सनी देयोल को लेकर जरूरी खबर, भाजपा ले सकती है यह फैसला
punjabkesari.in Thursday, Nov 03, 2022 - 12:42 PM (IST)

गुरदासपुर(विनोद): गुरदासपुर लोकसभा हल्के से जब सनी देओल वर्ष 2019 में चुनाव जीते थे तो लोगों को बहुत आशा थी कि वह भी सिने कलाकार विनोद खन्ना की तरह इस हल्के के विकास के लिए यत्नशील रहेंगे। विनोद खन्ना द्वारा रावी तथा ब्यास दरिया पर विशाल पुल बनाने के कारण उसे पुलों वाला सांसद के रूप में नया नाम मिला था। पंरतु उसकी मौत के बाद भाजपा ने सिने कलाकार सनी देओल को अपना उम्मीदवार बना कर हल्के में उतारा था और वह तब कांग्रेस के सांसद सुनील जाखड़ को हराने में सफल भी हो गए थे।
परंतु जिस तरह से सनी देओल की इलाके के प्रति उदासीनता दिखाई दी तथा लगभग तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी वह हल्के के लोगों और भाजपा पार्टी से दूरी बनाए हुए हैं, उससे भाजपा वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक बार फिर नया चेहरा तलाश कर रही है जो भाजपा के खाते में यह सीट डाल सके। इस संबंधी बेशक कुछ स्थानीय नेता गुरदासपुर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा प्रकट कर रहे हैं पंरतु भाजपा तथा कांग्रेस की यह बदकिस्मती रही है कि दोनो ही राजनीतिक दल इस सीट पर स्थानीय की बजाए बाहरी नेता को प्राथमिकता देते रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार इस समय सनी देओल की राजनीति में दिलचस्पी न दिखाए जाने तथा लोकसभा हल्का गुरदासपुर मे उनके द्वारा किसी भी तरह की राजनीतिक हलचल न किए जाने के कारण भाजपा ने नए नेता की तलाश शुरू कर दी है। वैसे तो कुछ स्थानीय नेता भी लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं जिनमें भाजपा के पंजाब प्रधान व पठानकोट निवासी अश्विनी शर्मा, पठानकोट के मेयर रह चुके अनिल वासुदेव तथा एक-दो अन्य नेता भी इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए बात करते हैं। परंतु हालात से लगता है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा बाहरी उम्मीदवार को ही चुनाव मैदान में उतारेगी।
इस संबंधी इकट्ठी की गई जानकारी के अनुसार इस समय वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए जो बाहरी उम्मीदवार दावेदार है उनमें मुख्यता कांग्रेस को अलविदा कह कर आए गुरदासपुर के पूर्व सांसद सुनील जाखड़, पूर्व सांसद विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना तथा भाजपा की तरफ से एक बार चुनाव लड़ चुके स्वर्ण सलारिया मुख्य हैं। परंतु इनमें से पार्टी किसे टिकट देगी अभी तक यह तो पार्टी ने भी निश्चित नहीं किया है। परंतु सबसे मजबूत दावेदार सुनील जाखड़ को माना जाता है। यहां तथा स्थानीय नेताओं की बात है उनका आधार पठानकोट या हिन्दु इलाके सुजानपुर, भोआ तथा दीनानगर तक सीमित है और वह गुरदासपुर, कादियां, बटाला, श्री हरगोबिंदपुर, फतेहगढ़ चूड़ियां तथा डेरा बाबा नानक हल्के में अपना प्रभाव नहीं रखते हैं क्योंकि यह सभी इलाके सिख बहुमत वाले इलाके हैं।
जहां तक सनी देओल का संबंध है उन्होंने हल्के के लोगों से किए एक भी वादे को पूरा नहीं किया। कोरोना काल में उन्होंने गुरदासपुर, बटाला तथा पठानकोट अस्पतालों मे एम्बुलेंस जरूर लेकर दी थी जबकि रावी दरिया पर मकोड़ा पत्तन पर 100 करोड़ रूपए की लागत से बनने वाले पुल संबंधी मंजूरी पत्र दिखाने के बावजूद आज तक वहां काम शुरू नहीं हुआ। इलाके के औद्योगिक विकास तथा बेरोजगारी को दूर करने संबंधी भी कुछ नहीं किया गया। गुरदासपुर में बन रहे रेलवे अंडर पास पर भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जबकि गुरदासपुर में जिस मेडिकल कॉलेज के खोलने की बात भी चली थी उस संबंधी भी सनी देओल ने आज तक कुछ नहीं किया।
इसलिए सूत्रों का कहना है कि गुरदासपुर में एक बार फिर भाजपा किसी नए नेता को मैदान में उतारने की तैयारी में है। वह भी किसी बाहरी नेता को ही प्राथमिकता देगी। सूत्र इस बारे में भी बात करते हैं कि देश की आजादी से लेकर भाजपा व कांग्रेस आज तक लोकसभा चुनाव के लिए एक भी स्थानीय उम्मीदवार को तैयार नहीं कर सके जो इस हल्के के लोगों की बदकिस्मती है।
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