तेज बहाव में बहा पुल, कई गांवों का कट गया संपर्क... पंजाब में बढ़ा संकट
punjabkesari.in Saturday, Sep 27, 2025 - 02:02 PM (IST)

पठानकोट (मनिन्द्र, शारदा): मराड़ा पत्तन पर दरिया रावी के ऊपर बना पैल्टून पुल, जो कि हर साल बरसातों के दौरान सुरक्षा कारणों से खोलकर रखा जाता है। इस बार प्रशासन की कथित लापरवाही के चलते तेज बहाव में बह गया है। यह पुल कई गांवों को आपस में जोड़ता था और गुरदासपुर एवं पठानकोट जिलों के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क सेतु का कार्य करता था। पुल के बहने से इस क्षेत्र के ग्रामीणों की आवाजाही प्रभावित हुई है, बल्कि उनके जीवन को भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इस विषय में रोष स्वरूप जानकारी देते हुए माझा किसान संघर्ष कमेटी के जिला प्रधान गुरशरण सिंह ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने बताया कि हर वर्ष की भांति इस बार भी बरसातों के मौसम में पैल्टून पुल को खोलकर अलग कर दिया गया था, ताकि पानी के बढ़ते स्तर के कारण कोई नुकसान न हो। परंतु इस बार जो भारी चूक हुई, वह यह थी कि पुल का कीमती सामान सुरक्षित स्थान पर न रखकर, खुले में धुस्सी बांध के किनारे छोड़ दिया गया। तेज बहाव के चलते यह पूरा सामान पानी में बह गया और अब पुल दोबारा स्थापित करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। गुरशरण सिंह ने कहा कि पहले के वर्षों में प्रशासन पुल के हिस्सों को खोलकर पास की खाली जमीन को किराये पर लेकर वहां सुरक्षित रखता था, जिससे सामान सुरक्षित रहता और बरसात के बाद उसे दोबारा जोड़ा जा सकता था। लेकिन इस बार प्रशासन ने लापरवाही बरतते हुए वह जमीन नहीं ली और सारा सामान खुले में छोड़ दिया गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि अब वह सारा इंफ्रास्ट्रक्चर बह चुका है।
किश्ती के सहारे जिंदगी, हर दिन जोखिम में
गांव के निवासी अब मजबूरी में दरिया को पार करने के लिए एक किश्ती का सहारा ले रहे हैं। परंतु गुरशरण सिंह ने चेतावनी दी कि यह किश्ती अब बेहद जोखिम भरी स्थिति में है क्योंकि नदी में बहाव तेज और गहराई अधिक है। उन्होंने कहा कि किश्ती में सवार होकर दरिया पार करना अपने जीवन को दांव पर लगाने के बराबर है। किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। स्थानीय लोगों में प्रशासन और सरकार के प्रति भारी निराशा और आक्रोश है।
लोगों का कहना है कि सरकार ने अब तक इस विषय में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है और न ही किसी प्रकार की कार्य योजना साझा की है कि पुल कब तक दोबारा स्थापित किया जाएगा। ग्रामीणों का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। स्कूल जाने वाले बच्चे, इलाज के लिए जाने वाले मरीज, व्यापार करने वाले लोग सभी प्रभावित हैं।
क्या फिर से जुड़ेगा संपर्क?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन पुल को समय रहते फिर से स्थापित कर पाएगा? गुरशरण सिंह का कहना है कि पुल को दोबारा डालने का समय नजदीक आ रहा है, परंतु सारा सामान गायब है। प्रशासन एवं सरकार की तरफ से कोई भी ठोस प्रयास होता है या नहीं, यह अब समय ही बताएगा। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि तत्काल स्तर पर नए सिरे से पुल का निर्माण कार्य शुरू किया जाए ताकि जो गांव दरिया के कारण जिलों से कट चुके हैं, उन्हें फिर से जोड़ा जा सके। उन्होंने चेताया कि यदि शीघ्र कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो आने वाले दिनों में यह एक बड़ा मानवीय संकट बन सकता है।
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी चिंता का कारण
पुल बहने की घटना के बाद से स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। न ही नुकसान का जायज़ा लेने के लिए कोई टीम मौके पर भेजी गई है। यह चुप्पी ग्रामीणों की चिंता और गुस्से को और अधिक बढ़ा रही है। मराड़ा पत्तन पर पैल्टून पुल का बह जाना सिर्फ एक संरचनात्मक क्षति नहीं, बल्कि यह हजारों ग्रामीणों की जीवन रेखा के टूटने जैसा है। प्रशासन की एक चूक ने पूरे इलाके को संकट में डाल दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार और प्रशासन कितनी तत्परता से इस समस्या को सुलझाने के लिए कदम उठाते हैं।
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