संगरूर उपचुनाव, पोस्टरों व होर्डिंग्ज को लेकर अकाली दल ने की मुख्य चुनाव अफसर को अपील

punjabkesari.in Saturday, Jun 11, 2022 - 05:39 PM (IST)

चंडीगढ़ः शिरोमणि अकाली दल ने आज मुख्य चुनाव अफसर से अपील की कि वह पार्टी की तरफ से संगरूर संसदीय चुनाव के लिए दिए होर्डिंग्ज और पोस्टरों को मंजूरी देने से न करने के अपने फैसले की पुनर्विचार करें। आज यहां पत्रकारों के साथ बातचीत करते पार्टी के सीनियर नेता डा. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि कमीशन की मीडिया सर्टीफिकेशन और मानीटरिंग कमेटी ने अकाली दल की तरफ से सौंपे पोस्टर यह कह कर रद्द कर दिए हैं कि इनके साथ लोगों को दुख होगा होगा और अनावश्यक शांति बढ़ेगी। यहां मीडिया वालों को यह पोस्टर दिखाते डा. चीमा ने कहा कि यह सिर्फ बंदी सिंहों और भाई बलवंत सिंह राजोआना की बहन बीबी कमलदीप कौर राजोआना की तरफ से अपील है, जिसमें उन्होंने सभी बंदी सिंहों की रिहाई के लिए अपील की है। उन्होंने कहा कि एक बहन ने पंजाबियों से उनके भाई राजोआना समेत बंदी सिंहों की रिहाई के लिए अपील की है। यह उनका हक है। यह संविधान में लिखित बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार मुताबिक है।

डा. चीमा ने जोर देकर कहा कि पंजाब के मुख्य चुनाव अफसर ने पोस्टरों के लिए मंजूरी न देकर गलती की है। उन्होंने कहा कि इन पोस्टरों के साथ राज्यों की शान्ति किसी तरीके से भी भंग होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि ऐसे ही पोस्टर 1989 में अकाली नेताओं सिमरनजीत सिंह मान और अतिन्दरपाल सिंह के चुनाव समय पर भी इस्तेमाल करे गए थे। अकाली नेता ने कहा कि बंदी सिंहों की रिहाई एक मानवीय अधिकारों का मामला है। उन्होंने कहा कि भाई राजोआना 28 वर्षों से जेल में बंद हैं और उनको पैरोल भी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि अन्य बंदी सिंहों ने भी उम्र कैद की सजा पूरी होने के बाद कई वर्ष जेलों में बिताए हैं। उन्होंने बताया कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने भाई राजोआना की सजा माफी के लिए 2012 में राष्ट्रपति के पास रहम की पटीशन दायर की थी परन्तु अब तक उस पर कोई फैसला नहीं लिया गया। हालांकि केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में जल्दी फैसला लेने की हिदायत की थी। डा. चीमा ने कहा कि अकाली दल हमेशा मानवीय अधिकारों का मुदई रहा है और वह बंदी सिंहों के हकों बारे जागरूकता पैदा करने के लिए काम करता रहेगा।

उन्होंने कहा कि पहले भी समकालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने रुकावटों का नोटिस लिया था और 2012 में भाई राजोआना को फांसी लाने से न कर दी थी। उन्होंने कहा कि अकाली दल का लोग हकों के लिए संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है और इसने समकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरफ से लगाई एमरजेंसी का भी डट कर विरोध किया था। उन्होंने ऐलान किया कि अकाली दल मुख्य चुनाव अफसर के पास फैसले की समीक्षा के लिए अर्जी दायर करेगा। 

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News Editor

Urmila

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