पाबंदी के बावजूद धड़ल्ले से जलाई जा रही है पराली

punjabkesari.in Saturday, Oct 07, 2017 - 08:47 AM (IST)

जालंधर  (रविंदर): पंजाब के किसान रोज खेतों में पराली जला रहे हैं। इससे निकलने वाला धुआं लगातार प्रदूषण फैला रहा है। सरकार दावा कर रही है कि पराली जलाने पर पूरी तरह से पाबंदी है, मगर सरकार के इन दावों की रोजाना खेतों में धज्जियां उड़ रही हैं। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी इसके प्रति काफी सख्त दिखाई दे रहा है। पंजाब की पराली जलाए जाने से न केवल यहां की जनता परेशान है बल्कि पड़ोसी हरियाणा व दिल्ली के लोग भी खासे परेशान हैं। 


पंजाब में रोजाना 100 से 200 एकड़ खेतों में पराली जलाई जा रही है। भारतीय किसान यूनियन की बैठक में किसान यह  बात कह चुके हैं कि या तो सरकार किसानों की मदद करे या कोई ऐसी मशीनरी दे जिससे धान की फसल की कटाई जमीन से 2-4 इंच ऊपर से हो सके। खेतों से उठने वाले धुएं से आसपास की सड़कों पर अंधेरा छाने लगा है। जहां पराली को आग लगाई जा रही है, वहां की सड़कों से गुजरना तक मुश्किल हो रहा है। एक्सपटर््स का कहना है कि आने वाले दिनों में प्रदूषण और बढ़ेगा।


एक तरफ पराली का धुआं तो दूसरी तरफ दीपावली पर जलने वाले पटाखे अपना पूरा असर छोड़ेंगे। ऐसे में सांस की तकलीफ लोगों को काफी बढ़ सकती है। आने वाले दिनों में मौसम बदलाव के बाद हवा का रुख भी काफी कुछ तय करेगा। 

पराली जलाने की शिकायत मिलने पर होगी कार्रवाई : डी.सी.
डी.सी. वरिंदर शर्मा का कहना है कि पराली जलाने पर सरकार ने पाबंदी लगाई हुई है। उनका कहना है कि पराली जलाने की शिकायत मिलने पर प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जाती है और यह आगे भी जारी रहेगी। 


किसानों को जागरूक करने में सरकार नाकाम : विशेषज्ञ
एन्वायरनमैंट विशेषज्ञ डा. अतुल तलवाड़ कहते हैं कि गांव के किसानों को सरकारों की ओर से जागरूक भी नहीं किया जा रहा है। कार्रवाई से बचने के लिए अब कई किसान एक साथ मिलकर पराली को जला रहे हैं। पहले ही कर्ज माफी में उलझी पंजाब सरकार किसानों से किसी तरह का बैर मोल नहीं लेना चाहती है। इसके अलावा पराली के लिए जो मशीनरी लगनी थी, उसके लिए भी सरकार की ओर से कोई सबसिडी नहीं दी जा रही है। ऐसे में बड़ी समस्या यह है कि किसान पराली का क्या करें। 


पराली जलाने के नुक्सान

 * इससे जमीन की उर्वरता कम  होती है। 
*  20 से 30 सालों तक एक ही जगह पराली जलाई जाए तो फसलों का उत्पादन 40 से 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है। 
*  पराली जलाने से जमीन में 80 फीसदी तक नाइट्रोजन, सल्फर और 20 फीसदी तक दूसरे पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। 
*  बैक्टीरिया खत्म होने से फसलों में बीमारियां बढ़ रही हैं। 
* पराली जलाने से तापमान बढ़ता है। नई फसल के लिए पानी की जरूरत 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। 
* हवा प्रदूषित होने की वजह से सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं। आंखों में जलन होती है। अस्थमा व डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। 


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