हर दुकानदार को लेना होगा फायर सेफ्टी का NOC
punjabkesari.in Wednesday, May 03, 2017 - 03:20 PM (IST)

लुधियाना(हितेश): नगर निगम ने आगजनी की घटनाओं में फायर ब्रिगेड के मौके पर पहुंचने से पहले लोगों द्वारा अपने तौर पर अग्रिशमन यंत्रों की मदद से बचाव करना यकीनी बनाने के लिए हरेक दुकानदार के पास फायर सेफ्टी एन.ओ.सी. होना लाजिमी करने की योजना तैयार की है। महानगर में पिछले कुछ दिनों से लगभग रोजाना आगजनी के बड़े हादसे हो रहे हैं जिनमें जहां जानमाल का काफी नुक्सान भी हुआ है वहीं यह बात भी सामने आई है कि किसी परिसर के पास न तो अग्रिशमन यंत्रों का प्रबंध था और न ही उन्होंने निगम से एन.ओ.सी. लिया हुआ था।
इन हालातों का परिणाम है कि आगजनी की घटनाओं के दौरान फायर ब्रिगेड के मौके पर पहुंचने से पहले लोग अपने तौर पर खास बचाव कार्य नहीं कर पाते। जिससे ज्यादा नुक्सान होने का ठीकरा निगम पर फोड़ा जाता है। जिसे लेकर निगम अफसरों का कहना है कि अगर लोग समय पर अग्रिशमन यंत्रों का प्रयोग कर लें तो नुक्सान होने से बच सकता है। यही फायदा पानी की स्टोरेज का प्रबंध करने से होता है। उसके लिए लोगों को जवाबदेह बनाने की याद निगम को एकाएक आगजनी के मामले बढऩे पर आई है। इसके तहत हरेक कमर्शियल व इंडस्ट्रीयल परिसर के लिए अग्रिशमन यंत्रों का प्रबंध करना लाजमी किया जा रहा है। भले ही वह 50 गज की दुकान हो या मिक्स लैंड यूज के तहत घर व व्यापारिक गतिविधियां एक साथ चल रही हों, उनको एन.ओ.सी. लेना होगा। उस बारे प्रस्ताव बनाकर मेयर-कमिश्नर को भेजा जा रहा है। जिनके बाद एफ. एंड सी.सी. व जनरल हाऊस की मंजूरी मिलने पर उसे लागू किया जा सकता है।
हर साल करवानी होगी रिन्यूवल
आम तौर पर देखा जाता है कि जो परिसर बार लाइसैंस, पैट्रोल पंप, होटल, माल-मल्टीप्लैक्स, मैरिज पैलेस, बैंक आदि खोलने के लिए दूसरे विभागों की मंजूरी लेने के लिए जरूरी एन.ओ.सी. एक बार तो हासिल कर लेता है लेकिन उसको दोबारा रिन्यू नहीं करवाया जाता और न ही फायर ब्रिगेड विंग द्वारा इस बारे अपने रिकार्ड के मुताबिक कोई क्रास चैकिंग की जाती है। इसका फायदा उठाकर लोगों द्वारा अग्रिशमन यंत्रों को रीफिल तक नहीं करवाया जाता। उसके मद्देनजर आगे से एन.ओ.सी. लेने के बाद उसे हर साल रिन्यू करवाना भी लाजमी हो जाएगा।
कमलीशियन सर्टीफिकेट न लेने कारण बढ़ रही समस्या
जब भी किसी बड़ी बिल्डिंग का नक्शा पास करवाने के लिए निगम के पास आवेदन किया जाता है तो उसके लिए फायर ब्रिगेड से एन.ओ.सी. लेना लाजमी है लेकिन यह एन.ओ.सी. प्रोवीजनल होता है कि प्रस्तावित प्लान में अग्रिशमन यंत्रों का प्रावधान रखा गया है। लेकिन बाद में कोई चैक नहीं करता कि उनका प्रबंध हो गया है या नहीं। इसकी वजह कमर्शियल बिल्डिंगों को चालू करने से पहले कमलीशियन सर्टीफिकेट न लेना भी है क्योंकि अधिकतर बिल्डिंगें पूरी तरह अवैध रूप से या नक्शा पास करवाने के बावजूद नियमों का उल्लंघन करके बनी होती है, जिनका कमलीशियन सर्टीफिकेट लेने लोग नहीं आते और न ही बिल्डिंग ब्रांच द्वारा इस तरफ कोई ध्यान दिया जाता है। इस चक्कर में छोटे-बड़े कमर्शियल काम्प्लैक्स बिना अग्रिशमन यंत्रों के प्रबंध व एन.ओ.सी. लिए बगैर ही चल रहे हैं।
चैकिंग न होने को लेकर स्टाफ की कमी का बहाना
वैसे तो होटल, माल, मल्टीप्लैक्स, मैरिज पैलेस, बहुमंजिला काम्प्लैक्स अस्पताल व स्कूल-कालेज जैसे बड़े परिसरों में अग्रिशमन यंत्रों का प्रबंध होने बारे चैकिंग करने की जिम्मेदारी फायर ब्रिगेड विंग की बनती है। लेकिन उसे नहीं निभाया जा रहा है। जिसकी पुष्टि फायर ब्रिगेड विंग द्वारा कई बार आर.टी.आई. एक्ट के तहत मुहैया करवाई सूचना में की जा चुकी है कि काफी परिसरों के पास एन.ओ.सी. नहीं है। जो हालात अब भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे। इसके लिए अफसरों के पास स्टाफ की कमी का बहाना है।
फगवाड़ा से मिली फीस वसूलने की सेंध
निगम द्वारा इस समय जो फायर फाइटिंग का एन.ओ.सी. दिया जाता है। उसके लिए कोई फीस नहीं वसूली जा रही है जबकि फगवाड़ा में एन.ओ.सी. देने के अलावा रिन्यू करवाने के लिए दोनों बार 5-5 हजार की फीस ली जाती है। उसके मद्देनजर अब लुधियाना में निगम भी यह पैटर्न अपनाने जा रहा है। जिस पैसे को फायर ब्रिगेड विंग की मजबूती पर खर्च करने का हवाला दिया गया है। हालांकि फगवाड़ा की तरह एकमुश्त फीस लगाने की जगह निगम द्वारा एरिया के हिसाब से कैटागरी बनाई गई है।