मां बुन रही थी सेहरे की लडिय़ां, बेटे ने पिया शहादत का जाम

punjabkesari.in Saturday, Aug 31, 2019 - 04:57 PM (IST)

पठानकोट(आदित्य): भारतीय सैनिकों के शौर्य व शहादतों की स्वर्णिम फेहरिस्त बेहद लंबी हैं, जिसमें शहीद कै. अजय राणा का नाम भी सुनहरी अक्षरों में संकलित है, जिन्होंने वीरगति को दुल्हन के रुप में गले लगाकर युवाओं के समक्ष देश पर मर-मिटने की अनूठी मिसाल कायम की, जिसमें आज भी क्षेत्रवासी सजल नेत्रों से स्मरण करते हैं। 

शहीद के जीवन प्रसंगों संबंधी जानकारी देते हुए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि कै. अजय राणा का जन्म 17 दिसंबर 1974 को पिता सूबेदार मेजर केसी राणा व माता शामा राणा के घर हुआ। सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े होने के कारण देश सेवा का जज्बा उनमें बचपन से ही कूट-कूट कर भरा था। शिमला यूनिवर्सिटी से स्न्नातोत्तर के बाद वह इसी जज्बे के अभिभूत होकर सेना में बतौर लैफ्टीनेंट भर्ती हो गए। 2 सितंबर 2003 जब वो जम्मू कश्मीर के बटालिक सैक्टर के अग्रणी मोर्चे पर ओ.पी की डयूटी पर मुस्तैदी से तैनात थे कि पाकिस्तानी सेना ने गोलाबारी शुरु कर दी। अपने साथियों को गोलाबारी से बचाते हुए कै. राणा गंभीर रुप में गोलीबारी का शिकार होकर घायल हो गये। अंत में जख्मों का ताब न सहते हुए उन्होंने शहादत का जाम पी लिया। कै. राणा को उनके अदम्य साहस के लिए मरणोंपरांत सेना मैडल से सम्मानित किया गया। 

कै. राणा अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे तथा कुछ महीने के बाद उनकी शादी होने वाली थी, घर पर मां सेहरे की लडिय़ां बुन रही थी, मगर देश सेवा को सर्वोपरि पर रखते हुए वीरगति को दुल्हन के रुप में गले लगाया। कुंवर विक्की ने बताया कि शहीद कै. राणा की शहादत को नमन करने के लिए उनके नाम पर बने मामून स्थित सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल में 2 सितंबर को श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाएगा। जिसमें कई गणमान्य लोग शामिल होकर इस शूरवीर को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।
 


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Vaneet

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