घर में गूंज रही शहनाइयां, परिजन काट रहे बैंकों के चक्कर
punjabkesari.in Wednesday, Nov 23, 2016 - 10:06 AM (IST)

फिरोजपुर(कुमार): केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोट बंद किए आज 14वां दिन हो गया है और आज भी बैंकों में करंसी लेने वाले लोगों की लाइन लगी रही। लोग आज प्रात: से ही ए.टी.एम. के बाहर लाइन लगा कर खड़े रहे और उन्हें घंटों तक लाइनों में खड़े रहने के बाद मायूस होकर निकलना पड़ा जब ए.टी.एम. से कैश खत्म हो गया। इसके अलावा जिन घरों में इन दिनों शहनाइयां गूंज रही हैं उनके लिए नोटबंदी के ये दिन किसी परेशानी से कम नहीं गुजर रहे हैं। जहां एक ओर सरकार की तरफ से आए दिन बैंक से राशि निकालने को लेकर मैरिज वालों के लिए नए नियम जारी किए जा रहे हैं उससे गफलत बनती जा रही है, तो वहीं बैंकों में राशि न होने के नाम पर रुपए नहीं मिल पा रहे हैं। इसको लेकर जहां एक तरफ घर में शहनाइयां गूंज रही हैं, दूसरी तरफ परिजन बैंकों के चक्कर काट रहे हैं।
करोड़पति होते हुए भी खुद को गरीब महसूस कर रहे लोग
नोटबंदी के चलते जिन लोगों ने अपने लड़कों और लड़कियों की शादियां रखी हुई हैं वे परिवार बेहद परेशान हैं और उन परिवारों का मानना है कि लखपति और करोड़पति होते हुए भी वे लोग खुद को गरीब महसूस कर रहे हैं।
बैंकों से अढ़ाई लाख रुपए निकलवाने से अच्छा है उधार लेना
अपने बेटे-बेटियों की शादियां करने वाले परिवारों ने अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि हमें बैंकों से अढ़ाई लाख रुपए निकलवाने की जगह अपने रिश्तेदारों से उधार लेना अच्छा समझते हैं। उन्होंने कहा कि अढ़ाई लाख रुपए लेने की प्रक्रिया भी आसान नहीं है।
मैरिज पैलेसों व केटरिंग वालों को भारी कठिनाइयां झेलनी पड़ रही हैं
कई परिवारों ने अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि उन्हें राशन वालों के पास जाकर, कभी पैलेस वालों के पास जाकर और कभी कपड़े आदि वालों के पास जाकर अपनी बेबसी जाहिर करते मदद मांगनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि फिरोजपुर के दुकानदार, व्यापारी और मैरिज पैलेसों आदि वाले अच्छे लोग हैं जो हमें सहयोग कर रहे हैं। लड़कियों और लड़कों के मां-बाप ने कहा कि सरकार को कालेधन वालों को सजा देने के चक्कर में आम लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए।
शादी वाले घरों में बुजुर्गों ने कहा कि ऐसे लगता है जैसे वे शरणार्थी हैं
एक शादी वाले परिवार के बुजुर्ग ने कहा कि नोटबंदी के बाद आज जो हमारी हालत है उसे देख कर हमें ऐसा महसूस हो रहा है जैसे देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से खाली हाथ आए हैं और यहां शरणार्थी बन कर अपना गुजारा कर रहे हैं।