कारगिल विजय दिवस: आज भी बर्फीली चोटियों पर गूंजती है भारतीय वीरों के शौर्य की गूंज

punjabkesari.in Sunday, Jul 26, 2020 - 11:46 AM (IST)

गुरदासपुर (हरमन): करीब 20 साल पहले 1999 में कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को करारा सबक सिखाने वाले भारत के जवानों के शौर्य की गूँज 21 साल बाद भी बर्फीली चोटियों पर गूँजती है। इस युद्ध में पूरे देश के 528 सैनिकों ने शहादत दी थी, जिसके अंतर्गत गुरदासपुर के 7 और पठानकोट के एक भाई सैनिक ने कारगिल की बर्फीली पहाड़ियों पर अपनी वीरता और शौर्य का प्रदर्शन करते हुए शहादत का जाम पिया था। 

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शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के जनरल सचिव कुंवर रवीन्द्र सिंह ने इनकी वीरता की गाथा सुनाते हुए कहा कि कारगिल के इन जाबांज को पूरा देश सलाम करता है। सूबेदार निर्मल सिंह 21 सितम्बर 1976 को सेना की 8 सिक्ख रैजीमिंट में भर्ती हुए और 6 जुलाई 1999 को टाइगर हिल फतह करते हुए पाक सेना के कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। इसी दौरान एक गोली लगने के कारण वो शहीद हो गए। उनकी इस बहादुरी को देखते हुए देश के समकालीन राष्ट्रपति ने उनको वीरचक्र से सम्मानित किया।

दकोहा के निवासी हरबंस सिंह और माता यशपाल कौर के सुपुत्र सूबेदार अजीत सिंह 1976 में सेना की आरटी 305 यूनिट में भर्ती हुए। 20 अगस्त 1999 को कारगिल की चोटियों को फतह कर बहादुरी का झंडा फहराया और अपना बलिदान दे दिया। गाँव आलमा के रणबीर सिंह 30 अक्तूबर 1997 को सेना की 13 चैक राइफल यूनिट में भर्ती हुए, 16 जून को 1999 को इन की सैनिक टुकड़ी ने कारगिल की मॉस्को घाटी पर पाक सेना पर हमला किया, जिस दौरान लांसनायक रणबीर सिंह और उन की सैनिक टुकड़ी ने दुश्मन के 25 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

रणबीर सिंह गंभीर ज़ख्मी होने के बावजूद जंग के मैदान में डटे रहे और शहीद हो गए। धारीवाल के नज़दीक गाँव फत्तेनंगल के लांसनायक मुकेश कुमार 14 अगस्त 1991 को यह सेना की 1889 आरटी रेजीमेंट में थे। 26 जून 1999 को कारगिल की बर्फीली पहाड़ियों से पाक सेना को खदेड़ते हुए सीने पर गोली खा कर अपना बलिदान दे दिया।

ज़िला पठानकोट के गाँव झड़ोली के लांसनायक हरीश पाल शर्मा 1990 को सेना की 13 जैक राइफल यूनिट में भर्ती होने उपरांत 15 जून 1999 को कारगिल में पाक सेना के साथ युद्ध करते हुए बलिदान दे दिया। गाँव भटोआ के सिपाही मेजर सिंह का 1995 को सेना की 8 सिक्ख यूनिट में भर्ती होने के बाद 21 मई 1999 को टाईगर हिल को फतह करते हुए दुश्मन के दाँत खट्टे कर सहीद हुए।

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कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों में सतवंत सिंह गाँव सलाहपुर बेट 1 जनवरी 1998 को यह सेना की आठ सिक्ख यूनिट में भर्ती हुए। 4 जुलाई 1999 को सतवंत सिंह ने दुश्मन के साथ लोहा लेते हुए अपना बलिदान दे दिया। गाँव डेरा पठाना के लांसनायक कंसराज 7 अगस्त 1985 की 7 डोगरा रेजीमेंट में भर्ती होकर 31 अगस्त 1999 को पाक सेना के जवानों को मुँह तोड़ जवाब देते हुए लांसनायक कंसराज ने शहादत का जाम पिया। 


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Edited By

Tania pathak

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