आखिर क्या है ‘धारा 240’, जिसको लेकर पंजाब और केंद्र के बीच फंसा पेच
punjabkesari.in Monday, Nov 24, 2025 - 12:32 PM (IST)
पंजाब डेस्क : केंद्र सरकार चंडीगढ़ को संविधान की धारा 240 के अधीन लाने की तैयारी कर रही है। प्रस्तावित बदलाव का उद्देश्य चंडीगढ़ को उन केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में शामिल करना है, जहां राष्ट्रपति सीधे नियम बनाते हैं। इसके लिए संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में संवैधानिक 131वां संशोधन विधेयक पेश किए जाने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, इस कदम का मकसद चंडीगढ़ के प्रशासन को अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की व्यवस्था के अनुरूप बनाना है।
धारा 240 के तहत बनाए गए राष्ट्रपति के नियम संसद के बनाए कानूनों के समान प्रभावी होते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो चंडीगढ़ में नियम बनाने की शक्ति, जो अभी तक प्रशासक (राज्यपाल) के पास होती थी, वह सीधे राष्ट्रपति के अधीन आ जाएगी। लोकसभा सचिवालय के एक बुलेटिन में भी इस विधेयक का उद्देश्य चंडीगढ़ को धारा 240 के दायरे में लाना बताया गया है।
धारा 240 क्या है?
धारा 240 भारत के राष्ट्रपति को कुछ विशेष केंद्र शासित प्रदेशों के लिए शांति, प्रगति और सुशासन संबंधी नियम बनाने का अधिकार देती है। यह धारा उन केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होती है जहां कोई विधायिका नहीं है या किसी कारणवश उसका कार्य निलंबित है। वर्तमान में यह प्रावधान अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा-नगर हवेली, दमन-दीव और विशेष परिस्थितियों में पुडुचेरी पर लागू होता है। यदि चंडीगढ़ को भी इस सूची में शामिल कर लिया जाता है तो प्रशासनिक नियंत्रण लगभग पूरी तरह केंद्र सरकार के हाथों में चला जाएगा।
चंडीगढ़ का इतिहास
फ्रांस के प्रसिद्ध वास्तुकार ले कॉर्बुज़िए द्वारा डिज़ाइन किया गया चंडीगढ़ देश का पहला योजनाबद्ध शहर माना जाता है। आज यह पंजाब और हरियाणा दोनों की संयुक्त राजधानी है। साल 1953 में इसे पंजाब की राजधानी बनाया गया। आज़ादी और विभाजन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पंजाब के लिए एक नए, सुंदर और आधुनिक शहर की कल्पना की थी, जो लाहौर से भी अधिक आकर्षक हो। इसके लिए 22 गांवों की भूमि अधिग्रहित की गई और 1952 में शहर की नींव रखी गई। देवी चंडी के नाम पर इस शहर का नाम चंडीगढ़ रखा गया।
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