़ देते हैं, जो कूड़े के ढेरों और गलियों में भोजन तलाशते रहते हैं।
शाम को ये पशु अपने घर लौट आते हैं और पशुपालक उनसे दोबारा दूध निकालकर बेचते हैं। वहीं, नर बछड़ों को लगभग हमेशा आवारा छोड़ दिया जाता है, जो बाद में सांड बनकर शहर में उपद्रव मचाते हैं। शहर में आवारा मवेशियों की संख्या हजारों में पहुंच चुकी है और लगातार बढ़ रही है।
इस मामले में डॉ. राज ठुकराल ने कहा कि आवारा पशुओं पर रोक लगाना अब बेहद जरूरी हो गया है। नियमों के अनुसार शहर की सीमाओं के अंदर एक भी आवारा पशु, खासकर घायल या बीमार हालत में नहीं होना चाहिए। तभी शहर को सुरक्षित और साफ-सुथरा बनाया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि इनकी वजह से न केवल हादसे बढ़ रहे हैं, बल्कि बीमारियों के फैलने का भी खतरा मंडरा रहा है। सुबह के समय अकसर आवारा घोड़े, घायल या विकलांग जानवर शहर की सडृकों पर घूमते दिखाई देते हैं, जो किसी के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
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