मुद्दा कोई उठाया नहीं, निगम चुनावों में पार्टी के नाम पर वोट कैसे मांगेंगे ‘आप’ नेता
punjabkesari.in Tuesday, Jan 03, 2023 - 11:59 AM (IST)

जालंधर (सोमनाथ) : नगर निगम की सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी का कार्यकाल समाप्त होने में करीब 3 सप्ताह का समय बचा है। वार्डबंदी को लेकर पार्टी उलझी है और नगर निगम के चुनाव कब होंगे अभी कुछ कहा नहीं जा रहा है। हालांकि पंजाब में सत्तासीन आम आदमी पार्टी के नेता दावे कर रहे थे कि नगर निगम चुनाव समय पर होंगे लेकिन वार्डबंदी सही ढंग से नहीं होने के कारण इन नेताओं के दावों की हवा निकल गई है, खासकर गुजरात और हिमाचल प्रदेश के आए चुनाव परिणाम के बाद से कोई भी नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हिमाचल प्रदेश में तो आम आदमी पार्टी खाते खोलने भी सफल नहीं हो सकी है।
दूसरी तरफ पंजाब विधानसभा चुनावों में 92 सीटें जीतकर रिकार्ड बहुमत के साथ आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से नगर निगम में काम लगभग ठप हो गया है। पूर्व निगम कमिश्नर करणेश शर्मा के बाद आए दो निगम कमिश्नरों के कार्यकाल में ठेकेदारों को भुगतान रुकने के कारण ठेकेदारों ने भी वार्डों में काम करने को तवज्जों देनी बंद कर दी थी।
भले ही निगम कमिश्नर अभिजीत कपलिश के आने के बाद ठेकेदारों को उनके बिलों का काफी हद तक भुगतान हो गया है लेकिन करीब 1 साल से विकास कार्य ठप्प होने के कारण शहर का बुरा हाल है। कहीं सड़कें टूटी पड़ी हैं तो कहीं पीने के पानी की समस्या खड़ी है तथा कहीं पानी की निकासी का मुद्दे गर्माया हुआ है लेकिन आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने के चाहवान नेता इन जनहित के मुद्दों को उठाने में नाकाम रहे हैं। ऐसे में ये नेता नगर निगम के चुनावों में किस मुंह से जनता से अपने लिए वोट मांगेंगे समझ से परे है। खास बात यह है कि ये नेता प्रदेश में काबिज आम आदमी पार्टी के दम पर चुनाव जीतने की आस लगाए बैठे हैं।
जिनके दम पर चुनाव जीता, वे वर्कर निराश
विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले आम पार्टी वर्कर निराशा में जी रहे हैं। इसका कारण पैराशूट नेताओं की एंट्री मानी जा रही है। विधानसभा चुनाव जीतने के लिए हर तरीका अपनाया गया। दूसरी पार्टियों के बागी और जयचंदों के सहारे चुनाव जीता गया। पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने की आस लगाए बैठे पार्टी वर्करों में पैराशूट एंट्रियों के कारण हताशा का माहौल बना हुआ है, जिस तरह विधानसभा चुनावों के दौरान संजीव शर्मा, शिवदयाल माली और जोगिन्द्रपाल शर्मा को खुडेलाइन लगा दिया गया, उसी तरह निकाय चुनावों में भी ऐसा होने के डर से पार्टी वर्कर सोचने पर मजबूर हो रहे हैं।
‘आप’ में शामिल दूसरी पार्टियों के नेताओं का भी घुटने लगा दम
विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को मिली बड़ी जीत के बाद दूसरे पार्टियों के नेताओं को लगने लगा था कि ‘आप’ सरकार किसी भी समय नगर निगम चुनाव करवा सकती है। भले ही इसके लिए उन्हें निगम भंग क्यों ने करनी पड़े। हर छोटा-बड़ा नेता आम आदमी पार्टी का झाड़ू पकड़ने की जुगाड़ लगाने लगा। वहीं दूसरी पार्टियों के जो कौंसलर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं, उनका अब दम घुटने लगा है। ऐसा पिछले महीने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हुए चुनावों के कारण माना जा रहा है। ‘आप’ में शामिल कुछ कौंसलरों और नेताओं का कहना है कि गुजरात चुनावों के दौरान उनको किसी ने पूछा तक नहीं और न ही गुजरात या हिमाचल प्रदेश में उन्हें ले जाया गया। वहीं पार्टी की मीटिंगों से भी उन्हें दूर ही रखा जाता है। इन लोगों का कहना है कि अब वे पार्टी में आ तो गए हैं लेकिन वापस अपनी पहली पार्टियों में जाने का भी कोई रास्ता नहीं बचा है।
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