पार्टी में उठ रहे बगावती सुरों को दबाने में असफल हो रही कांग्रेस

punjabkesari.in Friday, Aug 27, 2021 - 12:28 PM (IST)

जालंधर(खुराना): देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो नैशनल लैवल पर ही नहीं, स्थानीय स्तर पर भी पार्टी में अंदरूनी बगावत का कोई चांस नहीं हैं। दूसरी ओर राष्ट्रीय स्तर की पार्टी कांग्रेस, जिसने देश पर लंबा समय राज किया, अब पार्टी के अंदर उठ रहे बगावती सुरों को दबाने में बुरी तरह असफल सिद्ध हो रही है जिसका खामियाजा कांग्रेस को नैशनल और लोकल लैवल पर भुगतना पड़ रहा है।

कई साल पहले की बात करें तो तृणमूल कांग्रेस और वाई.एस.आर. कांग्रेस का गठन ही इस पार्टी की अंदरूनी फूट के चलते हुआ जिसका राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को बहुत बड़ा नुक्सान झेलना पड़ा। हेमंत बिसवा सरमा जैसे नेताओं ने भी पार्टी से अलग होकर इसे काफी चोट पहुंचाई। वहीं पार्टी ने मध्य प्रदेश में इसी कारण सत्ता गंवाई, अब छत्तीसगढ़, राजस्थान और पंजाब में भी तमाशा बन रही है। आज के हालातों पर नजर दौड़ाई जाए तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भी इन दिनों घमासान चल रहा है। वहां कांग्रेस ने पावर-शेयरिंग फार्मूला लागू किया था जिसके चलते दो दावेदारों को अढ़ाई-अढ़ाई साल बतौर सी.एम. काम करना था परंतु अब वर्तमान मुख्यमंत्री बघेल को उतारना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है और वहां बगावत फैली हुई है।

इसी तरह राजस्थान में भी पायलट धड़ा खुलकर बगावत पर उतारू है। चाहे अशोक गहलोत ग्रुप इस बगावत की ओर खासा ध्यान नहीं दे रहा परंतु इसने पार्टी हाईकमान की चिंताएं लगातार बढ़ाई हुई हैं। बात पंजाब की करें तो पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह की इच्छा के विपरीत जाकर बागी सुर अपनाने वाले नवजोत सिद्धू के हाथ पार्टी की कमान तो दे दी है परंतु इससे राज्य कांग्रेस में आपसी गुटबाजी और धड़ेबंदी काफी तेज हो गई है जिससे आने वाले चुनावों में पार्टी को नुक्सान होना तय माना जा रहा है। ऐसे में आम कार्यकर्ता तथा टकसाली कांग्रेसी जहां हाईकमान की नीतियों को नहीं समझ पा रहे हैं वहीं हाईकमान के कंट्रोल से भी कई चीजें बाहर होती जा रही हैं।

आर.एस.एस. जैसा संगठन नहीं है कांग्रेस के पास
इस सारी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी को इस बात का लाभ मिल रहा है कि उसके पास पार्टी संगठन चलाने के लिए आर.एस.एस. मौजूद है जो पार्टी की जरा-सी आंतरिक कलह को भी अपने प्रभाव से जल्द दबा लेता है। दूसरी ओर कांग्रेस ने यूथ कांग्रेस जैसे संगठन में भी चुनावी प्रक्रिया लागू करके इसे काफी कमजोर कर दिया है। यही कारण है कि आज कांग्रेस का दायरा लगातार सिमटता चला जा रहा है और इसे चुनावी गठबंधन के लिए क्षेत्रीय दलों की जरूरत महसूस होने लगी है।

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Content Writer

Sunita sarangal

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