GST देने वाले हर कारोबारी के लिए अहम खबर, आने वाले दिनों में हो सकती है सख्ती

punjabkesari.in Saturday, Mar 18, 2023 - 12:28 PM (IST)

जालंधर : नगर निगम कमिश्नर अभिजीत कपलिश ने निगम की लाइसैंस शाखा के कामकाज में सुधार संबंधी जो प्लानिंग बनाई है, उसके मुताबिक जी.एस.टी. देने वाले हर कारोबारी को अब निगम से भी अनिवार्य रूप से लाइसेंस लेना होगा और हर साल उसकी निश्चित फीस अदा करनी होगी । इसके अलावा हर तरह का व्यापार इत्यादि करने वालों को भी यह लाइसैंस फीस देनी होगी। पता चला है कि निगम अधिकारियों ने कमिश्नर के निर्देशों पर जी.एस.टी. विभाग के जालंधर स्थित कार्यालय से शहर की सीमा में आते सभी कारोबारियों का डाटा मंगवा लिया है जो अगले सप्ताह निगम को उपलब्ध करवा दिया जाएगा। पता चला है कि ऐसे कारोबारियों के रजिस्टर्ड पते पर जहां निगम की ओर से नोटिस भेजे जा सकते हैं, वहीं जी.एस.टी. विभाग के पास इन कारोबारियों के जो मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड हैं, उन के माध्यम से एस.एम.एस. अलर्ट भी भेजे जा सकते हैं।

नए अधिकारियों ने संभाला कार्यभार, बनाई प्लानिंग

कमिश्नर के निर्देशों पर निगम के सैक्रेटरी अजय कुमार के अलावा सुपरिंटैंडैंट हरप्रीत सिंह वालिया ने निगम की लाइसैंस शाखा का कार्यभार संभाल लिया है और पहले ही दिन उन्होंने सारी कार्यप्रणाली को रिव्यू किया। जल्द ही निगम अधिकारी प्रचार अभियान चलाकर संबंधित लोगों को लाइसैंस फीस देने हेतु अपील करेंगे। 31 मार्च तक लाइसेंस फीस जमा करवाने वालों की भीड़ को देखते हुए कैंप इत्यादि लगाने का काम अप्रैल महीने में करने का फैसला लिया गया। माना जा रहा है कि अगले महीने से डिफाल्टरों विरुद्ध सीलिंग जैसी सख्ती भी की जा सकती है।

इस साल केवल 7200 लोगों ने निगम से लिया लाइसैंस

हालांकि हर कारोबारी के लिए निगम से लाइसैंस लेना अनिवार्य है और इस संबंधी फीस भी बहुत थोड़ी सी है परंतु फिर भी लोग इससे बच रहे हैं। पता चला है कि साल खत्म होने को है परंतु अब तक केवल 7200 लोगों ने ही निगम से लाइसैंस लिया है जबकि शहर में तरह-तरह का कारोबार करने वालों की संख्या एक लाख से भी ज्यादा है। 55 हजार लोगों के पास तो रजिस्टर्ड जी.एस.टी. नंबर है और हजारों छोटे दुकानदार इस नंबर के बिना भी काम कर रहे हैं।

दवाओं की दुकानों से कभी नहीं लिया गया टैक्स

संबंधित निगम अधिकारियों ने बताया कि लाइसेंस शाखा के अधिकारियों ने आज तक दवाओं की दुकानों से लाइसैंस फीस नहीं प्राप्त की। इसके पीछे दवा विक्रेताओं द्वारा तर्क दिया जा रहा था कि वह ड्रग विभाग के लाइसैंसी हैं इसलिए निगम को फीस नहीं देंगे परंतु निगम के पास जो रेट लिस्ट उपलब्ध है उसके अनुसार दवाओं का होलसेल और रिटेल कारोबार करने वालों के लिए अलग-अलग फीस निर्धारित है। सर्जिकल आइटमों के लिए अलग से लाइसेंस लेना होगा।

खास बात यह है कि लाइसेंस लेने की फीस 25 से 30 साल पुरानी है इसमें संशोधन ही नहीं हुआ । अब निगम कमिश्नर द्वारा सरकार को लिखकर नए रेट लागू करने की मांग की जा सकती है। नए अधिकारियों ने शाखा कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं कि वह अब आगे से हर दुकान की लाइसैंस फीस उस द्वारा बेचे जाते सामान के हिसाब से लें और टैक्स लेने के मामले में की जाती मनमर्जी को बिल्कुल बंद किया जाए ।

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News Editor

Urmila

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