सैन्य बलों और राजनीति का मेल हुआ, तो पाकिस्तान के रास्ते पर चल पड़ेगा भारत: धर्मवीर गांधी

punjabkesari.in Friday, May 17, 2019 - 03:40 PM (IST)

पटियालाः मौजूदा सांसद एवं पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस के पटियाला से उम्मीदवार धर्मवीर गांधी का कहना है कि भाजपा का राष्ट्रवाद उग्र राष्ट्रीयता है और यदि सैन्य बलों को राजनीतिक वर्ग के साथ "मिला दिया'' गया तो भारत भी पाकिस्तान के रास्ते पर चल पड़ेगा। 67 वर्षीय सांसद ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर राज्यों को दबाने और हिंदू महासभा, विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल जैसे दक्षिणपंथी समूहों को खुली छूट देने का आरोप लगाया। 

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गांधी ने भाजपा की राष्ट्रवाद की अवधारणा पर कहा, "यह राष्ट्रवाद नहीं, बल्कि उग्र राष्ट्रीयता है। देशभक्त होना अलग बात है, उग्रराष्ट्रीयता और नफरत फैलाना अलग बात है।'' उन्होंने कहा, "मेरा उग्र राष्ट्रीयता का एजेंडा नहीं है। मैं एक गौरवशाली भारतीय हूं और एक गौरवशाली पंजाबी हूं, लेकिन मैं पाकिस्तान से नफरत नहीं करता। वह भी भारत की तरह ही खूबसूरत है।'' धर्मवीर ने यह भी कहा कि सशस्त्र बलों द्वारा किए गए सर्जिकल हमले का श्रेय मोदी सरकार द्वारा लिया जाना भी गलत है। उन्होंने कहा, "यह (सर्जिकल हमलों का श्रेय लेना) निश्चित ही गलत है। भारत पाकिस्तान के रास्ते पर नहीं चला, इसका एकमात्र कारण यह है कि सेना को सरकार के एजेंडे और राजनीतिक वर्ग से अलग रखा गया।... पाकिस्तान ने असैन्य प्रशासन के साथ अपनी सेना को मिलाने का खामियाजा भुगता है। भारत के साथ भी ऐसा ही होगा।''

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यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस ने यह कह कर लाभ लेने की कोशिश की कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश को आजाद कराया, हृदय रोग विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘निश्चित ही। मैं बांग्ला लोगों के खिलाफ पाकिस्तान के दमन का समर्थन नहीं करता, लेकिन इसमें भारत की भूमिका गलत थी।'' उन्होंने राजग सरकार पर समाज का ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया और कहा, ‘‘ध्रुवीकरण एवं विभाजनकारी एजेंडा देश की एकता के लिए नुकसानदेह है।'' धर्मवीर ने कहा, ‘‘भारत विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं एवं जातीय पहचानों का गुलदस्ता है। यदि आप एक फूल तोड़ने की कोशिश करेंगे तो गुलदस्ता बिखर जाएगा। साथ ही, गुलदस्ते में एक ही तरह के फूल खूबसूरत नहीं दिखते।'' धर्मवीर गांधी ने पंजाब में कृषि संकट के मामले पर कहा, "कुछ बड़े कदमों की आवश्यकता है। लघु किसानों को बचाने के लिए कृषि को सब्सिडी देना और प्रोत्साहित करना अहम है। कृषि क्षेत्र पर बड़े कारोबारियों की नजरें हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘खेती पहले ही नुकसान वाला कारोबार बन गया है। किसान ही ऐसा व्यक्ति है, जिसके पास अपनी पैदावार के दाम तय करने का अधिकार नहीं है। सरकार फसल के दाम तय करती है और बाजार की अर्थव्यवस्था लागत की कीमत तय करती है। इसीलिए लाखों लोगों ने खेती छोड़ दी या आत्महत्या कर ली।'' 


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