Amritpal के मामले एक और खुलासा, हो सकती है CBI जांच

punjabkesari.in Monday, Apr 03, 2023 - 09:48 AM (IST)

चंडीगढ़: जम्मू-कश्मीर में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख एवं कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह के सशस्त्र गार्ड को दिए गए हथियारों के लाइसैंस रद्द करने में हुई देरी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस मामले की जांच सी.बी.आई. कर सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि भगौड़े अमृतपाल के 2 निजी सुरक्षा अधिकारियों के पास अपने शस्त्र लाइसैंस पड़ोसी केंद्र शासित प्रदेश के जिलों से या तो नवीनीकृत थे या नए सिरे से जारी किए गए थे। दोनों निजी सुरक्षा अधिकारी सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वरिंदर सिंह 19वीं सिख रैजीमैंट से और तलविंदर सिंह 23वीं आम्र्ड पंजाब रैजीमैंट से जुड़े थे। 

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (खुफिया) के 12 जनवरी को संबंधित उपायुक्तों को पत्र लिखने के बावजूद लाइसैंस रद्द नहीं किए गए थे। ये पत्र अमृतपाल सिंह के समर्थकों से जुड़े एक विवाद से लगभग 6 सप्ताह पहले लिखे गए थे, जहां दोनों ने अपने हथियारों का प्रदर्शन किया था। शस्त्र अधिनियम की धारा 17 (3) (बी) के तहत, लाइसैंसिंग प्राधिकरण अगर इसे लोक सुरक्षा के लिए आवश्यक समझता है तो उसके पास लाइसैंस रद्द करने या निलंबित करने की शक्ति होती है। अमृतसर जिले में कोट धर्मचंद कलां के तलविंदर सिंह और असम की जेल में बंद वरिंदर सिंह उर्फ फौजी, दोनों के शस्त्र लाइसैंस क्रमश: रामबन और किश्तवाड़ जिलों के उपायुक्तों द्वारा अवैध करार दिए गए। इस साल 9 मार्च को रद्द करने संबंधी आदेश के मुताबिक वरिंदर सिंह के लाइसैंस का 24 जुलाई 2017 से नवीकरण नहीं हुआ था। जम्मू-कश्मीर से समय-समय पर फर्जी बंदूक लाइसैंस जारी करने के मामले सामने आए हैं और सी.बी.आई. इस मामले की जांच कर रही है। सी.बी.आई. ने 2012 और 2016 के बीच जम्मू-कश्मीर के 22 जिलों में 2.78 लाख शस्त्र लाइसैंस देने में गड़बड़ी को लेकर 16 अक्तूबर 2018 को प्राथमिकियां दर्ज की थीं। दिसंबर 2019 में सी.बी.आई. ने कुपवाड़ा, बारामूला, ऊधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडा और पुलवामा के तत्कालीन जिलाधिकारियों और मैजिस्ट्रेट से संबंधित श्रीनगर, जम्मू, गुरुग्राम और नोएडा में एक दर्जन स्थानों पर छापे मारे।

नियमों के विरुद्ध अपात्र व्यक्तियों को जारी हुए थे अवैध हथियारों के लाइसैंस 
सी.बी.आई. के प्रवक्ता आर.सी. जोशी ने एक बयान में कहा था, ‘‘छानबीन और दस्तावेजों की जांच के दौरान कुछ बंदूक डीलर की भूमिका पाई गई, जिन्होंने संबंधित जिलों के लोक सेवकों तत्कालीन डी.एम. (जिला मैजिस्ट्रेट) और ए.डी.एम. (अतिरिक्त जिला मैजिस्ट्रेट) की मिलीभगत से अपात्र व्यक्तियों को कथित तौर पर ऐसे अवैध हथियारों के लाइसैंस जारी किए थे। यह भी आरोप लगाया गया कि जिन लोगों को ये लाइसैंस मिले, वे उन जगहों के निवासी नहीं थे, जहां से उक्त शस्त्र लाइसैंस जारी किए गए थे।’’प्राथमिकी में आरोप है कि लोक सेवकों ने अन्य आरोपियों के साथ मिलीभगत कर जम्मू-कश्मीर के अनिवासियों को नियमों का उल्लंघन करते हुए शस्त्र लाइसैंस जारी किए और रिश्वत ली। पंजाब पुलिस द्वारा 18 मार्च को अमृतपाल और उसके ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन पर कार्रवाई शुरू करने के बाद से कट्टरपंथी उपदेशक फरार है। हालांकि, उसके कई सहयोगियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में हथियारों के लाइसैंस रद्द करने के बाद सी.बी.आई. पंजाब पुलिस द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किए गए कुछ आरोपियों से पूछताछ कर पाएगी। अमृतपाल एक सशस्त्र गिरोह की स्थापना के लिए पूर्व सैनिकों और नशा करने वालों की भर्ती कर रहा था, जिन्हें आसानी से आतंकवादी समूह में बदला जा सकता था। 


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Vatika

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