Exit Poll के अनुसार आए Result तो पंजाब में फेल साबित होगा डेरा फैक्टर

punjabkesari.in Wednesday, Mar 09, 2022 - 04:09 PM (IST)

जालंधर (अनिल पाहवा) : पंजाब में विधानसभा चुनावों के परिणाम 10 मार्च को आएंगे, उससे पहले अलग-अलग चैनलों ने सर्वे कंपनियों के साथ मिलकर एग्जिट पोल में संभावनाओं को जाहिर किया है। लोगों के साथ बातचीत के आधार पर ये सर्वे किए गए हैं, जिसमें सभी पार्टियों को मिलने वाली संभावित सीटों का ब्यौरा जारी किया गया है। इस ब्यौरे के अनुसार पंजाब में आम आदमी पार्टी सबसे आगे है, जबकि कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल तथा भाजपा इस दौड़ में काफी पीछे हैं। अगर आम आदमी पार्टी इन संभावनाओं के अनुसार ही अंतिम रिजल्ट में सीटें हासिल करने में सफल रहती हैं तो पंजाब में अब तक चुनावों पर हावी रहने वाला डेरा फैक्टर फेल साबित होगा। पंजाब की राजनीति में इन डेरों ने समय-समय पर अहम भूमिका निभाई है। इस बार के चुनावों में भी राजनीतिक दलों ने डेरे की वोट के लिए खूब कोशिशें कीं, लेकिन अगर आम आदमी पार्टी सफलता हासिल करती है, तो यह बात साफ हो जाएगी की पंजाब के लोगों ने इस बार डेरा फैक्टर न मानते हुए अपनी मर्जी के अनुसार वोट की है।

AAP ने बनाए रखी दूरी
पंजाब में सभी राजनीतिक दलों कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल तथा भाजपा ने डेरा वोट पर डोरे डालने के लिए हर संभव प्रयास किया है। कुछ नेता डेरों में जाकर नतमस्तक हुए, तो वहीं कुछ नेताओं ने डेरों के प्रमुखों के साथ बैठकें कर डेरा वोट को साधने की कोशिश की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह से लेकर नवजोत सिंह सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी, सुखबीर बादल, कैप्टन अमरेंद्र सिंह तक सभी ने डेरा वोट के लिए अपनी-अपनी रणनीति के अनुसार योजना को फलीभूत किया। लेकिन आम आदमी पार्टी इस डेरा फैक्टर से कुछ हद तक दूर रही। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने डेरों के साथ अगर मुलाकात भी की तो उसे गुप्त रखा गया। खुले तौर पर 'आप' के नेता डेरों में नहीं दिखे।

पंजाब में डेरा फैक्टर
पंजाब भर में करीब 10000 डेरे हैं, जो सामाजिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण हैं। इन डेरों से लाखों लोग जुड़े हुए हैं। इन डेरों ने सदा ही चुनावों में अहम भूमिका निभाई है। इनमें से करीब 300 डेरे ऐसे हैं, जो हर बार चुनावों में एक्टिव होते हैं और पार्टियों के नेता भी इन डेरों को समय-समय पर अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए कोशिशें करते रहते हैं। वैसे बताया जाता है कि पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से करीब 93 सीटों पर डेरों का फैक्टर चलता है, लेकिन अगर इस बार आम आदमी पार्टी सत्ता में आने में सफल रहती है तो डेरा फैक्टर को लेकर बनने वाली रणनीतियां फ्लाप साबित होंगी। पंजाब में 2.12 करोड़ वोटरों की संख्या है। एक अनुमान के अनुसार 53 लाख लोग इन डेरों से जुड़े हुए हैं। कुल वोट का यह करीब 25 प्रतिशत बनता है। यह भी बताया जा रहा है कि पंजाब में अलग-अलग डेरों की करीब 1.13 लाख शाखाएं हैं।

मालवा में डेरे का फैक्टर
पंजाब में डेरा सच्चा सौदा, डेरा बल्लां, डेरा ब्यास, संत निरंकारी मिशन, नामधारी डेरा तथा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान 6 प्रमुख डेरे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। डेरा सच्चा सौदा के पंजाब में करीब 10000 शाखाएं हैं। भारत भर में इस डेरे के 6 करोड़ अनुयायी बताए जाते हैं। मालवा के 35 से 40 सीटों पर इस डेरे का बेहद अधिक प्रभाव है। कहा जाता है कि जिसने इस डेरे को साध लिया, वह सत्ता में आएगा ही। मालवा में कुल 69 सीटें हैं, लेकिन जो एग्जिट पोल आए हैं, उनमें करीब 40 प्रतिशत सीटें 'आप' के खाते में बताई जा रही हैं। इसका सीधा मतलब है कि मालवा में भी डेरा फैक्टर सफल होता नहीं दिख रहा।

माझा में कितना असर
पंजाब के माझा रीजन में 25 विधानसभा सीटें हैं। इस रीजन में कई डेरों का थोड़ा-थोड़ा प्रभाव है। दिव्य ज्योति संस्थान माझा की 5 से 6 सीटों पर असर डालता है, जबकि नामधारी डेरे का रीजन की 4 से 5 सीटों पर सीधा असर है। पिछले चुनावों में उम्मीदवारों का खेल बनाने और बिगाड़ने में इन डेरों ने अहम भूमिका निभाई, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग दिख रहे हैं। इसके अलावा अमृतसर, तरनतारन तथा गुरदासपुर वाली इस बैल्ट में राधा स्वामी डेरे का खासा प्रभाव है। यह 15 से 20 सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं।

दोआबा में डेरों का प्रभाव
पंजाब के दोआबा रीजन में जालंधर, कपूरथला, नवांशहर, होशियारपुर इलाके आते हैं। इस क्षेत्र में राधा स्वामी ब्यास, सच्चखंड बल्लां, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान आदि का अहम प्रभाव है। सच्चखंड बल्लां दोआबा क्षेत्र की 10 से 12 सीटों पर अहम प्रभाव रखता है, जबकि दिव्य ज्योति जागृति संस्थान 2 से 3 सीटों पर अपना अहम प्रभाव रखते हैं। पिछले चुनावों तक इन डेरों ने अपनी अहम भूमिका निभाई और नेताओं के खेल बनाने और बिगाड़ने का पूरा प्रबंध किया, लेकिन इस बार तस्वीर कुछ अलग बनती दिख रही है।

डेरों के ऐलान
इस बार के विधानसभा चुनावों से पहले सभी डेरों ने खुलकर किसी पार्टी को समर्थन देने से खुद को दूर रखा, लेकिन अंदरखाते अनुयाइयों को संदेश जारी होते रहे। किसी डेरे ने कांग्रेस को तो किसी ने शिरोमणि अकाली दल को जीत दिलाने के लिए वोट करने को कहा। वर्ष 2007 के चुनावों में डेरा सच्चा सौदा सुर्खियों में आया था, तब इस डेरे ने खुलकर कांग्रेस का समर्थन किया था, जिसके कारण अकाली दल की सरकार को 21 सीटों पर शिकस्त मिली।
 

विवादों में डेरा
डेरे जहां पंजाब में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं, वहीं कुछ डेरों का विवादों से भी पूरा नाता रहा है। डेरा सच्चा सौदा पंजाब में सबसे ज्यादा विवादों में रहा है। संत से फिल्म एक्टर बने डेरा प्रमुख राम रहीम पर हत्या, बलात्कार सहित कई आरोप लगते रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में राम रहीम आजकल जेल में है। डेरा प्रमुख के भाजपा के साथ संबंधों को लेकर भी समय-समय पर खबरें सामने आती रही हैं।


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Vatika

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