कुछ अफसरों, ठेकेदारों के लिए ‘नोट छापने वाली मशीन’ बन गई थी जालंधर स्मार्ट सिटी, जानें कैसे

punjabkesari.in Sunday, Feb 05, 2023 - 11:17 AM (IST)

जालंधर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी मिशन लॉन्च करके देश के 100 शहरों का चुनाव किया था ताकि यहां रहने वाले लाखों करोड़ों लोगों को बेहतर मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जा सकें और आधुनिक टैक्नोलॉजी के माध्यम से करोड़ों अरबों रुपए खर्च करके इन लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सके। जब देश के 100 शहरों की सूची में जालंधर का नाम भी जुड़ा तो यहां लोगों ने गर्व महसूस किया था और आशा जगी थी कि अब शहर के सौंदर्यीकरण में और सुधार होगा और वर्ल्डक्लास की सुविधाएं इस शहर को प्राप्त होंगी परंतु लोगों को क्या पता था कि स्मार्ट सिटी मिशन लांच होने के बाद उनकी समस्याओं में पहले से भी ज्यादा वृद्धि हो जाएगी और शहर स्मार्ट बनने की बजाय और पीछे चला जाएगा।

7 साल से ज्यादा अर्से के दौरान जालंधर स्मार्ट सिटी ने शहर के लिए 60 से ज्यादा प्रोजैक्ट बनाए जिनमें से 30 प्रोजैक्ट पूरे किए जा चुके हैं और करीब 34 प्रोजैक्ट अभी भी लटक रहे हैं। कई प्रोजैक्ट तो शुरू ही नहीं किए जा सके। इस प्रकार जालंधर स्मार्ट सिटी शहर को नई लुक देने की बजाय कुछ अफसरों और ठेकेदारों के लिए केवल ‘नोट छापने वाली मशीन’ बन कर रह गई। यही कारण है कि पिछले समय दौरान जालंधर स्मार्ट सिटी में हुए भ्रष्टाचार की जांच का जिम्मा अब पंजाब सरकार ने विजीलैंस ब्यूरो को सौंप रखा है।

जालंधर स्मार्ट सिटी के ठेकेदारों से कमीशन लेकर और करोड़ों रुपए के प्रोजैक्ट अपने चहेतों को देकर किस अफसर ने कितने पैसे कमाए, चाहे इसकी चर्चा पूरे शहर में है परंतु इस मामले में विजिलैंस ब्यूरो के अधिकारी कोई जल्दबाजी नहीं दिखाना चाह रहे और फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। आने वाले दिनों में जालंधर स्मार्ट सिटी के भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा खुलासा हो सकता है।

अफसरों की जिम्मेदारी फिक्स ना होने के चलते हालात खराब हुए

केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन को तीव्र गति प्रदान करने के लिए इसे सरकारी सिस्टम से थोड़ा अलग रखा और एक लिमिटेड कंपनी बनाकर उसके माध्यम से काम करवाए परंतु सरकार का यह फार्मूला कई शहरों में बिल्कुल ही फेल साबित हुआ। जालंधर जैसे शहर में स्मार्ट सिटी कंपनी में खुलकर भ्रष्टाचार और कमीशनबाजी का दौर चला। तमाम शिकायतों के बावजूद न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार के किसी प्रतिनिधि या अधिकारी ने इस की ओर ध्यान दिया। किसी अफसर की जवाबदेही तय नहीं की गई। सत्ता पक्ष के विधायक, मेयर, पार्षद और अन्य जनप्रतिनिधि चीख-चीख कर शोर मचाते रहे कि जालंधर स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार सभी हदें पार कर रहा है परंतु कहीं कोई कार्रवाई नहीं हुई।

रिटायरमैंट के बाद लाखों रुपया पैंशन लेने वाले सरकारी अधिकारियों को जालंधर स्मार्ट सिटी में दोबारा नौकरी देकर उन्हें वेतन के रूप में फिर लाखों रुपए दिए गए परंतु वह अधिकारी कभी फील्ड में ही नहीं निकले जिस कारण स्मार्ट सिटी के ज्यादातर कामों में खूब घटिया मैटीरियल का इस्तेमाल हुआ। एल.ई.डी जैसे प्रोजैक्ट का बेड़ा गर्क हो गया। स्मार्ट रोड्ज प्रोजेक्ट दुविधा का कारण बन गया। स्टॉर्म वॉटर सीवर प्रोजैक्ट विवादों में घिरा रहा और बाकी प्रोजैक्टों से भी शहर को ज्यादा लाभ नहीं पहुंचा है।

जून में खत्म होगा मिशन पर मिल सकती है एक्सटैंशन

केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार के अधिकारियों को पत्र लिखकर स्पष्ट अल्टीमेटम दे रखा है कि जून 2023 में स्मार्ट सिटी मिशन को क्लोज कर दिया दिया जाएगा और उसके बाद न कोई प्रोजैक्ट बनेगा, न किसी प्रोजैक्ट के लिए पैसे आएंगे। जो प्रोजैक्ट जहां खड़ा होगा केवल उसी की पेमैंट होगी। उसके बाद कोई नया फंड नहीं आएगा। इस कारण अब पंजाब सरकार और स्मार्ट सिटी के नए सी.ई.ओ. द्वारा लटक रहे प्रोजैक्टों को पूरा करने की जल्दबाजी दिखाई जा रही है परंतु दूसरी ओर यह भी माना जा रहा है कि आगामी संसदीय चुनावों को ध्यान में रखते हुए केंद्र की मोदी सरकार स्मार्ट सिटी मिशन को एक साल की और एक्सटैंशन दे सकती है। अगर ऐसा होता है तो जालंधर स्मार्ट सिटी के लटके हुए प्रोजैक्ट काफी हद तक पूरे हो जाएंगे।

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News Editor

Urmila

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