बिना पर्याप्त सफाई अमले के स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 में बेहतर रैंकिंग पाना चाहता है जालंधर नगर निगम

punjabkesari.in Sunday, Sep 27, 2020 - 04:54 PM (IST)

जालंधर(सोमनाथ): नगर निगम की तरफ से ‘स्वच्छता सर्वेक्षण 2021’ में जालंधर की रैंकिंग बेहतर लाने के लिए ‘मेरा कूड़ा, मेरी जिम्मेदारी’ अभियान शुरु किया गया है। 

15 सितम्बर से शुरु हुआ यह अभियान 15 अक्तूबर तक चलेगा। इस अभियान में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रयास किए गए हैं। जिन वस्तुओं को हम बेकार समझ कर फैंक देते हैं, उन्हें कमाई का साधन बनाया जा सकता है, के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है और साथ ही स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 की पहली कैटेगिरी सिटीजन्स वॉयस के तहत सिटीजन्स फीडबैक लिए जा रहे हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में सिटीजन्स वॉयस के 600 अंक हैं और कुल अंक 6 हजार हैं। सिटीजन्स वॉयस में सिटीजन्स फीडबैक कंटैंट के अलावा सिटीजन्स इंगेजमैंट, सिटीजन्स एक्सपीरिएंस, स्वच्छता एप और इनोवेशन एंड बैस्ट प्रेक्टिसिस शामिल हैं। 

स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंकिंग हासिल करने के लिए नगर निगम की असली परीक्षा कैटेगरी सर्विस लैवल प्रोग्रैस (एस.एल.पी.) में है। इस कैटेगिरी के 40 प्रतिशत अंक हैं और कुल अंक 6 हजार और हरेक तिमाही के 2 हजार अंक हैं। पहली तिमाही अप्रैल से जून महीने तक, दूसरी जुलाई से सितम्बर और तीसरी अक्तूबर से दिसंबर तक है। मुख्य तौर पर इस कैटेगिरी में 3 प्वाइंट्स हैं, जिनमें निगम को अंक हासिल करने हैं। यह प्वाइंट्स हैं- कलैक्शन एंड ट्रांसपोर्टेशन, प्रोसेसिंग एंड डिस्पोजल और सस्टेनेबल सेनिटेशन। इन तीनों प्वाइंट्स में जनसंख्या के हिसाब से पर्याप्त मैनपावर और ट्रांसपोर्ट सिस्टम के दुरूस्त नहीं होने के कारण अंक कम आने की संभावना नजर आ रही है। वहीं जन साधारण स्वच्छता के प्रति कुछ हद तक जागरूक तो है लेकिन सारी जिम्मेदारी नगर निगम पर डालता है।

स्वच्छता सर्वेक्षण में जालंधर (अर्बन) कैटेगिरी और जनसंख्या
स्वच्छता सर्वेक्षण में जालंधर (अर्बन) कैटेगिरी 10 लाख से कम जनसंख्या वाली है। नगर निगम के प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जालंधर की जनसंख्या 873795 थी, जो इस साल बढ़ कर 9 लाख से ऊपर हो गई है। मतलब शहर की कुल आबादी 10 लाख से कम है। यह आंकड़े कम्प्यूटराइज्ड हैं। जालंधर शहर की कुल सही जनसंख्या कितनी है, इस बारे में कोई सर्वेक्षण निगम के पास उपलब्ध नहीं है। निगम हर साल .5 प्रतिशत के हिसाब से आबादी में वृद्धि मानता है, जबकि देश में जनसंख्या वृद्धि दर 1.3 है। उस हिसाब से जालंधर शहर की जनसंख्या 10 लाख से कहीं ज्यादा और दूसरे राज्यों से आकर जालंधर में रह रहे प्रवासी मजदूरों को भी जोड़ लें तो यह जनसंख्या 12 से 13 लाख के बीच होने की संभावना है।

कू़ड़े की सैग्रीगेशन को लेकर 10 फीसदी लोग भी जागरूक नहीं
वर्ष 2020 का सितम्बर महीना चल रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण की फाइनल रिपोर्ट 31 जनवरी 2021 तक सबमिट होनी है। वैसे स्वच्छ सर्वेक्षण के तहत हर तीन महीने बाद एम.आई.एस. रिपोर्ट तैयार होकर पहले स्टेट फिर नैशनल सर्वे टीम के पास जा रही है। अब सवाल कूड़े की सैग्रीगेशन का करें तो अभी शहर की 10 फीसदी भी आबादी गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग नहीं रख रही है। इसका पता ट्रालियों में भर कर डंप पर जा रहे कूड़े से लगाया जा रहे कूड़े से लगाया जा रहा है। निगम की तरफ से 215 के करीब कंपोस्ट पिट्स बनाकर उनमें खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू किए जाने का दावा किया जा रहा है और शहर में 1100 से करीब कंपोस्ट पिट्स बनने हैं। इसके साथ ही शहर के कुछ होटलों में गीले कूड़े से खाद बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 

