फूड सेफ्टी विभाग का एक और कारनामा, 27 क्विंटल देसी घी के गायब होने के चर्चे

punjabkesari.in Saturday, Jun 24, 2023 - 08:50 AM (IST)

लुधियाना(सहगल): जिला फूड सेफ्टी विभाग के कारनामे से अलमारियां भरी हुई बताई जाती हैं। अब एक और कारनामा सामने आया है जो पिछले कारनामों पर भारी हुआ बताया जाता है। इसके तहत 27 क्विंटल जप्त किया हुआ देसी घी गायब हो चुका बताया जाता है। 

जानकारी के अनुसार गत वर्ष 24 जून को जालंधर बाईपास के निकट सुमित ट्रेनिंग कंपनी में देसी घी के सैंपल लिए गए थे। 'म' नाम से शुरू होने वाले देसी घी के सैंपल जांच में अनसेफ आए परंतु 1 वर्ष बीत जाने के बाद न तो पूर्व जिला स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा इस सिलसिले में कोई केस लांच किया गया और न ही कोई प्रभावी कार्रवाई की गई। विभाग के सूत्रों ने फूड विंग की कारगुजारियों से उत्पन्न चर्चाओं के आधार पर बताया कि 27 क्विंटल देसी घी भी गायब हो चुका बताया जाता है क्योंकि इससे पहले बाड़ेबाल मे जप्त किए 10 क्विंटल देसी घी का अभी तक अता पता नहीं चला है, उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई थी। उसी तर्ज पर इस मामले में भी कागजी कार्यवाही की गई है और 1 साल बीतने के बाद भी केस लॉन्च नहीं किया गया।

विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों का कहना है कि ऐसे अधिकारियों पर सरकार को कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए अथवा लोगों में इसका बड़ा गलत संदेश जा रहा है। सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों को अकेले फूड विभाग ने ध्वस्त करके रख दिया है और जिले में इसकी बड़ी चर्चा है। गौरतलब है कि इतने बड़े घपले सामने आने पर भी फूड कमिश्नर द्वारा इन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है बल्कि अधिकतर अधिकारियों को उनके जिलों में ही ट्रांसफर कर दिया गया है ताकि उन पर चल रहे भ्रष्टाचार के आरोप अपने आप चर्चा हीन हो जाए और मामले रफा-दफा हो जाएं परंतु दूसरी ओर एक के बाद एक सामने आ रहे घपलों के चलते लोग अब शीर्ष अधिकारियों पर भी उंगली उठाने लगे हैं। ऐसा कौन है जो इन अधिकारियों का बचाव कर रहा है और यह सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों के बिल्कुल विरुद्ध है।

14 बार रिमाइंडर भेजने पर भी नहीं की कोई कार्रवाई अब हाईकोर्ट में मामला

शहर के एक वरिष्ठ नागरिक ने बिना लाइसेंस के चल रही मीट की दुकानों के विरुद्ध जांच और कार्रवाई करने के लिए स्वास्थ्य विभाग में शिकायत दी जिसके लिए उन्होंने 14 बार रिमाइंडर भी भेजे। सिविल सर्जन द्वारा एक फूड सेफ्टी अफसर को इस पर कार्रवाई करने के निर्देश देने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गई जिस पर त्रस्त होकर वरिष्ठ नागरिक हरीश सूद विभाग के उच्च अधिकारियों के इलावा फूड कमिश्नर स्वास्थ्य मंत्री तथा डी.जी.पी. पंजाब पुलिस से भी मिले परंतु दो दुकानों की मात्र जांच तक के लिए कोई नहीं आया इसके लिए जिस फूड सेफ्टी अफसर को निर्देश दिए गए थे उसने अधिकारियों के निर्देशों की परवाह नहीं की। 

हार कर शिकायतकर्ता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिस पर कोर्ट ने 8 हफ्तों के भीतर इस मामले में कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा है। यहां यह भी गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग के फूड ब्रांच को किसी के लाइसेंस की जांच कराने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ता है जिससे यह भी साबित होता है यह अधिकारी कितने लापरवाह हैं और शीर्ष अधिकारी अपने कर्तव्य के प्रति कितने इमानदार हैं। शिकायतकर्ता हरीश सूद का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के दावों का अफसरशाही मिलकर कचूमर निकाल रही है और लोगों को इंसाफ नहीं मिल रहा।

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Content Writer

Sunita sarangal

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