भारत-पाक सरहद पर बसे लोग नहीं चाहते लड़ाई
punjabkesari.in Tuesday, Apr 23, 2019 - 08:28 AM (IST)
तरनतारन(रमन): पाकिस्तान में मोदी सरकार द्वारा करवाई गई एयर स्ट्राइक के बाद अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते बंद पड़े व्यापर पर अकाली दल चुप क्यों बैठा है, जबकि देश के प्रधानमंत्री अपनी हर चुनावी रैली में बालाकोट पर किए हमले की तारीफ करते नहीं थकते। यह बात हलका तरनतारन के विधायक डा. धर्मबीर अग्निहोत्री ने कही। उन्होंने कहा की बालाकोट में की आतंकियों के ठिकानों को तबाह करने के लिए किया गया हवाई हमला पंजाब वासियों के व्यापार में बाधा डाल रहा है।
उन्होंने कहा कि पंजाब के बॉर्डर पर बसे लोग नहीं चाहते की दोनों देशों में लड़ाई हो। बालाकोट हमले से अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते वर्षों से हो रहा व्यापार बंद होकर रह गया है। इससे भारत-पाक सीमा से जुड़े जिले तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर के हजारों लोगों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। उन्होंने कहा कि अकाली दल इस बहुत जरूरी मुद्दे पर लोगों को बताए कि मोदी सरकार पंजाब मे सरहद पर व्यापार को शुरू करवाने पर क्या काम कर रही है जिससे लोग अपने परिवारों का पेट पाल सकें।
लड़ाई का संताप झेल चुके सीमा पर बसे गांव खेमकरण निवासी गुरदीप सिंह ने बताया की 1965 की जंग में वह 13 साल के थे तब दोनों देशो में शुरू हुई लड़ाई में अमृतसर के साथ लगते गांवों को बहुत नुक्सान हुआ था। उस समय जिला अमृतसर के गांव भला पिंड में रहने वाले पृथ्वी राज ने बताय की तब वह 14 साल के थे और गांव हर्षा छीना के सरकारी स्कूल की 9वीं कक्षा में पड़ते थे।
उन्होंने बताया कि भारत की तरफ से लाहौर पर चढ़ाई करते हुए उनका काफी ज्यादा क्षेत्र कब्जे में लिया गया था। इस दौरान छहर्टा (अमृतसर) के बाजार में पाकिस्तान द्वारा फैंके गए बम से बहुत नुक्सान हो गया था। इसी तरह डी.एन. चावला ने बताया कि 1971 की जंग में भी लोगों को अपने घर छोड़ कहीं ओर जाना पड़ा था जिससे लोगों का व्यापार ठप्प हो गया। लड़ाई के संकेत मिलते ही आज भी सरहद पर बसते लोग तौबा करनी शुरू कर देते हैं।