कृषि कानूनों के विरुद्ध किसान दिल्ली में, लड़कियों व महिलाओं ने संभाले खेतों में मोर्चें

punjabkesari.in Saturday, Dec 05, 2020 - 04:27 PM (IST)

मानसा(संदीप मित्तल):  केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों के विरुद्ध धरनों, प्रदर्शनों व मोर्चों का दौर लगातार जारी है। वहीं गेंहू की बुवाई भी सिर पर है। कृषि के क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण समय चल रहा है। ऐसे में किसान कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने के लिए दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ पक्का मोर्चा लगा कर बैठे हुए हैं।  उन्हें नहीं पता कि यह आंदोलन कितने समय तक चलेगा। इसी लिए वह 6-6 माह का राशन भी साथ लेकर गए हुए हैं। देश के अन्य राज्यों सहित प्रदेश से भी बड़ी संख्या में किसान दिल्ली में मोर्चा लगाए हुए हैं। लेकिन वे खेती को लेकर आश्वस्त हैं क्योंकि उन्हें पता है कि घर पर बेटियां और महिलाएं इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं।

मानसा जिले के गांव भैणी बाघा की बी.एड. पास अमरजीत कौर ने बताया कि पिता, बड़ा भाई व चाचा-ताया जी यानी की घर केसभी पुरुष दिल्ली में किसान मोर्चे में डटे हुए है और हम घर की औरतें खेतीबाड़ी के कामकाज को संभालने के लिए तैयार हैं। किसी को तो ख्याल रखना पड़ेगा नहीं तो हम इस साल अपनी फसलों को खो देंगे। हमें नहीं पता कि यह आंदोलन कितना समय लेगा, 3 महीने लगे या 6 महीने, बस हम सब महिलाएं इसके लिए तैयार हैं। लेकिन हम अपने घर के पुरुषों को कृषि कानूनों के खिलाफ धरना छोडऩे के लिए भी नहीं कह सकते हैं, वह भी महत्वपूर्ण है। यह बहुत जरूरी है। अगर हम अभी इसके विरोध में नहीं खड़े हुए तो हमारी आने वाली नस्लों को मुश्किल हालात का सामना करना पड़ेगा। वहीं इस दौरान अमरजीत कौर ने कुछ भावुक बोल गुनगुनाते हुए कहा,‘‘पुत बन के कमाऊ घर तेरे किसानी मंगां नूं जित्त के तूं आवीं बाबला’ यानी की पुत्र बने कर तेरे घर के लिए कमाई करूंगी,  परंतु आप किसानी मांगे मनवा कर ही घर आना पिता जी।’’ अमरजीत कौर का कहना है कि अगर नौजवानों को सरकार नौकरियां नही दे सकती तो हमें कृषि का कार्य करने में भी कोई परेशानी नहीं। 

 


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