पंजाब में अब अमरेंद्र ही होंगे " कैप्टन ", सिद्धू की विदाई तय
punjabkesari.in Monday, May 03, 2021 - 12:57 PM (IST)
जालंधर (विशेष): 5 राज्यों में आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के जितनी बेसब्री से कांग्रेस हाई कमान इंतज़ार कर रहा था , उतनी ही बेसब्री से इसका इंतज़ार पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को भी था, इन्ही चुनाव के नतीजों से कांग्रेस हाईकमान, खास तौर पर राहुल गांधी को मजबूती मिलनी थी लेकिन कांग्रेस उस केरल में भी चुनाव हार गई , जहां हर 5 साल बाद सत्ता परिवर्तन का इतिहास रहा है। राहुल गांधी इसी केरल के वायनाड से सांसद है और केरल में धुंआ दार प्रचार के बावजूद राहुल कांग्रेस गठबंधन को जीत नहीं दिला पाए। कांग्रेस की इस हार से निश्चित तौर पर पार्टी में राहुल की स्थिति कमजोर हुई है और उन्हें अब पंजाब में मुख्य मंत्री कैप्टन अमरेंद्र की शर्तों के मुताबिक चलना होगा अब तक सिद्धू को अहमियत देते आ रहे हाई कमान के लिए अब उन्हें ज्यादा देर तक अहमियत देना आसान नहीं होगा।
सिद्धू यदि पंजाब कांग्रेस में बने रहना चाहेंगे तो अब उन्हें कैप्टन के मुताबिक काम करना होगा क्योंकि सिद्धू को ज्यादा अहमियत देकर कैप्टन खुद अपने लिए सियासी खाई नहीं खोदना चाहेंगे। ऐसी स्थिति में सिद्धू के सामने कांग्रेस से विदाई के अलावा कोई दूसरा सियासी रास्ता नहीं बचेगा हालांकि कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कभी खुल कर गांधी परिवार का विरोध नहीं किया है और वह राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का समर्थन करने वाले मुख्य मंत्रियों में शामिल रहे हैं लेकिन इसके बदले वह पंजाब में कांग्रेस हाई कमान की तरफ से किसी तरह का दखल नहीं चाहते। वह पंजाब में पार्टी अध्यक्ष भी अपनी मर्जी का चाहते हैं पार्टी प्रभारी भी , टिकटों के वितरण से लेकर चुनाव प्रचार प्रभारी और चुनाव प्रचार मुहिम तक वह अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं।
नतीजे भांप कर आक्रामक हुए कैप्टन
दरअसल पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बारे में मुख्य मंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को पहले से अंदाजा हो गया था लिहाजा उन्होंने सिद्धू को लेकर आपने रुख आक्रामक कर लिया है। पहले यह माना जा रहा था कि कांग्रेस की अगवाई वाला गठबंधन केरल में सत्ता में आ सकता है और आसाम में भी कांग्रेस भाजपा को सत्ता से बेदखल कर सकती है , ऐसा होता तो पार्टी में राहुल का कद बढ़ता क्योंकि राहुल ने दोनों राज्यों में निजी तौर पर फोकस किया था लेकिन इन दोनों राज्यों से कांग्रेस के बुरे प्रदर्शन की खबर को भांप कर कैप्टन ने सिद्धू के खिलाफ आक्रमण को धार दे दी है और उन्होंने नवजोत सिद्धू को उनकी सियासी हैस्यत बताने के लिए ही पटियाला से चुनाव लड़ने की चुनौती दी है।
रावत के प्रयास फेल , नहीं हुआ सिद्धू का पुनर्वास
कांग्रेस ने उत्तराखंड के पूर्व मख्य मंत्री हरीश रावत को पंजाब का प्रभारी बना कर नवजोत सिद्धू के सियासी पुनर्वास के लिए भेजा था और रावत के तमाम प्रयासों के बावजूद अमरिंदर सिंह ने सिद्धू का पुनर्वास नहीं होने दिया है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह के चलते सिद्धू न तो उप मुख्यमंत्री बन सके और न ही उन्हें प्रदेश प्रभारी बनाया गया है बल्कि सिद्धू के सोशल मीडिया पोस्ट्स को आधार बना कर उन पर अनुशासन की कार्रवाई की अलग तैयारी की हुई है। दर असल कैप्टन अमरेंद्र सिंह को उम्मीद है कि अगले चुनाव में कांग्रेस लगातार दूसरी बार सत्ता में आ सकती है और तब उनको चुनौती देने वाला कोई नेता नहीं होना चाहिए। उनको लग रहा है कि सिद्धू उनके रास्ते में फच्चर डाल सकते हैं इसलिए उन्होंने सिद्धू को कोई भी पद देने से मना कर दिया है।
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