राणा के.पी. की संतुष्टि के बिना ‘AAP’ विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होने मुश्किल

punjabkesari.in Thursday, Jul 11, 2019 - 10:43 AM (IST)

जालन्धर (धवन): पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष राणा के.पी. सिंह की संतुष्टि के बिना आम आदमी पार्टी (आप) विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होने कठिन दिखाई दे रहे हैं। सरकारी हलकों में कहा जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष राणा के.पी. ने चाहे रोपड़ से ‘आप’ विधायक अमरजीत सिंह संदोआ को 20 अगस्त को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए कहा है, परन्तु इतनी जल्दबाजी में संदोआ का इस्तीफा शायद ही स्वीकार हो। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने लोकसभा चुनाव के समय ‘आप’ के 2 विधायकों को कांग्रेस में शामिल किया था। उस समय दोनों ‘आप’ विधायकों ने अपने पदों से इस्तीफे भेज दिए थे।

इ्सतीफे के लिए यह हैं सरकारी नियम
सरकारी नियमों के अनुसार अगर किसी विधायक ने अपनी विधायकी से इस्तीफा देना होता है तो उसे व्यक्तिगत तौर पर राज्य विधानसभा अध्यक्ष के सामने पेश होना होता है। उसके बाद ही विधानसभा अध्यक्ष यह निर्णय लेते हैं कि संबंधित विधायक का इस्तीफा स्वीकार किया जाए या नहीं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की रणनीति के अनुसार आम आदमी पार्टी के विधायकों के इस्तीफे शायद ही स्वीकार किए जाएं। 

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मुख्यमंत्री लेंगे फैसला कब इस्तीफा होगा स्वीकार
सरकार फिलहाल 2 विधानसभा सीटों फगवाड़ा तथा जलालाबाद के ही उपचुनाव करवाना चाहती है। अगले चरण में मुख्यमंत्री यह निर्णय लेंगे कि ‘आप’ विधायकों के इस्तीफे कब स्वीकार होने हैं। यद्यपि एच.एस. फूलका ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया हुआ है परन्तु उनके इस्तीफे के पत्र को नियमों के अनुसार नहीं पाया गया था जिस कारण उनका इस्तीफा अभी तक विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार नहीं किया है। 

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विधानसभा में नेता विपक्ष में बदलाव में कोई नहीं हैं आसार
इसी तरह लोकसभा चुनाव के समय मानसा के ‘आप’ विधायक नाजर सिंह मानशाहिया ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए कैप्टन के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान किया था। मानशाहिया ने भी 2 पंक्ति का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेजा था। विधानसभा अध्यक्ष राणा के.पी. ने मानशहिया को 30 जुलाई को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए कहा है। बताया जा रहा है कि अकाली दल भी उपचुनाव का मौजूदा परिस्थितियों में सामना करने के लिए तैयार नहीं है। कुल मिलाकर फिलहाल पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष के पद में कोई फेरबदल होने के आसार नहीं हैं। यह पद फिलहाल आम आदमी पार्टी के पास ही रहने की उम्मीदें हैं क्योंकि विधानसभा में उसके विधायकों की गिनती अकाली दल से ज्यादा है।

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