2022 के चुनाव के लिए फिर 2017 वाले “ट्रैक” पर निकल पड़ी है आम आदमी पार्टी ?

punjabkesari.in Saturday, May 15, 2021 - 02:15 PM (IST)

जालंधर (पाहवा): पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं जिसके लिए सभी राजनीतिक दलों की तरफ से जोर आजमाइश शुरू की जा चुकी है। शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी सहित कई अन्य छोटे-बड़े दल इन चुनावों में सत्ता सुख पाने के लिए इस समय जमीनी स्तर पर काम शुरू कर चुके हैं। सभी दलों को समय-समय पर पंजाब के लोग किसी ना किसी तरह से आजमा चुके हैं। चाहे वह भाजपा-शिरोमणी अकाली दल हो या कांग्रेस।  इन सब के बीच एक पार्टी ऐसी है जिसे अभी फिलहाल पंजाब के लोगों ने आजमाया तो नहीं है लेकिन भाजपा-अकाली दल व कांग्रेस के विकल्प के तौर पर इस दल को अब तक देखा जा रहा है।

आम आदमी पार्टी दिल्ली में सत्ता में आई लेकिन पंजाब में इस पार्टी को उम्मीद के अनुसार ना तो वोट मिले तथा ना ही समर्थन। 2017 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को एक बड़े विकल्प के तौर पर देखा जा रहा था लेकिन जो चुनावों के परिणाम सामने आए उसमें इस पार्टी की जो हालत हुई वह उम्मीद से काफी परे थी।  पंजाब में आम आदमी पार्टी एक बार फिर से अपनी सत्ता कायम करने के लिए प्रयास में जुट गई है लेकिन जो गलती इस पार्टी ने 2017 में की है वही गलती 2022 में करने की तैयारी की जा रही है। 

दरअसल 2017 में आम आदमी पार्टी ने पंजाब के लिए किसी भी सीएम पद के चेहरे की घोषणा नहीं की। “केजरीवाल-केजरीवाल सारा पंजाब तेरे नाल” के नारे के साथ पंजाब में पार्ची मैदान में तो उतरी लेकिन पंजाब में पार्टी सत्ता में आई तो सीएम कौन होगा, यह बात न पंजाब के लोग जानते थे तथा न पार्टी खुद।  यही एक कारण था कि पंजाब में पार्टी को उस तरह का समर्थन नहीं मिल पाया जिस तरह की उम्मीद पार्टी को थी। 

गलती पर गलती
दूसरी गलती जो पार्टी ने 2017 के चुनावों में की वो थी टिकटों का ऐलान। पार्टी के साथ पुराने दौर से जुड़े लोगों को दरकिनार कर जुम्मा जुम्मा चार दिन पहले पार्टी में आने वाले लोगों को टिकट थमा दिया गया जिसके कारण पार्टी में रोष फैल गया। इस रोष का असर यह हुआ कि पंजाब में आम आदमी पार्टी के जो उम्मीदवार खड़े थे उनको लेकर उचित ढंग से चुनाव प्रचार भी नहीं हो पाया। अब जब वह दौर निकल चुका है और 2022 का दौर आने वाला है तो इस बीच भी आम आदमी पार्टी पंजाब में वह स्तर हासिल नहीं कर पा रही है जिसकी उम्मीद लोगों ने पार्टी से लगाई थी।

बेशक पंजाब में आम आदमी पार्टी अपनी सत्ता कायम नहीं कर सकी लेकिन पंजाब में विपक्षी दल के तौर पर एक मजबूत दल के तौर पर पार्टी ने अपनी जगह बनाई लेकिन विपक्षी दल के तौर पर भी पार्टी वह सफलता हासिल नहीं कर पाई है। पंजाब के लोगों के हक की बात हो, समय पर मोबाइल, रोजगार देने की बात हो तो प्रदेश की कांग्रेस सरकार को घेरने में भी आम आदमी पार्टी उस स्तर को नहीं हासिल नहीं कर पाई। दिल्ली में जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने अपना काम किया उस तरह अगर पंजाब में पार्टी काम करती, चाहे विपक्ष के तौर पर ही पार्टी पंजाब में मजबूती हासिल करती तो शायद 2022 में पार्टी के लिए विधानसभा चुनावों में उतरना इतना मुश्किल नहीं होता। 

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न सीएम पद का चेहरा न ही बेबाक वक्ता
सक्षम नेता की कमी झेल रही आम आदमी पार्टी के लिए मौजूदा स्थिति में पंजाब पर काबिज होना इतना आसान नहीं है। बेशक लोग बदलाव चाहते हों लेकिन पंजाब के लोग इस तरह का बदलाव चाहते हैं जो पंजाब या पंजाबियत की बात करने में सक्षम हों। आम आदमी पार्टी के लिए इस समय यह सबसे बड़ा चिंता का विषय है और पार्टी को इस मसले पर गंभीरता से सोचना पड़ेगा।

आम आदमी पार्टी के पास ना तो सीएम पद के लिए कोई मजबूत चेहरा है तथा ना ही पार्टी के पास कोई ऐसा स्टार प्रचारक या स्टार प्रवक्ता है जो पार्टी को बुलंदियों पर ले जाए। कुल मिलाकर पंजाब में भगवंत मान ही एक ऐसा नेता है जिसके दम पर पार्टी प्रदेश में सत्ता कायम करना चाह रही है लेकिन वह सब इतना आसान नहीं है।

कैप्टन-बादल-सिद्धू के स्तर को कोई नहीं
पंजाब में पार्टी के पास उस स्तर के नेता नहीं है जो लोगों के बीच में जाकर लोगों को क्या मिलना चाहिए या पिछली सरकारों ने लोगों को क्या नहीं दिया, उस बात का प्रचार कर सकें। अगर बात करें शिरोमणि अकाली दल भाजपा या कांग्रेस की तो इन दलों के पास प्रवक्ता के तौर पर कई बड़े चेहरे हैं जो शब्दों का बाण चलाने में माहिर हैं। चाहे बात कैप्टन अमरिंदर सिंह की हो प्रकाश सिंह बादल हों, नवजोत सिंह सिद्धू हों या फिर सुखबीर बादल। 
दिलचस्प लेकिन चिंता की बात है कि आम आदमी पार्टी के पास ऐसा कोई भी कदम और नेता नहीं है जो जो लोगों तक अपनी बात रख सकता हो। पंजाब के लोग क्या सरकारों से उम्मीद रखते हैं यह लोगों को पता है लेकिन विपक्षी दल हो या कोई भी दल उसे एक ऐसा नेता चाहिए होता है जो लोगों की भावनाओं को भुना कर उसे वोट बैंक में बदलने की ताकत रखता हो, जो कि शायद आम आदमी पार्टी के पास नहीं है।

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Content Writer

Tania pathak

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