कुदरत को आया तरसः बारिश के बाद सुधरा एयर क्वालिटी इंडैक्स

punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2019 - 09:04 AM (IST)

जालंधर(बुलंद): शहर के वायु प्रदूषण को कम करने में प्रशासन व सरकार पूरी तरह से विफल रहे हैं। न तो सरकार की सख्ती के बाद पराली जलाने के केसों में कमी आई है और न ही कूड़ा जलाए जाने पर रोक लग सकी है। वहीं आज भी शहर की कई सड़कों पर कूड़े को जलाए जाने की खबरें सामने आईं, जिस पर कार्रवाई करने से जिला प्रशासन बचता दिखा। वहीं, दिन भर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी व प्रशासन के अधिकारी पराली जलाने से रोकने को लेकर बैठकें करते रहे।

वहीं दूसरी ओर कुदरत को शायद प्रदूषण से तड़पते लोगों की हालत देख कर कुछ तरस आ गया और वीरवार शाम शहर में हुई बारिश के बाद एयर क्वालिटी इंडैक्स में तकरीबन 100 प्वाइंटों की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले कुछ दिनों से शहर के ए.क्यू.आई. का आंकड़ा जोकि 300 को टच कर रहा था वह बारिश के बाद 170 के आस-पास दिखा, जिससे प्रशासन और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के कर्मचारियों के चेहरे भी कुछ खिले दिखे।

आंकड़ों का खेल और जमीनी हकीकत में फर्क
प्रशासन की बैठकों के दौरान आंकड़ों के इस खेल में कुछ अधिकारी अपनी पीठ थपथपाते दिखे कि हमने पराली जलाने वाले किसानों पर केस दर्ज कर दिए हैं और लाखों रुपए जुर्माना लगाया है। पर एक सवाल पर सभी चुप दिखे कि प्रदूषण कम क्यों नहीं हो रहा। बैठक में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों का कहना था कि पराली के अलावा ट्रैफिक व ट्रांसपोर्ट विभाग को वाहनों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगानी होगी। वाहनों के कारण वातावरण में कार्बन की मात्रा बढ़ रही है जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। वहीं प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि नगर निगम कूड़े की समस्या का हल नहीं ढूंढ पा रही और शहर में कूड़े-कर्कट को जलाए जाने की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं।

पराली मामले में दर्ज केसों के बाद किसान संघर्ष की राह पर
उधर, एन.जी.टी. और सुप्रीम कोर्ट के डंडे के बाद पंजाब सरकार ने राज्य के हजारों किसानों पर केस दर्ज करके यह दिखाने की कोशिश की कि पराली जलाए जाने के मामले में सरकार कितनी गंभीर है लेकिन यह कोशिश सरकार के गले की फांस बन सकती है। किसान नेताओं ने कहा कि आज किसान यूनियनों के कुछ नेता एक बैठक करने जा रहे हैं जिसके बाद राज्य में किसानों पर दर्ज हो रहे केसों को लेकर संघर्ष की राह अख्तियार होगी। एक किसान नेता ने कहा कि अभी संघर्ष की बात करना ठीक नहीं, पहले सरकार के साथ बैठक होगी।

प्लास्टिक का कूड़ा बन रहा प्रदूषण का बड़ा कारण
शहर में चाहे बारिश ने पराली को भी गीला कर दिया है जिस कारण अब कुछ दिन जिले में पराली तो नहीं जलेगी लेकिन शहर में बिखरे कूड़े-कर्कट को जलने से कैसे रोका जाए, इसे लेकर प्रशासन को कड़े इंतजाम करने होंगे। इस बारे में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि कई बार नगर निगम को कूड़े की निकासी व उसे न जलाने को लेकर जागरूकता फैलाने बारे लिखा गया है लेकिन निगम प्रशासन से कूड़े का कोई उपाय नहीं निकल रहा है। अधिकारी ने बताया कि नैशनल हाईवे के आसपास ही कूड़े के ढेर सड़कों पर फैले हुए हैं, जिनमें मुख्य तौर पर रबड़ व प्लास्टिक का कूड़ा है। जब इसे आग लगती है तो इससे जहरीली गैसें निकलती हैं।

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Sunita sarangal

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