पंजाब के बाल किसान भी जुटे आंदोलन में, केंद्र सरकार से बोले-"साडे पापे दी गल वीं सुणों.."

punjabkesari.in Wednesday, Dec 02, 2020 - 05:06 PM (IST)

होशियारपुरः नए कृषि कानूनों की खिलाफत अब पंजाब के किसानों के 8 साल के बच्चों को भी समझ आने लगी है। भले ही उन्हें कृषि कानूनों की जानकारी न हो लेकिन उन्हें इस बात आभास है कि उनके माता-पिता की किसानी को लेकर मोदी सरकार ने कुछ गलत किया है। उन्हें दिल्ली आंदोलन में हिस्सा लेने गए अपने माता-पिता और बड़े भाइयों की इस कदर चिंता है कि वे भी कहीं न कहीं  सूबे के हिस्से में अपने हिसाब से आंदोलन कर रहे हैं। यह बच्चे केंद्र सरकार के खिलाफ नारा देकर केंद्र सरकार तक यही आवाज पहुंचाना चाहते है कि साडे पापे दी गल वीं सुणो...।
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किसान की बेटी हूं इसलिए आंदोलन में शामिल होने आई हूं:  गुरसिमरत
पंजाब के होशियारपुर के गांव मंगत की रहने वाली गुरसिमरत कौर (11)  भी अपने परिवार वालों के साथ किसान आंदोलन में शामिल होने आई है। वह 6वीं क्लास में पढ़ती है और अपने साथ अपना स्कूल बैग भी लाई है। गुरसिमरत ने कहा कि किसान की बेटी हूं इसलिए इस आंदोलन में शामिल होने आई हूं। उसका कहना है कि जब  मौका मिलता है तो पढ़ने बैठ जाती हूं । इतना ही नहीं वह अपनी मां के साथ खेतों में काम भी करने जाती है और असल में उसकी पहचान एक किसान की है। गुरसिमरत बताती है कि आंदोलन में शामिल होने से पहले उसने पंजाबी में 3 नए कृषि कानून के बारे में पढ़ा, जिसके बाद उसे समझ आया कि मोदी सरकार इस नए कृषि कानून के जरिए उनकी खेती पर कंट्रोल कर लेगी। सिंघु बॉर्डर पर पिछले 7 दिनों से 14 साल का हरमन सिंह भी किसान आंदोलन में शामिल है। उसका कहना है कि किसान आंदोलन सिर्फ बड़ों का ही नहीं बल्कि हम बच्चों का भी है। 

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किसान दिल्ली में तो महिलाएं पंजाब में मोर्चे पर डटीं
वहीं किसानों के दिल्ली जाने के बाद पंजाब में महिलाओं ने कमान संभाल ली है। धरने में पहुंचीं महिलाओं ने कहा कि जब तक उनके पति-बेटे-भाई दिल्ली फतेह कर नहीं लौटते पेट्रोल पंप और टोल प्लाजा पर हम धरना देंगे। बड़ी गिनती में महिलाओं ने धरने को संबोधन करते हुए कहा कि किसान अब अपना हल करवाकर दिल्ली से वापिस आएंगे। इसलिए चाहे उन्हें कितने भी दिन या महीने लग जाए, वह पीछे नहीं हटेंगे।  उन्होंने कहा किसानों के इस बड़े संघर्ष को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने अपना जोर लगा लिया हैं पर किसानों ने उनके मुंह मोड़ते हुए दिल्ली की जड़ों तक पहुंच गए है।  इस मौके उन्होंने किसानों पर किए तशद्द की सख्त शब्दों में निंदा की और केन्द्र सरकार द्वारा किसानों को धरने के लिए जगह दिए जाने की उन्होंने किसान आंदोलन की पहली जीत बताया। 

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समिति गठित करने की पेशकश किसान नेताओं ने ठुकराई  
दिल्ली में जमे किसानों और केंद्र सरकार के 3 मंत्रियों के बीच मंगलवार को करीब 4 घंटे चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया। विज्ञान भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल, वाणिज्य राज्यमंत्री व पंजाब से सांसद सोम प्रकाश तथा किसान संगठनों के 30 से अधिक प्रतिनिधियों में मंथन के बाद केवल इतना तय हो पाया कि 3 दिसम्बर को दोनों पक्षों में फिर बातचीत होगी। किसान नेताओं ने यह भी साफ कर दिया  कि धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। 

 

 


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