मिसाल बने किसान, 9 सालों से पराली को नहीं लगाई आग
punjabkesari.in Monday, Nov 06, 2017 - 03:48 PM (IST)

बठिंडा(परमिंद्र): जहां अधिकांश किसान धान की पराली को आग के हवाले करके पर्यावरण को प्रदूषित करने में लगे हुए हैं, वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो पर्यावरण के रक्षक बनकर सामने आए व अन्य किसानों के लिए मिसाल बन गए। उक्त किसान लंबे समय से पराली को खेतों में ही मिला रहे हैं। इन किसानों का कहना है कि पराली को खेतों में मिलाने का दोहरा लाभ होता है। एक तो पर्यावरण संतुलित रहता है जबकि दूसरी ओर जमीन की सेहत भी ठीक रहती है जिससे उत्पादन अधिक होता है। ऐसे ही एक किसान हैं बठिंडा के गांव कर्मगढ़ छत्रां के मनजिंद्र सिंह छत्रां, जो पिछले 9 सालों से धान की पराली को आग न लगाकर उसे खेतों में ही मिला रहे हैं।
उत्पादन बढ़ता है, खर्च होता है कम : मनजिंद्र सिंह ने बताया कि आग न लगाने से जमीन की हालत ठीक रहती है जिस कारण उत्पादन भी बढ़ता है। उन्होंने बताया कि इसी वर्ष उन्होंने गेहूं की फसल का प्रति एकड़ 54 मण उत्पादन लिया है जो आम तौर पर 45 मण के करीब रहता है। यही नहीं नाड़ को जमीन में ही मिला देने से उसकी उर्वरता भी बढ़ती है जिस कारण उसमें यूरिया, डी.ए.पी. आदि खाद भी कम डालने की जरूरत पड़ती है।
सफलता देखकर अन्य किसान हो रहे प्रेरित : मनजिंद्र सिंह के सफल तजुर्बे को देखकर अन्य किसान भी उनसे प्रेरित होकर पराली को आग लगाना बंद कर रहे हैं। मनजिंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें देखकर उनके भतीजे ईश्वर सिंह ने भी पिछले 5 सालों से पराली को आग लगाना छोड़ दिया है। गांव के शमशेर सिंह ने अपने खेतों की पराली राजस्थान से गऊएं लेकर आने वाले गौपालकों को दे दी है जो गऊओं के चारे के काम आएगी।