संघर्षशील कॉलेज शिक्षकों की समस्याओं का तत्काल हो समाधान : प्रो. सरचंद सिंह ख्याला

punjabkesari.in Friday, Feb 17, 2023 - 03:26 PM (IST)

अमृतसर: भाजपा के सिख नेता और भारत सरकार के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सलाहकार प्रो सरचंद सिंह ख्याला ने पंजाब में उच्च शिक्षा के लिए सरकार की नकारात्मक दृष्टिकोण की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष से घटाकर 58 वर्ष करना राज्य सरकार द्वारा उच्च शिक्षा को अपने एजेंडे से बाहर करने का स्पष्ट प्रमाण है। उन्होंने पंजाब सरकार के पक्षपातपूर्ण फैसले के खिलाफ कॉलेज अध्यापकों के तीखे संघर्ष का समर्थन किया और राज्य सरकार से इस संबंध में अपने फैसले को वापस लेने का आग्रह किया।

उन्होंने सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों को 95 प्रतिशत के स्थान पर 75 प्रतिशत अनुदान दिये जाने पर भी आपत्ति जताई और इस पर पुनर्विचार करने को कहा। उन्होंने कहा कि यह हमारे समाज के लिए बहुत बड़ी त्रासदी है कि पंजाब के सैकड़ों कॉलेजों के प्राध्यापक पिछले चार माह से धरना-प्रदर्शन कर अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सोई सरकार ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सितंबर 2022 में 7वें वेतन आयोग के वेतनमान लागू करने के संबंध में जारी अधिसूचना में सेवा नियमों से की गई 'छेड़छाड़' 44 साल पुराने अनुदान सहायता अधिनियम, 1979, पंजाब निजी तौर पर प्रबंधित संबद्ध और पंजाब सरकार सहायता प्राप्त कॉलेजों, पेंशन लाभ योजना, 1996 (निरसन) अधिनियम के अलावा सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के सेवा नियम 2012 की भी उल्लंघन है।

उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से न केवल शिक्षकों के वेतन और अन्य वित्तीय लाभ प्रभावित होंगे, बल्कि उन्हें समय से पहले बेरोजगार कर उनका भविष्य भी खराब कर देंगे। उन्होंने कहा कि आज तक किसी भी सरकार ने किसी भी वर्ग के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु या वेतन अनुदान में कटौती नहीं की है। उन्होंने राज्य सरकार से अपने शिक्षक विरोधी निर्णय को सही करने का आग्रह किया और 18 दिसंबर 2012 को तत्कालीन सरकार द्वारा सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष के बजाय 60 वर्ष करने की प्रथा को अनदेखा न करने की सलाह दी। 

उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य के लोगों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान करना राज्य सरकारों का कर्तव्य है। उन्होंने कॉलेजों में बिगड़ते शैक्षणिक माहौल और इससे हो रहे छात्रों की पढ़ाई के नुकसान के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि राज्य सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की प्रगति, समृद्धि और विकास को उसके शैक्षिक स्तर से मापा जाता है। लेकिन जिस देश/प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था ही जर्जर है और सरकारी षड़यंत्र के कारण शिक्षक सड़कों पर आन्दोलन करने को विवश हैं, वहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अवधारणा और लक्ष्य कैसे पूरा हो सकता है? उन्होंने कहा कि सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के कर्मचारियों को लंबित सी.ए.एस. प्रोन्नति, गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए संशोधित वेतनमान लागू करने सहित कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 

इस मौके पर उन्होंने राज्य सरकार से केंद्र सरकार की तर्ज पर सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने और केंद्रीय पैटर्न पर भत्तों को लागू करने के लिए सेवा नियमों में आवश्यक संशोधन करने की भी मांग की। इस अवसर पर करतारपुर कॉरिडोर कमेटी के समन्वयक सविंदरपाल सिंह तालिबपुर, ग्रंथी सभा पंजाब के अध्यक्ष भाई बलबीर सिंह कथ्याली, पंजाब हज कमेटी के सदस्य मुहम्मद युसूफ मलिक सहित अन्य उपस्थित थे।

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News Editor

Urmila

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