व्यक्तित्व विकास के लिए अनिवार्य है नैतिक शिक्षा

punjabkesari.in Saturday, Jun 20, 2020 - 02:06 PM (IST)

जालंधर: आज टेक्नोलॉजी के समय में विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ नैतिक शिक्षा का पाठ पढाना भी अति महत्वपूर्ण है बन गया है। शिक्षा संस्थानों को टेक्नोलॉजी, मूल्यांकन के नए तरीके, शैक्षणिक संस्थानों के सुंदर ढाँचे और अध्यापकों की भूमिका के साथ साथ नैतिक मूल्यों पर ध्यान देना भी आवश्यक बन गया है। शिक्षा का मूल उद्देश्य सिर्फ परीक्षा में पास करवाना सर्टिफिकेट या डिग्रियां देना ही नहीं बल्कि व्यक्तित्व का विकास करना है। 

शिक्षा का उद्देश्य होता है कि मानव को सही अर्थों में मानव बनाया जाये। उसमें आत्मनिर्भरता की भावना को उत्पन्न करे, देशवासियों का चरित्र निर्माण करे, मनुष्य को परम पुरुषार्थ की प्राप्ति कराना है लेकिन आज यह सब केवल पूर्ति के साधन बनकर रह गये हैं।

अध्यापकों का फर्ज केवल सिलेबस आधारित पढ़ाई करवाना ही नहीं बल्कि बदलती दुनिया के मुताबिक भूमिका को बदलना भी है। नैतिक मूल्यों से बच्चे के सुंदर चरित्र का निर्माण, विकास, समाजीकरण की भावना, व्यक्तित्व विकास, आत्मविश्वास व आत्मचेतना, सच्चाई, सही निर्णय लेने की क्षमता आदि विकसित होती है। आज के समय में विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा का महत्व बताना भी उतना ही जरूरी है जितना बाकी किताबी ज्ञान देना। 

नैतिक शिक्षा की उपयोगिता व्यक्ति, समाज और राष्ट्र इन सभी के लिए हैं। नैतिक शिक्षा के द्वारा ही विद्यार्थी अपने चरित्र एवं सुंदर व्यक्तित्व का निर्माण कर सकते हैं। नैतिक शिक्षा से मंडित विद्यार्थी का भविष्य उज्ज्वल गरिमामय बनता है तथा देश के भावी नागरिक होने से उनसे समस्त राष्ट्र को नैतिक आचरण का लाभ मिलता हैं। इसीलिए प्री-प्राइमरी, प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों के दौरान ही विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए ताकि उनके भविष्य की नींव मजबूत हो सके।

लेखिका
(डॉ करणबीर कौर)


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Edited By

Tania pathak

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