Chandigarh के इन स्कूलों की मान्यता रद्द करने के आदेश को लेकर बड़ी Update
punjabkesari.in Wednesday, Jun 04, 2025 - 01:57 PM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वर्ष 1996 की योजना से पहले आवंटित जमीन वाले निजी गैर अल्पसंख्यक स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर दाखिलों की पूर्ण प्रतिपूर्ति के हकदार हैं। जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी ने सेंट कबीर स्कूल और विवेक हाई स्कूल की मान्यता रद्द करने का आदेश भी निरस्त कर प्रशासन की दलील भी खारिज कर दी कि 1996 की नीति के तहत ऐसे स्कूल केवल 10 प्रतिशत दाखिलों की ही प्रतिपूर्ति के पात्र हैं। हाईकोर्ट ने दो टूक कहा कि 1996 की नीति का दायरा केवल उन स्कूलों पर लागू होता है, जिन्हें योजना के तहत जमीन दी हो। नीति न पिछली तिथि से लागू की जा सकती है, न ही विस्तार किया जा सकता है। चंडीगढ़ प्रशासन ने तर्क दिया था कि आवंटन की कुछ शर्तों के कारण अनुच्छेद 18 को पहले से जमीन पाए स्कूलों पर भी लागू किया जा सकता है। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे यह सिद्ध हो कि 31 जनवरी, 1996 से पहले जमीन प्राप्त स्कूल किसी प्रकार के कानूनी उल्लंघन में थे। प्रशासन ने स्वयं एक दशक से अधिक समय तक ऐसे किसी प्रावधान को लागू करने की कोशिश नहीं की, जो उनके अपने ही रुख का खंडन करता है।
निजी स्कूल 25 प्रतिशत सीटों पर कमजोर वर्ग को दाखिला देने के लिए बाध्य
अदालत ने स्पष्ट किया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सभी गैर-अल्पसंख्यक निजी स्कूल 25 प्रतिशत सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को दाखिला देने के लिए विधिक रूप से बाध्य है। यह दायित्व किसी पिछली नीति या जमीन आवंटन की शर्त से कम नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने दाखिले की प्रक्रिया को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए। अब प्रशासन पात्र विद्यार्थियों की सूची तैयार कर संबंधित स्कूलों को भेजेगा। किसी स्कूल को पात्रता पर आपत्ति है, तो प्रशासन निर्णय करेगा, जो अंतिम और बाध्यकारी माना जाएगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्कूलों को प्रशासन द्वारा भेजे गए आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को दाखिला देना होगा।