दिवाली से पहले सामान बेचने वालों में मची अफरा-तफरी, लोग पड़ सकते हैं मुश्किल में
punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 11:08 AM (IST)

बुढ़लाडा (बांसल): जिले में आबादी के अनुपात में दूध का उत्पादन कम होने और त्यौहारी सीजन के चलते दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कुछ लोग कथित तौर पर रासायनिक पदार्थों की मदद से क्विंटलों में नकली और मिलावटी दूध तैयार कर रहे हैं। इस नकली दूध का उपयोग मुख्यत: पंजाब-हरियाणा सीमा के इलाकों में हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने जिले में विभिन्न दुकानों पर छापेमारी करते हुए दूध, बर्फी, खोया, सिल्वर वर्क वाली मिठाइयां, रंगीन मिठाइयां, देसी घी, हल्दी, मिर्च और अन्य खाद्य पदार्थों के 55 सैंपल लिए हैं।
नकली सामान बेचने वालों में अफरा-तफरी मची हुई है। लोगों को जागरूक करते हुए विभाग ने आम जनता से अपील की है कि त्यौहारी दिनों में मिठाइयों का सेवन कम से कम करें। हैरानी की बात यह है कि बाजार में बड़ी मात्रा में नकली खोया और सिंथेटिक दूध बेचा जा रहा है। यहां तक कि कई जगह हलवाई न होते हुए भी लोग मिठाइयां खरीदकर बेच रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि त्यौहारी सीजन में मिलावटखोर न सिर्फ दूध और मिठाई, बल्कि हल्दी, मिर्च, मसाले और रिफाइंड तेल जैसे रोजमर्रा के सामान में भी मिलावट कर रहे हैं।
मगर संबंधित विभागों के अधिकारी सिर्फ कागज़ी कार्रवाई तक सीमित रहते हैं, जो हर साल दीवाली के समय ही दिखाई देती है। यह भी चिंता का विषय है कि ऐसे मिलावटी खाद्य पदार्थों जैसे हल्दी, मिर्च, मसाले, रिफाइंड तेल और नकली दूध से बनी मिठाइयों का सेवन करने से लोग कैंसर, आंतों के रोग, पीलिया, और किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इस स्थिति पर काबू पाने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने की सख्त जरूरत है।
तेजी से फैल रहा है यह काला कारोबार
पंजाब-हरियाणा सीमा क्षेत्र में चेकिंग का डर न होने के कारण कुछ मुनाफाखोर व्यापारी नकली दूध, मिठाइयां और किराने का डुप्लीकेट सामान तैयार कर रहे हैं, जिससे उनका रोज़ाना का मुनाफा बढ़ रहा है। सुबह के समय दूध से भरे टैंकर और मिठाइयां हरियाणा से पंजाब की ओर भेजे जाने की जानकारी मिली है, जिनकी कोई विभागीय जांच नहीं की जा रही। इन मुनाफाखोरों ने सचमुच सफेद दूध को काला धंधा बना लिया है।
कैसे तैयार किया जाता है नकली दूध
सूत्रों के अनुसार, ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए कुछ लोग नकली दूध तैयार करने हेतु पहले माल्टोडेक्स पाउडर, पानी, और रिफाइंड तेल मिलाकर मशीन से घोल तैयार करते हैं। इसके बाद दूध की घनत्व बढ़ाने के लिए बी.आर. (गोंद जैसा पदार्थ) मिलाया जाता है। ऐसा दूध असली जैसा दिखता है और 50-60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बाजार में जहर बनकर बिक रहा है। कई बार इसमें यूरिया, तेल, कास्टिक सोडा और खुशबू (सेंट) जैसी खतरनाक चीजें भी डाली जाती हैं।
शारीरिक विकास रुक सकता है : डॉ. सुमित
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सुमित (एम.डी. मेडिसिन) ने बताया कि मिलावटी दूध के सेवन से ब'चों का शारीरिक विकास रुक जाता है और वे मानसिक रूप से भी कमजोर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए पौष्टिक आहार के साथ दूध और दही बहुत जरूरी है, जिससे हड्डियाँ मजबूत होती हैं और विकास सही ढंग से होता है। 20 साल तक के ब'चों के विकास में दूध की भूमिका अहम रहती है। डॉ. सुमित ने चेतावनी दी कि रासायनिक रूप से तैयार नकली दूध पीने से ब'चे पीलिया, लीवर की खराबी, आंतों के रोग, बदहज़मी और किडनी फेलियर जैसी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।
नकली दूध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा : दूध संघ
दूध संघ के सदस्य बलजीत सिंह ने चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति नकली दूध का कारोबार करते पकड़ा गया तो यूनियन उसका कड़ा विरोध करेगी। उन्होंने लोगों से अपील की कि ऐसे मिलावटखोरों की जानकारी पुलिस को दें ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके।
क्या कहते हैं जिला परिवार कल्याण अधिकारी
जिला परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. रणजीत राय ने कहा कि मिलावट करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। शिकायत मिलने पर तुरंत सैंपल लिए जाएंगे और जांच करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि अब तक जिले में खाद्य पदार्थों की बड़ी स्तर पर चेकिंग की जा चुकी है।
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