पंजाब के हकों पर डाके मारने में मोदी ने कांग्रेस को पीछे छोड़ा : चीमा

punjabkesari.in Tuesday, Oct 02, 2018 - 08:31 AM (IST)

चंडीगढ़(रमनजीत): आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने राजधानी चंडीगढ़ में पंजाब के कोटे पर केंद्र सरकार के कब्जे का विरोध करते हुए कहा कि राज्य के हकों को जबरन छीनने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा-अकाली दल सरकार ने कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है। 
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नेता विपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि मोदी सरकार ने जिस तानाशाही के साथ राजधानी चंडीगढ़ में पंजाब का 60 प्रतिशत कोटा अपने अधीन किया है, यह सीधे बुनियादी हकों पर एक और हमला व पंजाब पुन: निर्माण एक्ट 1966 की मदों की उल्लंघना है। इसके विरोध में ‘आप’ पंजाब के राज्यपाल से मिल कर फैसले को रद्द करने की मांग करेगी। चीमा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र से मांग की कि चंडीगढ़ समेत पंजाब के लंबित मुद्दों पर पंजाब विधानसभा का विशेष सैशन बुलाएं और सभी पार्टियां चंडीगढ़, पंजाबी भाषाई इलाके और दरियाई पानी पर अपना-अपना स्टैंड स्पष्ट करें। विधानसभा की सारी कार्रवाई का लाइव टैलीकास्ट करवाया जाए जिससे लोग भी सब कुछ देख सकें। 
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अदालत में दें केंद्र के फैसले को चुनौती
चीमा ने यह भी मांग की कि पंजाब सरकार केंद्र के ताजा तुगलकी फैसले को बिना देरी अदालत में चुनौती दे क्योंकि केंद्र ने पंजाब के हक पर कब्जा करते हुए उससे पूछने तक की भी जरूरत नहीं समझी। चीमा ने कहा कि 1966 में सांझे पंजाब के बदकिस्मत बंटवारे के समय चंडीगढ़ पर हरियाणा की तरफ से जताए लोकतंत्र विरोधी हक की दीवार में समय की केंद्र ने चंडीगढ़ को केंद्रीय शासित प्रदेश (यू.टी.) तो बनाया परंतु विवाद हल होने तक 60 फीसदी पंजाब और 40 फीसदी हरियाणा का कोटा निर्धारित कर दिया था। अब केंद्र ने खुद ही कब्जा करते हुए पंजाब कैडर के पदों को केंद्रीय कैडर में मिलाना शुरू कर दिया है, जो निंदनीय है। 
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इस्तीफा दें केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर
चीमा ने केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल से इस्तीफा मांगा और कहा कि वह अपनी सरकार होते हुए भी पंजाब के हकों की चौकीदारी नहीं कर सकतीं तो क्या सिर्फ कुर्सी के लिए ही मोदी मंत्रिमंडल में हैं? चीमा ने कहा कि आम आदमी पार्टी पंजाब के हकों के लिए सड़क से सदन और संसद से अदालत तक की लड़ाई लड़ेगी। चीमा ने कहा कि भारतीय संघीय ढांचे को कांग्रेस और भाजपा ने गहरी साजिश के साथ तोड़ा-मरोड़ा है। राज्य सूची और सांझी सूची (कनकरंट लिस्ट) में निर्धारित राज्यों के हकों को लगातार केंद्रीय सूची अधीन किया जा रहा है। 


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