High Court ने करोड़ों के स्पोर्ट्स हब प्रोजेक्ट पर लगाया स्टे, जानें क्या है पूरा मामला

punjabkesari.in Thursday, Sep 18, 2025 - 12:44 PM (IST)

जालंधर (खुराना): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बर्ल्टन पार्क स्पोर्ट्स हब प्रोजैक्ट पर अंतरिम स्टे ऑर्डर जारी कर दिया है। निगम की लापरवाही और पर्यावरण नियमों की अनदेखी के चलते यह प्रोजैक्ट एक बार फिर अधर में लटक गया प्रतीत हो रहा है। गौरतलब है कि कुछ सप्ताह पहले जालंधर नगर निगम ने जब इस प्रोजैक्ट के दायरे में आ रहे 56 पेड़ों की कटाई संबंधी अपना प्लान सार्वजनिक किया तो स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों में भारी रोष फैल गया। इसके बावजूद निगम ने उनकी शंकाओं का समाधान करना तो दूर, उल्टा बर्ल्टन पार्क में कूड़े का बड़ा सा डंप बना दिया, जिससे मजबूर होकर लोग अदालत तक पहुंच गए।

इसी क्रम में सीनियर सिटीजन की ओर से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई, जिस पर डबल बेंच में सुनवाई के दौरान अदालत ने जालंधर नगर निगम को नोटिस जारी किया और निर्माण कार्य पर अंतरिम रोक लगा दी। मामले की अगली सुनवाई अब 29 अक्तूबर को होगी।

12 साल पहले भी हाईकोर्ट कारण ही रुका था प्रोजैक्ट

करीब 12 साल पहले भी बर्ल्टन पार्क वैल्फेयर सोसायटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पेड़ों की कटाई पर रोक लगवाई थी। उस समय निगम ने शपथपत्र देकर भरोसा दिलाया था कि बिना एनवायरनमैंटल इंपैक्ट कमेटी की मंजूरी कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा। लेकिन मौजूदा अधिकारियों ने न तो पुरानी फाइलों की पड़ताल की और न ही सत्ताधारी नेताओं को समय रहते सचेत किया। नतीजतन, अब जब प्रोजैक्ट आगे बढ़ा और पेड़ काटने की नौबत आई तो मामला फिर से हाईकोर्ट पहुंच गया। निगम द्वारा पुराने कोर्ट आदेशों की अवहेलना पर अदालत की अवमानना याचिका भी दायर हो चुकी है, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर रखा है। उसपर भी अगले हफ़्ते सुनवाई होनी है।

500 करोड़ से शुरू होकर 77 करोड़ पर सिमट चुका है प्रोजैक्ट

बर्ल्टन पार्क स्पोर्ट्स हब प्रोजैक्ट की शुरुआत 2008 में 500 करोड़ रुपए के बजट से हुई थी। लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह ठंडे बस्ते में जाता रहा। अकाली-भाजपा सरकार में मेयर राकेश राठौर ने इस प्रोजेक्ट का सपना लिया, मगर उनकी ही पार्टी के नेताओं ने इसका विरोध कर दिया। राकेश राठौर ने जल्दबाजी में पुराने स्टेडियम को भी तुड़वा दिया, जिसे आज भी उनकी बड़ी भूल माना जाता है।

इसके बाद मेयर बने सुनील ज्योति भी इस प्रोजैक्ट को गति नहीं दे पाए। कांग्रेस सरकार ने पांच साल तक सिर्फ बड़े-बड़े वायदे किए, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए। नतीजतन, 500 करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट घटकर 77 करोड़ रुपए तक सिमट गया और फाइलों में ही अटका रहा। 2022 में जालंधर स्मार्ट सिटी कंपनी ने 77 करोड़ रुपए का टैंडर चंडीगढ़ की कंपनी एएस एंटरप्राइजेज प्राइवेट लि. को दिया था। कंपनी को 12 महीनों में काम पूरा करना था, लेकिन वह केवल चारदीवारी बनाने तक ही सीमित रही। बाद में निगम ने कंपनी का टेंडर रद्द कर दिया और उसकी 4 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जब्त कर ली। कंपनी ने निगम और स्मार्ट सिटी अधिकारियों पर सहयोग न करने और विजीलेंस जांच जैसे मुद्दों पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

मेयर, सांसद और हल्का इंचार्ज की कोशिशें भी विफल रहीं

कुछ महीने पहले मेयर बने वनीत धीर ने इस प्रोजैक्ट को फिर से शुरू करने की ठानी। उन्होंने तत्कालीन निगम कमिश्नर गौतम जैन, राज्यसभा सांसद डॉ. अशोक मित्तल और आम आदमी पार्टी से सैंट्रल हलके के इंचार्ज नितिन कोहली की मदद से पुराने ठेकेदार से बातचीत की। आप पार्टी में प्रभावशाली अमित बजाज जैसे दोस्तों का सहयोग लिया और पुराने ठेकेदार को दोबारा काम शुरू करने के लिए तैयार कर लिया गया।

ठेकेदार इस गारंटी पर तैयार हुआ कि इस बार सरकारी अफसर पूरा सहयोग करेंगे और कोई अड़चन नहीं डालेंगे। पुराने ठेकेदार से काम करवाने का फायदा यह था कि दोबारा टैंडर प्रक्रिया की जरूरत नहीं पड़ेगी और समय की बचत होगी।पर आज मामला जिस प्रकार अदालती चक्कर में उलझ गया है, माना जा रहा है कि इस प्रोजैक्ट को लेकर मेयर, सांसद और हल्का इंचार्ज द्वारा की गई मेहनत भी विफल हो सकती है।

आप सरकार की योजना को भी लगा धक्का

राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि आप सरकार इस प्रोजैक्ट को विधानसभा चुनाव में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करने की तैयारी कर रही थी। लेकिन निगम अधिकारियों की लापरवाही और पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी ने सरकार की छवि को गहरी चोट पहुंचाई है। इसी कारण इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान जैसे नेताओं ने अपने हाथ से किया था। अब देखना यह होगा कि निगम अधिकारी कानूनी लड़ाई में कितनी सक्रियता दिखाते हैं या यह प्रोजेक्ट एक बार फिर वर्षों तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहेगा।

इस संबंधी बातचीत करते हुए हरीश शर्मा (पर्यावरण प्रेमी, बर्ल्टन पार्क वैल्फेयर सोसायटी के महासचिव) ने कहा कि, बहुत दुखद है कि पर्यावरण और जनहित से जुड़े मामलों में सभी सरकारें बेहद संवेदनहीन हो जाती हैं, जिस कारण आम आदमी को अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए भी अदालतों की शरण लेनी पड़ती है। इससे लोगों का कीमती समय और पैसा दोनों ही बर्बाद होते हैं। यही बहुमूल्य समय और धन यदि शहर के विकास, पर्यावरण संरक्षण और मुल्क की तरक्की पर लगाया जाए तो देश को कहीं अधिक लाभ हो सकता है। दुर्भाग्य की बात यह है कि सत्ता में आते ही सरकारों और नेताओं के व्यवहार में अमानवीय परिवर्तन आ जाता है। आज आधुनिकता और विकास के नाम पर पर्यावरण और प्रकृति के साथ खुला खिलवाड़ किया जा रहा है।

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News Editor

Kamini

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