केंद्र सरकार के पास पहुंचा Jalandhar Smart City घोटालों का रिकार्ड, जल्द होगा Action

punjabkesari.in Saturday, Apr 19, 2025 - 10:05 AM (IST)

जालंधर(खुराना):  जालंधर जैसे छोटे से शहर पर स्मार्ट सिटी फंड के 900 करोड़ रुपए से अधिक पैसे खर्च हो चुके हैं पर आरोप लग रहे हैं कि ज्यादातर पैसा घोटालों और लापरवाही की भेंट चढ़ गया। केंद्र और पंजाब सरकार की एजेंसियों के पास घोटालों से संबंधित ठोस रिकॉर्ड मौजूद होने के बावजूद जांच प्रक्रिया धीमी चल रही है। सूत्रों के मुताबिक, पंजाब सरकार से टेक्निकल टीमें उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है ताकि प्रोजैक्ट्स की गहन जांच हो सके। माना जा रहा है कि पंजाब में विधानसभा चुनावों से पहले पहले केंद्र सरकार की एजैंसी और स्टेट विजीलैंस का कोई न कोई एक्शन निश्चित है। चूंकि स्मार्ट सिटी जालंधर के कई प्रोजेक्टों का फाइनेंशियल ऑडिट हो चुका है इसलिए माना जा रहा है कि अब जल्द ही टेक्निकल ऑडिट होगा जिसमें ठेकेदारों द्वारा किए गए घटिया कामों के सबूत सामने आएंगे और अफसरों की मिलीभगत का भी पता चलेगा।

करोड़ों का बजट था, समझदारी से नहीं बने प्रोजैक्ट
केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी फंड से जालंधर को आधुनिक और सुंदर बनाने के लिए अरबों रुपये खर्च किए गए, लेकिन ज्यादातर प्रोजैक्ट्स का कोई ठोस असर नजर नहीं आ रहा। स्मार्ट रोड्स, चौक सौंदर्यकरण, एलईडी लाइट्स और पार्क जैसे प्रोजेक्ट्स में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। आरोप है कि करोड़ों रुपये गलियों-नालियों और फिजूलखर्ची पर बहा दिए गए, जबकि कई प्रोजैक्ट्स भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने करीब पौने तीन साल पहले स्मार्ट सिटी के 60 प्रोजेक्ट्स की जांच का जिम्मा स्टेट विजीलैंस को सौंपा था। विजीलैंस ने कई प्रोजेक्ट्स की फाइलें कब्जे में लेकर जांच शुरू की, लेकिन कई कारणों के वजह से जांच में देरी हो रही है।

संबंधित अधिकारियों की बन चुकी है सूची, कई जवाबदेह बनेंगे
जालंधर स्मार्ट सिटी घोटाले में जूनियर इंजीनियर (जे.ई.) से लेकर सी.ई.ओ. स्तर तक के अधिकारी निशाने पर हैं। सूत्रों के अनुसार, सिविल, मैकेनिकल, इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के अलावा लीगल और अकाउंट्स विभाग के अधिकारी भी जवाबदेही के दायरे में आ सकते हैं। विजीलैंस ने उन अधिकारियों की सूची तैयार कर ली है, जो गड़बड़ियों के दौरान तैनात थे। यह सूची जालंधर स्मार्ट सिटी से ही मांगी गई थी ।

कैग से ऑडिट करवा चुकी है केंद्र सरकार, कई गड़बड़ियों का पता चला
कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) की ऑडिट रिपोर्ट में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं उजागर हुई हैं।खास तौर पर 2021 और 2022 में, जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी, सबसे ज्यादा घोटाले हुए। इस दौरान कुछ ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया और सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। 2021-22 में 265 करोड़ और 2022-23 में 270 करोड़ से अधिक खर्च किए गए, जबकि इससे पहले 6 सालों में कुल 100 करोड़ भी खर्च नहीं हुए थे। भाजपा के कई नेताओं, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, साध्वी निरंजन ज्योति और अनुराग ठाकुर शामिल हैं, ने जालंधर स्मार्ट सिटी घोटाले की केंद्रीय एजैंसी से जांच की मांग की थी। मेघवाल के पत्र के बाद केंद्र सरकार ने जालंधर स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की और एक टीम ने घोटालों का रिकॉर्ड जुटाया। माना जा रहा है कि जांच में देरी के कारण कई ठेकेदारों ने घटिया काम को रिपेयर कर घोटालों पर पर्दा डाल लिया है। कई प्रोजेक्ट्स का तो नामो-निशान तक मिट चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि कैग के फाइनेंशियल ऑडिट के बाद अब टेक्निकल ऑडिट जरूरी है। माना जा रहा है कि यदि विजीलैंस एफ.आई.आर. दर्ज करती है तो जे.ई. से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक पर कार्रवाई हो सकती है। इसमें रिटायर्ड अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। जनता और विपक्षी नेताओं की मांग है कि केंद्र और राज्य सरकारें जांच को तेज करें ताकि दोषियों को सजा मिले और जालंधर स्मार्ट सिटी के नाम पर हुए भ्रष्टाचार का हिसाब हो।


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Vatika

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