बोगस बिलिंग करने वालों के खिलाफ जल्द होगी कार्रवाई, मुख्यमंत्री के सामने खुली GST घोटाले की पोल!

punjabkesari.in Tuesday, Nov 04, 2025 - 01:03 PM (IST)

लुधियाना (धीमान) : पंजाब में बोगस बिलिंग से सम्बंधित घोटाले रोजाना बढ़ते जा रहे है। जी एस टी विभाग की क्षत्रछाया में फल फूल रहा ये घोटाला अब पंजाब की आर्थिकता को बर्बाद कर रहा है। इस सम्बन्ध में वर्ल्ड एम. एस. एम. ई. फोरम ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात कर पंजाब में हो रहे जी एस टी घोटालों की जानकारी दी।

वर्ल्ड एम.एस.एम.ई. फोरम के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने बताया के पंजाब में जी एस टी लगने के बाद से अब तक 1 लाख 50 हजार करोड़ से ऊपर का घोटाला हो चुका है और ये घोटाला प्रतिवर्ष तेजी से बढ़ रहा है। विभाग की नाक के नीचे आज भी प्रतिवर्ष 15000 करोड़ से ऊपर की जी एस टी चोरी हो रही है जिसने पंजाब की अर्थव्यवस्था को खोखला कर दिया है। इस सम्बन्ध में गत दिन मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री भगवंत मान, कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा और पंजाब के मुख्यासचिव कुमार अनुग्रह प्रसाद से विस्तृत चर्चा की गई।

जिंदल ने मुख्यमंत्री को बताया के पंजाब में पासिंग और बोगस बिलिंग करने वाली ज़्यादातर कंपनिया मंडी गोबिंदगढ़ और लुधियाना में मजूद है जो रोजाना 1000 करोड़ की पासिंग और बिलिंग करती है। इन कंपनियों को संचालित करने वालों को विभागीय अधिकारी भलीभांति जानते है लेकिन फिर भी ये कंपनिया खुल कर पंजाब में टैक्स चोरी कर रही है। जी एस टी चोरी विभाग के भ्रष्ट अधिकारिओं के लिए एक फायदे का सौदा बन चुका है जिसमें पहले बोगस बिलिंग करने वाली कंपनियों के नंबर कैंसिल कर उन्हें राहत देने के इवज में पैसे वसूले जाते है और फिर इन कंपनियों से बिल लेने वालों से भी गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के इलजाम में पैसे बटोरे जाते है और उनके नंबर भी कैंसिल कर दिए जाते है जिससे उन्हें टैक्स भरने में राहत मिल जाती है। बोगस बिलिंग मामलों में कानून बेहद लचीला है और इसमें सजा और गिरफ्तारी का प्रावधान मात्र उन कंपनियों को है जिन्होंने 5 करोड़ से ऊपर की टैक्स चोरी की हो और सभी बोगस बिलिंग कम्पनिया इस कानून से भली भांति परिचित है इसलिए ज़्यादातर मामलों में वो 5 करोड़ से नीचे की टैक्स चोरी कर कंपनी को बंद कर देते है।

इन कंपनियों का साथ देने के लिए बड़ी संख्या में ट्रेडर है जो अपना माल बिना बिल के बेचते है। आज पंजाब में ज़्यादातर दुकानदार बिना बिल के माल बेच रहे है और दो नंबर में माल बेचने के बाद ये दुकानदार उस सामन का बिल उन कंपनियों को काटते है जो सरकार से टैक्स वापिस ले लेती है। पंजाब में हाउसिंग सेक्टर में सबसे ज्यादा घोटाला हो रहा है और इस सेक्टर में सीमेंट, ईंट, बजरी, हार्डवेयर, सरिया, लकड़ी और फर्नीचर सब दो नंबर में बेचा जा रहा है। इस सेक्टर के बाद पंजाब में हार्डवेयर, ऑटोपार्ट और बाइसिकल में ज्यादातर दुकानदार ग्राहकों को बिल देने से मना कर देते है।

जिंदल ने मुख्यमंत्री को जानकारी देते हुए कहा के जी एस टी विभाग में कई अधिकारी ऐसे भी है जिनके पास अरबों की ज़मीन जायदाद है और अपनी सेटिंग के दम पर वो हमेशा से मलाईदार पदों पर जमे हुए है। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने मुख्यसचिव को आदेश किया के वर्ल्ड एम एस एम ई से बोगस बिलिंग और जी एस टी घोटालों सम्बंधित सभी जानकारी लेकर इसके ऊपर सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यासचिव इस सम्बन्ध में इसी सप्ताह वर्ल्ड एम.एस.एम.ई. फोरम के पदाधिकारिओं के साथ मीटिंग करेंगे जिसके बाद पंजाब में बोगस बिलिंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

जिंदल ने अक्षय ऊर्जा विभाग के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा से मांग की कि गोबिंदगढ़ और लुधियाना की स्टील इकाइयों के लिए एक डेडिकेटेड सोलर क्लस्टर बनाया जाए जिसमें कम से कम 1000 मेगावाट सोलर पावर बनाने की क्षमता पैदा की जाए। इस क्लस्टर से छोटे स्टील प्लांटों को भी सोलर ऊर्जा दी जाए। सरकार स्टील उद्योग को अगर सोलर पावर देना शुरू करेगी तो स्टील उद्योगों की बिजली मात्र 2 रुपये प्रति यूनिट पड़ेगी जिससे पंजाब में स्टील कीमतों में 3000 रुपये प्रति टन की कमी आएगी जिसका लाभ यहां के सभी उद्योगों को मिलेगा।

मंत्री अमन अरोड़ा ने जानकारी देते हुए बताया के उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग से पंजाब में खाली पड़ी सारी शामलाट जमीनो की जानकारी मांगी है और इनमें से जो भी जमीने ग्रिड के पास होगी वो जमीनें उद्योगों को सोलर प्लांट लगाने के लिए आबंटित की जाएंगी। मुख्यमंत्री ने भी बताया के सरकार पंजाब में सोलर पावर का निर्माण बढ़ाने के लिए बचनवद्ध है और इसके लिए कंडी , बॉर्डर और बीड क्षेत्र की खाली पड़ी जमीनो को भी इस्तेमाल कर सकेगी जहां ऊंचाई पर सोलर प्लांट लगाए जा सकते हो।

जिंदल ने ये भी मांग की कि पंजाब में इन्वेस्ट पंजाब में ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता न दी जाए जो उद्योग पहले से ही यहां स्थापित हो। ऐसे में नए और पुराने उद्योगों में प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाती है जिसका लाभ सरकार से सब्सिडी लेने वाले नए उद्योगों को ही मिलता है। इसके साथ-साथ मुख्यमंत्री से चेंज ऑफ़ लैंड यूज और बिल्डिंग प्लान की प्रक्रिया को सेल्फ सट्रिफिकेशन के साथ-साथ फसलेस करने की मांग भी की गई।

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News Editor

Urmila

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