मुख्यमंत्री चन्नी ने हदबंदी से ज्यादा जमीन रखने वालों के लिए जारी किए आदेश

punjabkesari.in Saturday, Dec 11, 2021 - 01:28 PM (IST)

चंडीगढ़/होशियारपुर (अश्विनी, घुम्मन):12 दिसंबर को ग्रामीण और खेत मजदूर संगठनों के सांझे मोर्चे की तरफ से रेल रोको आंदोलन से पहले पंजाब सरकार हरकत में आ गई है। मुख्यमंत्री चन्नी ने मोर्चो की मांगों पर मंथन शुरू कर दिया है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सीलिंग की हदबंदी से ज्यादा जमीन रखने वाले जमीन-मकान मालिकों का ब्योरा मांगा है। माल, फिर-वसेबा और डिजास्टर मैनेजमेंट विभाग की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में ग्रामीण और खेत मजदूर संगठनों का सांझा मोर्चे के नेताओं के साथ 23 नवंबर 2021 को बैठक हुई थी। इस बैठक में मुख्य मंत्री ने पंजाब लैड्ड रिफार्म्ज एक्ट, 1972 के अंतर्गत सीलिंग की हदबंदी से ज्यादा जमीन रखने वाले मकान मालिकों की रिपोर्ट तैयार कर पेश करने के आदेश जारी किए हैं। इसलिए सभी डिप्टी कमिश्नरों-कम-कुलैकटर ऐगरेरियन को निर्देश है कि जल्दी से जल्दी इस रिपोर्ट को भेजा जाए। इस आदेश को लेकर जनरल श्रेणियों में काफी हलचल मच गई है। इस आदेश के साथ पहले से ही प्रचलित भावना को मजबूती मिलेगी कि चन्नी सरकार जनरल वर्ग विरोधी है।

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सांझे मोर्चा की मांगों में जमीन के मसले की मांग सबसे अहम है। मोर्चा का कहना है कि हदबंदी कानून को पूरी तरह लागू कर कर जिन जिमींदारों के पास फालतू जमीन है, उसे खेत मजदूरों में बांटा जाए। पंजाब में इस को लेकर लंबे समय से संघर्ष भी चल रहा है। जमीन प्राप्ति संघर्ष समिति के बैनर नीचे भी पिछले दिनों पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी किया गया था। पंजाब खेत मजदूर संघर्ष यूनियन के जनरल सचिव लछमण सिंह सेवेवाला मुताबिक मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में उन्होंने सभी मांगों पर गौर करने का भरोसा दिया था। बेशक अभी तक उस बैठक के मिनट्स आफ मीटिंग जारी नहीं किए गए हैं परन्तु यदि सरकार ने रिपोर्ट तलब की है तो अच्छी खबर है।

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सेवेवाला मुताबिक पंजाब में 1952 और 1972 में 2 कानून लागू किए गए थे परन्तु प्रदेश में भूमि रहित और गरीब किसानों सहित खेत मजदूरों की बड़ी आबादी के बावजूद इनके खातो में बेहद कम जमीन अलाट हुई। प्रदेश के बड़े भूमि-भाग पर बड़े जिमींदारों का ही दबदबा है और यह जमीन मालिक लगातार छोटे भूमि-मकान मालिकों से जमीन खरीद रहे हैं। यह स्थिति तब है जबकि लैड्ड सीलिंग एक्ट के अंतर्गत एक परिवार केवल 17 एकड़ जमीन रख सकता है और बाकी की जमीन बांटे जाने की व्यवस्था है। समय-समय पर सरकारी आंकड़ों के जरिए भी खुलासा होता रहा है कि पंजाब में करीब 16 लाख 66 हजार एकड़ जमीन है, जो लैड्ड रिफार्म के अंतर्गत बांटी जानी चाहिए। इसके बावजूद सरकारों के कान पर जूं तक नहीं सरकी है और तिकड़मबाजी के साथ बड़े लोगों ने परिवार की परिभाषा को ही बदल दिया है। परिवार में ही कई इकाईयां दिखाकर उनके हिस्से में जमीन डाल दी गई है। साथ ही, किसी ने फार्म हाऊस किसी ने बाग की जमीन सहित कानूनी चक्करों में उलझा कर बड़े स्तर पर जमीनों को अपने पास रखा हुआ है। अब इस बेइंसाफी को बरदाश्त नहीं किया जाएगा और गरीब किसानों के हक लिए जाएंगे। 

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News Editor

Urmila

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