रैग पिकर्स के पास रेहड़े तक उपलब्ध नहीं
घरों से निकलने वाले कूड़े की डोर-टू-डोर क्लैक्शन के लिए अभी तक रैग पिकर्स के पास रेहड़े तक उपलब्ध नहीं हैं। सुबह जब मोहल्लों में ट्रालियां कूड़ा उठाने के लिए आती हैं तो 3-3,4-4 रैग पिकर्स ट्राली में आते हैं और ट्रालियों के साथ ही चले जाते हैं। कुछ समय पहले निगम की तरफ से 100 के करीब ई-रिक्शा खरीदे गए है, जो विधानसभा हलकों के मुताबिक बांट दिेए गए हैं। एक वार्ड के हिस्से अनुपात के हिसाब से 2 ई-रिक्शा भी नहीं मिल रहे।

2600 से 2700 के बीच सपाई कर्मचारियों की है जरूरत
जिस हिसाब से जालंधर शहर में जनसंख्या बढ़ कर 12 से 13 लाख के बीच पहुंच गई है और नगर निगम का क्षेत्रफल बढ़ रहा है, कई गांव इसमें जुड़ गए हैं, उसी हिसाब से शहर में सफाई व्यवस्था को ठीक रखने के लिए कम से कम 2600 से 2700 के बीच सफाई कर्मचारियों और 3 दर्जन के करीब सैनेटरी इंस्पेक्टरों की जरूरत है। 
मौजूदा हालात मुताबिक नगर निगम के पास 1900 के लगभग सफाई कर्मचारी हैं और 250 के करीब पद खाली पड़े हैं, जिन पर कई वर्षों से कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है। वहीं निगम के पास वर्तमान समय में 10 सैनेटरी इंस्पेक्टर हैं जोकि 1900 के करीब सफाई कर्मचारियों की वार्डों के हिसाब से किसी भी सूरत में निगरानी नहीं कर सकते। इसलिए मिशन की कामयाबी के लिए और अमले की जरूरत है।

कट सकते हैं स्टॉर्म वाटर सिस्टम के अंक
सर्विस लैवल प्रोग्रैस के तहत कूड़े की ट्रांसपोर्टेशन के साथ-साथ सीवरेज वाटर की ट्रांसपोर्ट का सही होना भी शामिल है। सच्चाई यह है कि सीवरेज का बहुत सारा पानी ड्रेनों में बहाया जा रहा है, जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मुताबिक ड्रेनों में सिर्फ बरसाती पानी ही डाला जा सकता है। पिछले दिनों निगम की ओ. एंड एम. ब्रांच के चेयरमैन द्वारा इस बात का खुलासा हो चुका है कि शहर में स्टॉर्म वाटर सिस्टम पूरी तरह दुरुस्त नहीं है, जिस कारण बरसात का पानी सीवरेज लाइनों में जा रहा है। इसके कारण सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों पर बोझ बढ़ गया है, जिनकी कैपेसिटी बढ़ाने को लेकर डी.पी.आर. तैयार की गई है। 50 और 15 एल.एल.डी. कैपेसिटी के सीवेज ट्रीटमैंट प्लांटों को बनते-बनते लगभग 2 साल का समय लग सकता है। ऐसी हालत में सीवरेज वाटर का फ्लो ड्रेनों में बढ़ेगा। ड्रेनों में सीवरेज के पानी जाने से  सर्विस लैवल प्रोग्रैस में मिलने वाले अंक कट सकते हैं।

हर तिमाही 3 कैटेगिरी में ऐसे अंक हासिल करने हैं नगर निगम को

कंपोनैंट   एस.एस. लीग मार्कस वेटेज कुल अंक
सर्विस लैवल प्रोगैस इंडीकेटर   40% 6000
क्लैक्शन एंड ट्रांसपोर्टेशन 07 600
प्रोसेसिंग एंड डिस्पोजल 13 800 2400
सस्टेनेबल सेनिटेशन 05 600
हरेक तिमाही हासिल अंक 2000*3 तिमाही = कुल अंक 6000
सर्टीफिकेशन  02   30% 1800
सिटीजन्स वॉयस     30%  
सिटीजन्स फीडबैक (7 सीधे सवाल) 07   600
सिटीजन्स इंगेजमैंट (आई.ई.सी. एंड रिकोगनिशन) 09   450
सिटीजन्स एक्सपीरिएंस(सौंदर्यकरण) 02   300
स्वच्छता एप 04   350
इनोवेशन एंड बैस्ट प्रेक्टिस्स 02   100
कुल 26   1800

 


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Sunita sarangal

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