Alert! कोरोना के बाद ये नया Virus मचा सकता है कहर, जानें Symptoms

punjabkesari.in Thursday, Mar 16, 2023 - 03:57 PM (IST)

अमृतसर (दलजीत, सहगल): लंबे समय से खांसी, जुकाम, बुखार से परेशान मरीज सावधान हो जाएं। कोरोना के बाद अब एच-3 एन-2 वायरस तेजी से पैर पसारने लगा है। यह वायरस मौसम बदलने के साथ संक्रमण फैला रहा है। इस वर्ष भारत में 2 से 3 गुना ज्यादा केस उपरोक्त वायरस के दर्ज किए गए हैं, जबकि कुल इफेक्टेड मरीजों में से 5 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है। यदि समय पर इस वायरस का इलाज न करवाया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। वायरस को लेकर लोगों में काफी दहशत पाई जा रही है।

जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस के बाद अब भारत में उपरोक्त नया वायरस तेजी से फैल रहा है। दवा खाने के बावजूद मरीजों को खांसी, जुकाम, बुखार की बार-बार शिकायतें दर्ज की जा रही है। प्रतिदिन इस वायरस की लपेट में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। कोरोना के बाद इनफ्लुएंजा का वायरस दुनिया में अपना कहर बरपा सकता है और एक बार फिर से 1918 में कहर बरपा चुके स्पेनिश फ्लू की तरह हालात बन सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन 2 साल पहले ही इस कहर की आशंका व्यक्त कर चुका है, अपने न्यूज़लेटर में इस इनफ्लुएंजा वायरस के कहर से सवा 2 करोड़ से 3.50 करोड़ मौतों की संभावना व्यक्त की जा चुकी है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी शुरुआत हो चुकी है, जिसका उदाहरण आज खांसी और जुकाम के बढ़ते मामलों से देखा जा सकता है। लोगों को कई सप्ताहों और महीनों तक खांसी पीछा नहीं छोड़ रही और इससे के लोग निमोनिया का शिकार हो जाते हैं। वायरस हिमोग्लूटेन और न्यूरॉनमेनीडेज से मिलकर बना है।

इनफ्लुएंजा का वायरस चार तरह का होता है, जिसे ए, बी, सी, डी के नाम से जाना जाता है। यह इनफ्लुएंजा ए कैटेगरी का वायरस है, यह वायरस हर वर्ष लोगों को कई बार जुकाम की शक्ल में सामने आता है और साल में तीन से चार बार लोग इसका शिकार होते हैं और ठीक भी हो जाते हैं परंतु अब हालात पहले जैसे नहीं रहे, पहले जुकाम बिना दवा के सप्ताह में ठीक हो जाता था, परंतु वह यह जुकाम नहीं जो किताबों में पढ़ाया गया है। उन्होंने बताया कि एच-3 एन-2 नामक वायरस इनफ्लुएंजा की एक किस्म है, परंतु अब इसका स्वरूप बदल चुका है और आई.सी.एम.आर. भी इस पर चिंता प्रकट कर चुका है। उन्होंने बताया कि अब तक सामने आई रिपोर्ट में 92 प्रतिशत लोगों को बुखार, 86 प्रतिशत लोगों को खांसी, 27 प्रतिशत लोगों को सांस लेने में दिक्कत, जबकि 16 प्रतिशत लोगों को सांस लेने पर छाती से सीटी की आवाज सुनती है और इन्हीं में से कई मामले निमोनिया में तब्दील हो जाते हैं। इसके अलावा 6 प्रतिशत लोगों को मिर्गी का दौरा भी पड़ता देखा गया है। इन मामलों में 10 प्रतिशत लोगों को ऑक्सीजन स्पोर्ट पर रखना पड़ रहा है, जबकि 7 प्रतिशत को आई.सी.यू. में भर्ती किया जा रहा है। यह आंकड़े काफी खतरनाक माने जा रहे हैं, क्योंकि लोगों विशेषकर बच्चों में खांसी कई सप्ताह तक बनी रहती हैं और डॉक्टर एंटीबायोटिक के अलावा स्टेरॉइड दे देकर इस पर काबू पाने की कौशिश करते हैं। दवाइयों के अधिक इस्तेमाल के कारण लोगों में साइड इफैक्ट देखने को मिल रहे हैं। लोगों को इसे हलके में नहीं लेना चाहिए और सावधानी के तौर पर कोरोना वायरस की तरह नियमों का पालन करना चाहिए फतवा, यह कोरोना से बदतर हालात पैदा कर सकता है।

यह है लक्षण
विशेषक्षों का कहना है कि एच-3, एन-2 वायरस के लक्षण सीजनल कोर्ट और कब की तरह होते हैं। खांसी, नाक बहना, नाक बंद होना, गले में खराश, सिर दर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी, थकान, सांस फूलना, ठंड लगना, दस्त लगना मुख्य कारण है। इन दिनों इनफ्लुएंजा वायरस के सब वैरियंट उपरोक्त की वजह से अपनी तेजी से फैल रहा है। लोगों को सावधानियां बरतनी चाहिए तथा मास्क का प्रयोग करना चाहिए। सावधानी से ही सुरक्षा की जा सकती है, स्वास्थ्य विभाग की गाइडेंस की भी पालना करनी चाहिए यह वायरस हवा के माध्यम से फैलता है।

15 साल से कम व 50 साल से ज्यादा उम्र के मरीजों के लिए खतरनाक है वायरस
उनका 
कहना है कि यह वायरस मौसम के बदलने के साथ संक्रमण लाता है। ज्यादातर 15 साल से कम और 50 साल से ज्यादा उम्र के मरीजों को यह वायरस अपनी जकड़ में लेता है तथा उपरोक्त कैटेगरी के मरीज ही अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आती है। उन्होंने कहा कि लंबी खांसी, जुकाम व बुखार रहने पर तुरंत डॉक्टरों से सलाह मशवरा करना चाहिए, ताकि बीमारी को अधिक होने से बचाया जा सके।

सिविल सर्जन ने भी जारी किया जिले में अलर्ट
सिविल
 सर्जन डॉक्टर चरणजीत सिंह ने बताया कि उपरोक्त वायरस को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा गाइडलाइन जारी की गई है। जिले में नए लेकर पूरी मुस्तैदी से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं कि सरकारी अस्पतालों के फ्लू कॉर्नर पर सैंपलिंग की जाए मरीजों का उपचार करते समय मैडीकल और पैरा-मैडीकल स्टाफ बिना मास्क और दस्तानों के न रहे। सभी सरकारी अस्पतालों को इस वायरस के प्रति पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए और अपने आइसोलेशन वार्ड तथा वैंटिलेटरस को चालू मोड में रखना चाहिए। इसके अलावा वार्ड में ऑक्सीजन की सप्लाई और स्कशन मशीन के साथ साथ दवाइयों का पूरा स्टॉक रखा जाना चाहिए। अस्पतालों की प्रमुख स्थानों पर बोर्ड लगाकर इस वायरस को लेकर क्या करें और क्या न करें, सावधानियां लिखी जानी चाहिए, ताकि आने वाले लोग व मरीज इसे आसानी से पढ़ सके।


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Content Writer

Vatika

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