सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे प्राइवेट स्कूल, खुलकर उड़ा रहे नियमों की धज्जियां
punjabkesari.in Tuesday, Mar 21, 2023 - 02:11 PM (IST)

अमृतसर: पंजाब सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए जिले के अधिकतर प्राइवेट स्कूल धड़ल्ले से स्कूल में किताबे तथा यूनिफॉर्म बेच रहे है। प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण उक्त स्कूलों की मनमानियों के आगे अभिभावकों को विवश होकर प्रिंट रेट पर किताबें तथा यूनिफॉर्म खरीदनी पड़ रही है। प्राइवेट स्कूलों की कार्यशैली देखते हुए लग रहा है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभुगत से सारा गौरख धंधा चल रहा है। अभिभावकों द्वारा अधिकारियों को मौखिक शिकायत करने क बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है व आम आदमी पार्टी की सरकार इस स्कैंडल की रोकथाम के लिए कुंभकर्णी नींद सोई हुई है।
जानकारी के अनुसार सी.बी.एस.ई., आई.सी.आई.सी., पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड व अन्य बोर्डों से संबंधित स्कूलों में नया शैक्षणिक सैशन शुरू हो गया है। नए सैशन का लाभ लेते हुए जिले के अधिकतर स्कूल अभिभावकों की जेब पर ढाका डालते हुए अपने खजाने भर रहे हैं। शिक्षा के व्यापारीकरण में शिक्षा का स्तर नीचे हो रहा है तथा व्यापार अधिक हो रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों को पत्र जारी करके स्कूल कांपलैक्स में किताबें व यूनिफार्म बेचने पर पाबंदी लगाई गई है, परंतु इस सबके बावजूद विभाग के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए अधिकतर स्कूल किताबें व यूनिफार्म बेच रहे है। जिले के सी.बी.एस.ई. व आई.सी.आई.सी. से संबंधित अधिकतर स्कूल तो ऐसे है जो सरकार को भी आंखे दिखाते हैं तथा अपनी मनमानी करते हुए नियमों की धज्जियां भी उड़ाते हैं। अभिभावक ऐसे स्कूलों की मनमर्जी के कारण काफी परेशान है। फतेहगढ़ चूड़ियां रोड, लॉरैंस रोड, मजीठा रोड बाईपास, पंडोरी वड़ैच इत्यादि क्षेत्रों के पास स्कूल ऐसे हैं, जो स्कूल कॉम्पलैक्स में ही किताबे तथा यूनिफार्म बेच रहे हैं।
अभिभावक स्कूलों की मनमानियों के कारण न चाहते हुए भी उनसे किताबें व यूनिफार्म खरीद रहे है। अभिभावकों को कहना है कि यदि वह स्कूलों के कहते है कि वह बाहर से किताबें व यूनिफार्म खरीद लेंगे तो उनका जवाब होता है कि स्कूल से किताबें लो नहीं तो अपने बच्चों को हटा लें। अधिकतर अभिभावकों का कहना है कि वह डरते हैं कि स्कूल वाले उनके बच्चे का भविष्य खराब न कर दें, इसलिए उन्हें किताबे तथा यूनिफार्म खरीदनी पड़ रही है। इस संबंध में जब जिला शिक्षा अधिकारी से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने अपना फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।
अधिकारी बिना लिखती शिकायत के नहीं करते कार्रवाई
समाज सेवक जय गोपाल लाली ने बताया कि शहर में धड़ल्ले से किताबें व यूनिफार्म के नाम पर गौरख धंधा किया जा रहा है। उक्त धंधे के खिलाफ वह शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिलने भी गए हैं, लेकिन वह जी-20 के कारण अपने कार्यालय में मिलने नहीं। मोबाइल पर कई बार बातचीत हुई, परंतु अधिकारी बोलते है कि बात तो आपकी ठीक है, लेकिन लिखती शिकायत आने पर कार्रवाई करेंगे। लाली ने कहा कि अधिकारी को बोला कि आपको सब मालूम है, कहां पर कब क्या हो रहा है, आपके पास सारा अमला है फिर भी आप कार्रवाई क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि पीछा छुड़ाने के लिए अधिकारी ने कहा कि हम देखते है। उन्होंने कहा कि इस धंधे में शिक्षा के उच्चाधिकारी भी मिले है इसलिए वह कार्रवाई नहीं करते।
मान सरकार की कहनी तथा करनी में अंतर
उन्होंने बताया कि मान सरकार द्वारा सत्ता में आने से पहले कहा था कि शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जाएगा, परंतु सुधार करने की बजाए प्राइवेट स्कूलों की मनमानियां बढ़ गई हैं, वह अपने स्कूल काम्पलैक्स में यूनिफार्म तथा किताबे बेच कर अभिभावकों का शोषण कर रहे है। मान सरकार की कहनी व करनी में अंतर है। एक वर्ष हो गया है सरकार को सत्ता में आए, लेकिन किसी भी स्कूल पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे साबित होता है कि सरकार कहती तो बहुत कुछ है, लेकिन करती कुछ नहीं।
शिक्षा के नाम पर व्यापार कर रहे है अधिकतर स्कूल
स्कूलों की मान्यता लेने के लिए सरकार द्वारा कमेटियों को रजिस्टर किया जाता है, उसमें कमेटियों द्वारा कहा जाता है कि वह बिना स्वार्थ के शिक्षा का प्रसार करेंगे, परंतु अब हालात ऐसे पैदा हो गए है कि शिक्षा एक व्यापार बन गया है व व्यापार स्कूल कर रहे है, जबकि शिक्षा का प्रसार कम कर रहे है। कई स्कूलों की शिकायतें विभाग के पास जाती है, परंतु वह गोल हो जाती है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण शिक्षा का व्यापारीकरण हो रहा है तथा अभिभावकों का खून चूसा जा रहा है।
स्कूल बोले हमारी है अधिकारियों से सीधी बात, हमें किस चीज का डर
जिले के अधिकतर स्कूल तो ऐसे हैं, जो बोलते हैं कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों से सीधी बातचीत है, हम किसी से भी नहीं डरते। यह स्कूल आई.ए.एस. व आई.पी.एस. अधिकारी भी सम्पर्क में है, वह जब भी स्कूल में कोई फंक्शन होता है तो वह उक्त अधिकारियों को ही निमंत्रण देते है ताकि अभिभावकों पर दबाव बना रहे कि ऐसे अधिकारी उनके सम्पर्क में है। इन स्कूलों में यदि कोई गलती पकड़ी जाती है तो उस पर कार्रवाई करने की बजाए उसमें सुधार करवा दिया जाता है या गलती को अनदेखा कर दिया जाता है।
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