पंजाब चुनावों की सर्वे रिपोर्ट को लेकर ''सकते'' में भाजपा, जुटी डैमेज कंट्रोल में

punjabkesari.in Sunday, Jan 30, 2022 - 12:23 PM (IST)

जालंधर(पंजाब केसरी टीम): पंजाब में विधानसभा चुनाव में सरकार किसकी बनेगी, यह तो 10 मार्च को नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इससे पहले पंजाब में राजनीतिक दलों की स्थिति का आकलन सर्वे की मदद से किया जा रहा है। कई खबरिया चैनलों ने सर्वे कंपनियों के साथ मिल कर सर्वे किए हैं जिसमें कोई आम आदमी पार्टी को, कोई कांग्रेस को, कोई शिरोमणि अकाली दल को ऊपर उठते हुए दिखा रहा है। सभी सर्वे में दो बातें कॉमन सामने आ रही हैं, एक तो किसी को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है जबकि दूसरी यह कि हर सर्वे में भाजपा को बेहद कम सीटें ही मिल रही हैं जो कि बड़ी हैरान की बात है। हैरानी की बात इसलिए है क्योंकि भाजपा के लोग पंजाब में सरकार बनाने की बात कर रहे हैं।

क्या कहते है सर्वे
पंजाब को लेकर टाइम्स नाओ, एबीपी न्यूज चैनल, जी-डिजाइन बॉक्स्ड, रिपब्लिक-पी मार्क आदि ने अपने-अपने स्तर पर सर्वे किए हैं। किसी सर्वे में कांग्रेस को 37-43 सीटें, आप को 52-58 सीटें, शिरोमणि अकाली दल (एस.ए.डी.) को 17-23 सीटें और भाजपा को 1 से 3 सीटें मिल रही हैं। जबकि एक अन्य सर्वे में कांग्रेस को 35-38 सीटें, आप को 36-39 सीटें, शिरोमणि अकाली दल को 32-35 सीटें और भाजपा को 4 से 7 सीटें दी जा रही हैं। एक सर्वे इस तरह भी है जिसमें कांग्रेस को 40-45 सीटें, आप को 47-52 सीटें, अकाली दल को 22-26 सीटें और भाजपा को 1 से 2 सीटें मिलती दिख रही हैं। 

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भाजपा की पोजीशन
इस सब में भाजपा की हालत सबसे खराब है। पार्टी पंजाब में 2007 से 2017 तक शिरोमणि अकाली दल के साथ मिल कर सत्ता में रही है। 2017 में पार्टी सत्ता से एक बार बाहर हुई तो उसके बाद दोबारा उसे सत्ता नसीब तो दूर पार्टी को डबल डिजिट आंकड़ा छूना भी मुश्किल लग रहा है जिसके कारण पार्टी के वर्कर से लेकर पार्टी के उम्मीदवारों की धड़कनें भी तेज हो रही हैं। पार्टी ने पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस तथा अकाली दल संयुक्त के साथ गठबंधन किया है। पार्टी इससे पहले पंजाब में अकाली दल के साथ 23 सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। पार्टी के 42 नए उम्मीदवार हैं जो मैदान में उतारे गए हैं। इन सर्वे रिपोर्ट्स को देखते हुए भाजपा सकते में है तथा पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है।

कैसे है भाजपा लड़ाई से बाहर
दिल्ली बॉर्डर पर करीब एक साल चले किसान आंदोलन का पंजाब भाजपा पर बड़ा असर पड़ा है। पंजाब में भाजपा नेतृत्व पहले तो इस किसान आंदोलन की नब्ज नहीं पहचान पाया जिसके कारण यह आंदोलन तेज हो गया और केंद्र की दहलीज पर जा बैठा। उसके बाद भी पंजाब में किसानों के विरोध का सामना लगातार करना पड़ता रहा। ऊपर से देश भर में महंगाई से लेकर कई अन्य मुद्दे भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिसके कारण भाजपा लड़ाई से बाहर होती दिख रही है।

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टिकटों की घोषणा से पहले के सर्वे : चुघ
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ का इस बारे में कहना है कि पंजाब में भाजपा ने अभी कुछ दिन पहले ही टिकटों का ऐलान किया है। जिन सर्वे में भाजपा को कम सीटें दी गई हैं, इनमें से अधिकतर टिकटों के ऐलान से पहले हुए हैं। यह बात तो साफ है कि जब टीम ही नहीं पता थी, तो जीत-हार का कैसे पता चलता। अब अगले जो सर्वे देखने को मिलेंगे इसमें निश्चित तौर पर भाजपा न केवल आगे होगी बल्कि नंबर एक भी होगी।

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Content Writer

Sunita sarangal

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