मान सरकार ने सरकारी अस्पतालों को डाला वैंटीलेटर पर, दिए ये निर्देश

punjabkesari.in Thursday, Jan 19, 2023 - 11:57 AM (IST)

अमृतसर: पंजाब में अब मरीजों के बाद सरकारी अस्पताल भी वैंटीलेटर पर हो गए हैं। लोगों को बढ़िया स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों से यूसेज चार्जेस वापस ले लिए हैं। अस्पतालों द्वारा प्रतिदिन होने वाले महत्वपूर्ण कार्य तथा कई कर्मचारियों के वेतन इस चार्जेस के सहारे पूरे कर लिए जाते थे, परंतु अब चार्जेस इकट्ठा करके सरकार खाली खजाने को भरने की कोशिश कर रही है।

सरकार द्वारा सभी अस्पतालों के मुखिया को प्रतिदिन ओ.पी.डी. में इकट्ठा होने वाले यूजर चार्जेस को खजाना कार्यालय में जमा करवाने के निर्देश जारी किए गए हैं। सरकार के इस फैसले के बाद अस्पतालों में सिस्टम गड़बड़ा जाएगा तथा डाक्टर भी परेशान है कि अब वह अस्पतालों को किस प्रकार चलाएंगे।

जानकारी के अनुसार समय-समय की सरकारों द्वारा राज्य के सरकारी अस्पतालों की ओर ध्यान न देने के कारण इनमें मिलने वाली सुविधाओं में लगातार गिरावट आ रही थी। इसी दौरान समाज सेवाओं में सुधार लाने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा सत्ता में आने से पहले लोगों को विश्वास दिलवाया गया था कि सरकार बनते ही सरकारी अस्पतालों की कायाकल्प कर दी जाएगी। कायाकल्प सरकार द्वारा क्या की जाने थी, सरकार द्वारा ग्रांट देने की बजाय अस्पतालों से यूजर चार्जेस भी वापस ले लिए हैं। सिविल अस्पताल में प्रतिमाह औसतन दस से बारह लाख रुपए यूजर चार्जेज की मद में इकट्ठा होता है। यह राशि मेडिको लीगल रिपोर्ट, पर्ची, पार्किंग फीस, नौकरी प्राप्त करने वालों के मेडिकल टैस्ट इत्यादि मद में प्राप्त की जाती है। इस राशि से अस्पताल के ठेका आधारित कर्मचारियों को वेतन देने के अलावा खराब चिकित्सा उपकरणों की रिपेयर, नई मशीनरी की खरीद, आपातकालीन स्थिति में दवाएं खरीदने, बिजली का बिल जमा करवाने, डीजल में पेट्रोल डलवाने, चाय-पानी, इमारत के रख-रखाव, साफ-सफाई में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं, एक्सरे फिल्में, डायलिसिस किट्स, ई.सी.जी. रोल इत्यादि की खरीद में खर्च होती है।

सरकार ने आदेश जारी किया है कि यूजर चार्जेज की सारी राशि प्रतिदिन खजाने में जमा की जाए। इसका अर्थ यह है कि अब अस्पताल प्रशासन को कोई भी काम करने के लिए सरकार के आगे हाथ फैलाना पड़ेगा। पहले काम करवाया जाएगा, फिर बिल भेजकर सरकार से भुगतान लिया जाएगा। सरकार से भुगतान लेने की प्रक्रिया बेहद जटिल और लंबी है। भुगतान देने से होने की वजह से अस्पताल को सामान देने से मेडिकल स्टोर के विक्रेता इंकार करेंगे, वहीं कर्मचारियों का वेतन भी विलम्ब से मिलने की संभावना है। जिले के बाकी अस्पतालों का भी यही कार्य यूजर चार्जेस के सहारे चलता था, गुरु नानक देव अस्पताल में भी यूजर चार्जेज खर्च करने की अनुमति नहीं होगी। इस अस्पताल में प्रतिमाह तकरीबन पचास लाख रुपए यूजर चार्जेज जमा होता है। सिविल अस्पताल की तरह ही इस अस्पताल का खर्च काफी हैं।

जिले में प्रतिदिन लाखों की तादात में इकट्ठा होता है यूजर चार्जेस

जिला स्तरीय सिविल अस्पताल सरकारी अस्पताल अजनाला बाबा बकाला सहित बाकी अस्पतालों का मिलाकर छुट्टी वाले दिन को छोड़कर प्रतिदिन 5 लाख के करीब यूजर चार्जेस इकट्ठा होता है। सरकार द्वारा अपने खाली खजाने को भरने के लिए मरीजों के पैसे को इकट्ठा करके खजाना भरने की तैयारी कर रही है। उधर, दूसरी तरफ अमृतसर सहित बाकी जिलों के सरकारी अस्पतालों का अनुमान लगाया जाए तो करोड़ों की तादात में यूजर चार्जेस प्रतिदिन सरकारी खजाने में जमा होंगे जिसका मरीजों को लाभ भविष्य में मिले चाहे न मिले परंतु सरकार को जरूर मिलेगा।

नए मंत्री भी नहीं है मामले को लेकर गंभीर, नहीं उठाते फोन

स्वास्थ्य विभाग एम्पलाइज वेल्फेयर एसोसिएशन के चेयरमैन पंडित राकेश शर्मा ने बताया कि विभाग द्वारा जारी किया गया पत्र सरकारी अस्पतालों के खिलाफ है। यूजर चार्जेस से कई खर्चे किए जाते थे, परंतु अब ग्रांट समय पर मिलती नहीं, दूसरा अब अस्पतालों को अपने काम करवाने के लिए बाकी लोगों के आगे हाथ फैलाना पड़ेगा। नए मंत्री को इस समस्या के बारे में अवगत करवाने के लिए कई दिनों से फोन किया जा रहा है, परंतु वह फोन नहीं उठा रहे। यदि उन्होंने फोन नहीं उठाना तो उन्हें यह महत्वपूर्ण पद को छोड़ देना चाहिए, पहले तो 24 घंटे आम आदमी पार्टी लोगों की कचहरी में उपस्थित रहने का दावा करती थी। अब सत्ता का नशा इनके सिर पर इतना चढ़ गया है कि यह लोग फोन भी जनता का उठाना मुनासिब नहीं समझते सरकारी सुविधाओं में सुधार क्या करेंगे।

सरकारी फैसले के बाद डॉक्टरों में रोष

सरकारी अस्पतालों का यूजर चार्जेस वापस लेने के बाद डॉक्टर में काफी रोष पाया जा रहा है। डाक्टरों द्वारा सरकारी फैसले का विरोध किया जा रहा है। कई डॉक्टरों ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि यूजर चार्जेस के सहारे कई काम किए जाते थे, परंतु अब तो उन्हें छोटे-छोटे काम के लिए सरकार के आगे गिड़गिड़ाना पड़ेगा। पहले ही सरकार स्थानों की कायाकल्प करने के लिए फंड उपलब्ध नहीं करवा रही, अब दूसरे कार्यों को कैसे चलाएगी। उन्होंने कहा कि इस चार्जेस के सहारे कई महत्वपूर्ण कार्य कर लिए जाते थे परंतु अब समस्या का सामना करना पड़ेगा।

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News Editor

Urmila

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