पी.जी.आई. एमरजैंसी में आने वाले मरीजों के लिए राहत भरी खबर
punjabkesari.in Saturday, Dec 17, 2022 - 10:57 AM (IST)

चंडीगढ़ (पाल): पी.जी.आई. एमरजैंसी में मरीजों की संख्या हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रही है। मरीजों की संख्या ज्यादा होने से ज्यादातर मरीजों को बैड भी नहीं मिल पाते। ऐसे में अब एमरजैंसी में मरीजों को मैनेज करने के लिए नया फैसला लिया गया है जिसके मुताबिक एमरजैंसी में आने वाले मरीजों को अब 96 घंटे से ज्यादा एमरजैंसी में नहीं रखा जाएगा।
उन्हें 96 घंटे के बाद वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा। इससे पहले मरीजों को जरूरत न भी होने पर एमरजैंसी में ही हफ्तों तक रहना पड़ता था। ऐसे में मरीजों की तादाद बढ़ जाती थी। नए फैसले को लेकर डायरैक्टर पी.जी.आई. डा. विवेक लाल ने ऑर्डर्स भी निकाल दिए हैं। डा. विवेक लाल ने कहा कि पी.जी.आई. का चार्ज लेने के बाद यह अभी तक का उनका सबसे बड़ा फैसला है। हमने कई पेशंट फ्रैंडली सर्विसेज पी.जी.आई. में शुरू की हैं जिसमें से यह बड़ी अहम है। एमरजैंसी के रश को हम कंट्रोल नहीं कर सकते। ट्रोमा या एमरजैंसी में आने वाले मरीजों को हम वापिस नहीं भेजते लेकिन यह फैसला मरीजों की सुविधा के लिए बहुत बड़ा है। 96 घंटे दिन में एमरजैंसी में आने वाला मरीज 60 प्रतिशत तक स्टेबल हो जाता है। ऐसे में कंसर्न कंसल्टैंट डॉक्टर उसे रिलेटेड यूनिट के वार्ड में भेज देगा। ऐसे में नए मरीजों के लिए जगह अपने आप बनेगी।
पी.जी.आई. की एमरजैंसी का एरिया उतना ही है, लेकिन मरीजों की संख्या पहले से दोगुनी हो गई है। जरूरत न होने पर वार्ड में शिफ्ट करने से मरीज को भी राहत मिलेगी। साथ ही डॉक्टर्स पर भी एक तरह से बोझ कम होगा। एमरजैंसी मेडिकल ओ.पी.डी., (ट्रायज एरिया, हॉल ए, बी, सी और हॉल एल) एमरजैंसी सर्जरी ओ.पी.डी., एडवांस ट्रोमा सैंटर (ट्रायज एरिया, यैलो, ग्रीन, डिजास्टर वार्ड, हार्ट कमांड और ए.पी.सी. एमरजैंसी) ये पी.जी.आई. के वे एमरजैंसी एरिया हैं जहां सबसे पहले मरीज को लाया जाता है। सभी डिपार्टमैंट के कंसर्न डॉक्टर्स और एच.ओ.डी. को इसकी जानकारी लिखित में दी गई है कि 96 घंटे के बाद मरीज को उसके यूनिट वार्ड में भेज दिया जाएगा।
मरीज शिफ्ट होने से मिलेगी राहत
पी.जी.आई. एमरजैंसी ट्रोमा सैंटर समेत दूसरे एमरजैंसी एरिया में आमतौर पर 200 तक मरीज एडमिट होते हैं। यह आंकड़ा कभी-कभी 300 तक भी पहुंच जाता है। अब वार्ड में मरीज शिफ्ट होने न सिर्फ मरीज को राहत मिलेगी बल्कि मरीज के साथ मौजूद अटैंडैंट को भी आराम मिलेगा। डॉ. लाल ने कहा कि एमरजैंसी में कई बार इतनी भीड़ होती है कि पैर रखने की जगह भी कम पड़ती है। मरीज के साथ उनके अटैंडैंट भी होते हैं जो उनके साथ खड़े रहते हैं। यह हमारी छोटी-सी पहल है।
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