वकील जज से उलझा, 1 लाख जुर्माना लगाया

punjabkesari.in Thursday, Nov 05, 2020 - 12:21 PM (IST)

चंडीगढ़(रमेश हांडा): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण मोंगा की कोर्ट ने एक याचिकाकत्र्ता के वकील को कोर्ट का समय बर्बाद करने पर 50 हजार की कॉस्ट लगाई। जिस पर वकील को गुस्सा आ गया और उन्होंने जजों के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया। जिस पर जस्टिस मोंगा ने उन्हें आत्मसंयम बनाए रखने की चेतावनी देते हुए 1 लाख की कॉस्ट (जुर्माना) लगा दी, जोकि कोविड फंड में चंडीगढ़ प्रशासन को जमा करवानी होगी।पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में स्वामी विवेकानंद एजुकेशनल व चैरीटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टियों के खिलाफ शिव कुमार चौहान ने याचिका दाखिल की थी, जिसमें आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने ट्रस्ट में सवा करोड़ की इन्वैस्टमैंट की थी लेकिन अन्य ट्रस्टियों ने गैर-कानूनी तरीके से उन्हें सचिव पद से हटाकर किसी दूसरे को सचिव बना दिया।

हाईकोर्ट ने कहा- दो सिविल सूट चल रही है तो याची को कोर्ट आने की क्या जरूरत पड़ गई
याचिकाकत्र्ता ने कैथल पुलिस स्टेशन व एस.एस.पी. को शिकायत की। बात नहीं बनी तो एस.डी.एम. व डी.सी. तक को शिकायत की। जिसके बाद जांच हुई और प्रतिवादियों को आरोपी करार देते हुए एस.पी. को ट्रस्ट के अन्य ट्रस्टियों पर एफ.आई.आर. दर्ज करने और याचिकाकत्र्ता को पुन: सचिव नियुक्त करने की सिफारिश की गई। इसी दौरान याचिकाकत्र्ता ने सिविल कोर्ट में ट्रस्टियों के खिलाफ 2 केस दायर कर दिए जिन पर सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने पर कोर्ट ने कहा कि जब दो सिविल सूट चल रही है, तो याची को हाईकोर्ट आने की क्या जरूरत पड़ गई। याची के वकील डा. सुशील गौतम ने कहा कि चूंकि संबंधित पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही इसलिए वह कोर्ट में आए हैं। जिस पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकत्र्ता भी साफ नीयत से हाईकोर्ट नहीं आया, क्योंकि दो मामले सिविल कोर्ट में विचाराधीन हैं, इसलिए हाईकोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

आत्मसयंम बनाए रखें नहीं तो कार्रवाई हो सकती है
कोर्ट ने याची को कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए 50 हजार का जुर्माना कोविड फंड में जमा करवाने के आदेश जारी कर याचिका खारिज कर दी। कोर्ट के उक्त फैसले से एडवोकेट सुशील गौतम तैश में आ गए और कोर्ट से कहा कि 50 क्या वह एक लाख का जुर्माना देने को तैयार हैं। साथ ही कहा कि उनके आग्र्युमैंट ठीक से नहीं सुने गए, यही नहीं उन्होंने जजों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। जिस पर कोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी कि वह आत्मसंयम बनाए रखें वर्ना कोर्ट उन पर भी कार्रवाई कर सकता है। इतना कहते हुए कोर्ट ने उन पर एक लाख की कॉस्ट लगाते हुए याचिका खारिज कर दी। साथ ही यह भी आदेश दिए कि इस संबंध में दाखिल सभी एप्लीकेशनों को रद्द माना जाए।
 


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