महिलाओं के लिए जी का जंजाल बन रही मुफ्त सफर की सुविधा

punjabkesari.in Monday, Jul 18, 2022 - 10:18 AM (IST)

जालंधर (पुनीत): पंजाब सरकार द्वारा महिलाओं को मुफ्त सफर की जो सुविधा प्रदान की जा रही है वह जी का जंजाल बन रही है क्योंकि महिलाओं को आसानी से सरकारी बसों में सफर करना नसीब नहीं हो पा रहा जिसके चलते वह सरकार की नीतियों को कोस रही हैं। सरकार द्वारा चालकों की भर्ती न कर पाने के कारण डिपुओं में 500 से अधिक बसें धूल फांक रही हैं व काऊंटरों पर सरकारी बसों की कमी यात्रियों की परेशानी का सबब बन रही है। आलम यह है कि पीछे से भरकर स्थानीय डिपो में पहुंचने वाली बसों के दरवाजे इत्यादि भी बंद कर दिए जाते हैं जिसके चलते कई बार बस अड्डे में तनावपूर्ण स्थिति बन रही है।

बस अड्डे में काऊंटरों पर लगने वाली बसों में महिलाओं को बैठाने में नजरअंदाज करना आम बात हो चुकी है, वहीं रास्ते में यदि किसी मुख्य प्वाइंट पर महिलाएं खड़ी पाई जाती हैं तो चालकों द्वारा वहां पर बसें रोकने से गुरेज किया जाता है। इसके चलते महिलाएं आटो इत्यादि या अन्य वाहन का सहारा लेकर बस अड्डे तक पहुंचती हैं।

सरकार द्वारा जब 842 नई बसें पनबस व पी.आर.टी.सी. के फ्लीट में डाली गई थी तो उस समय चालकों की भर्ती नहीं हो पाई। इस वजह से अभी भी डिपो में खड़ी 500 से अधिक बसें चल पाना संभव नहीं हो पा रहा। महिलाओं की टिकट नहीं लगती जिस वजह से सरकारी बसों में अधिकतर महिलाएं ही सफर करती नजर आती हैं।

पुरुष यात्रियों के लिए बढ़ रही परेशानी

कई ऐसे दूर-दराज के रूट हैं जहां पर प्राइवेट बसों का परिचालन सरकारी के मुकाबले न के बराबर है। डेली पैसेंजर इन्हीं बसों में सफर करके शाम को अपने घरों की ओर रवाना होते हैं लेकिन जब इन बसों में सीटें भर जाती हैं व दरवाजे बंद कर लिए जाते हैं तो पुरुष यात्रियों को अपने घरों तक जाने के लिए आसानी से वाहन उपलब्ध नहीं होता। पुरुष यात्रियों का कहना है कि वह टिकट की अदायगी करके सफर करते हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें सीट नहीं मिलती है।

सरकारी बसों की कमी का प्राइवेट को हो रहा लाभ

महिलाओं को सरकारी बसों में मुफ्त सफर की सुविधा देने के बाद प्राइवेट बसों में यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज हुई है, लेकिन जब सरकारी बसों में सीटें नहीं मिलती तो यात्रियों को मजबूरी में प्राइवेट बसों में सफर करना पड़ता है। ऐसे में खासतौर पर शाम के समय प्राइवेट बसों को कुछ लाभ अर्जित होता है।


महिलाएं सहयोग करें, चालक भुगत रहे परेशानी : यूनियन

रोडवेज-पनबस, पी.आर.टी.सी. यूनियन के डिपो-1 के प्रधान गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा कि कई बार देखन में आता है कि 52 सीटों वाली बस में 80 के करीब यात्री चढ़ जाते हैं। ऐसे में कई बार कुछ यात्रियों की टिकट काटना रह जाता है, ऐसे में जब चैकिंग इत्यादि हो जाए तो सह चालक को परेशानी का सामना करना पड़ता है। सरकार को नियम बनाना चाहिए कि बस में जितनी सीटें हैं, उतने यात्रियों को बैठने का अधिकार दिया जाए।

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News Editor

Kalash

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