रोड रेज मामले में सिद्धू का आत्मसमर्पण, पटियाला जेल भेजे गए

punjabkesari.in Friday, May 20, 2022 - 10:24 PM (IST)

पटियाला, 20 मई (भाषा) कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने 1988 के ‘रोड रेज’ मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता एचपीएस वर्मा ने कहा, ‘‘उन्होंने (सिद्धू ने) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित मल्हान की अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया।’’
वर्मा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू के साथ अदालत पहुंचे थे।

सिद्धू (58) ने शाम चार बजे के बाद आत्मसमर्पण कर दिया और वहां से उन्हें अनिवार्य चिकित्सकीय जांच के लिए माता कौशल्या अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सा जांच के बाद उन्हें पटियाला केंद्रीय जेल भेज दिया गया।

नवतेज सिंह चीमा, अश्विनी सेखरी, हरदयाल सिंह कम्बोज और पीरमल सिंह तथा अपने समर्थकों के साथ सिद्धू अपने आवास से जिला अदालत तक गए।

चीमा, सिद्धू को टोयोटा लैंड क्रूजर कार से अदालत लेकर गए। सिद्धू ने नीले रंग का ‘पठानी सूट’ पहना हुआ था। शुक्रवार की सुबह कुछ समर्थक सिद्धू के आवास पर पहुंचे।

आत्मसमर्पण के लिए कुछ मोहलत की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाए जाने के तुरंत बाद सिद्धू ने आत्मसमर्पण कर दिया।

शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति जे. बी. परदीवाला की पीठ ने सिद्धू की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि इस मामले में फैसला एक विशेष पीठ द्वारा सुनाया गया था, इसलिए वह अर्जी दायर कर सकते हैं और प्रधान न्यायाधीश के समक्ष मामले का उल्लेख कर सकते हैं।

सिंघवी ने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश के समक्ष मामले का उल्लेख करने की कोशिश करेंगे।

गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया भी मादक पदार्थों से जुड़े मामले में इसी जेल में बंद हैं। मजीठिया अमृतसर-पूर्व से सिद्धू के खिलाफ हाल में हुए विधानसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन दोनों ही नेता चुनाव हार गए थे। इस सीट पर आम आदमी पार्टी की जीवनजोत कौर विजयी हुई थीं।

पटियाला में, सिद्धू के कुछ समर्थक शुक्रवार की सुबह उनके आवास पर जरूर पहुंचे, लेकिन प्रदेश कांग्रेस का कोई प्रमुख नेता उनके आवास पर या अदालत में उनके साथ नहीं दिखा।

हालांकि नवतेज चीमा ने इस बात को तवज्जो न देते हुए कहा कि सभी ने सिद्धू को अपना नैतिक समर्थन दिया है। चीमा ने यह भी कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी फोन करके अपना समर्थन जताया है। उन्होंने कहा, ‘‘सिद्धू जी वापस आएंगे और एक बार फिर चमकेंगे।’’
सिद्धू के कुछ समर्थकों ने कहा कि वे लोग कांग्रेस का ‘जीतेगा पंजाब’ अभियान जारी रखेंगे।

हालांकि कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख अमरिन्दर सिंह वाडिंग और वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने सोशल मीडिया पर सिद्धू के पक्ष में अपना समर्थन प्रदर्शित किया। दोनों ने ट्वीट करके कहा कि वे उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करने के साथ ही सिद्धू और उनके परिवार के साथ खड़े हैं।

कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने पहले कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि सिद्धू को एक साल जेल की सजा का शीर्ष अदालत का फैसला पार्टी के लिए झटका है। उन्होंने कहा था कि पीड़ित परिवार को इस मामले में न्याय मिला है।

यहां अदालत के बाहर, सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर दल्ला ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष की दो से तीन सर्जरी हो चुकी हैं और वह एम्बोलिज्म जैसी चिकित्सा स्थितियों से पीड़ित हैं तथा उन्हें लीवर की बीमारी है। उन्होंने कहा कि सिद्धू को कुछ दवाएं लेने की जरूरत है और ऐसे आहार से बचना है, जिसमें गेहूं का आटा हो।

वर्ष 2015 में, सिद्धू ने दिल्ली के एक अस्पताल में एक्यूट डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (डीवीटी) का भी इलाज कराया था। डीवीटी नामक बीमारी नस में रक्त के थक्के के कारण होती है जो सामान्य रक्त प्रवाह में बाधा डालती है।

दल्ला ने कहा कि सिद्धू को पैरों पर एक बड़ा प्लास्टिक बैंड पहनना पड़ता है, ताकि पैरों में रक्त का थक्का न बने। उन्होंने कहा, ‘‘उनका (सिद्धू का) मेडिकल रिकॉर्ड है, वह कई दवाएं ले रहे हैं। ये हमारी चिंताएं हैं।’’
क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू भी बृहस्पतिवार की रात पटियाला स्थित आवास पर पहुंच गई थीं।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को 34 साल पुराने ‘रोड रेज’ मामले में सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और कहा था कि अपर्याप्त सजा देकर किसी भी तरह की ‘‘अनुचित सहानुभूति’’ से न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान होगा तथा इससे कानून पर जनता का भरोसा कम होगा।

‘रोड रेज’ की घटना में 65 वर्षीय बुजुर्ग गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। न्यायालय के फैसले के बाद जब पत्रकारों ने सिद्धू से इस पर प्रतिक्रिया मांगी थी तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था।

हालांकि, शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सिद्धू ने ट्वीट करके कहा था कि वह ‘‘कानून के समक्ष आत्मसमर्पण करेंगे।’’
यद्यपि शीर्ष अदालत ने मई 2018 में सिद्धू को ‘जान-बूझकर चोट पहुंचाने’ के अपराध का दोषी माना था, लेकिन जेल की सजा देने के बजाय केवल एक हजार रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने गुरनाम सिंह के परिवार की पुनर्विचार याचिका बृहस्पतिवार को स्वीकार कर ली थी और सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।

पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था, ‘‘...हमें लगता है कि रिकॉर्ड में एक त्रुटि स्पष्ट है.... इसलिए, हमने सजा के मुद्दे पर पुनर्विचार आवेदन को स्वीकार किया है। लगाए गए जुर्माने के अलावा, हम एक साल के कठोर कारावास की सजा देना उचित समझते हैं।’’
भाजपा के पूर्व सांसद सिद्धू ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया था। राज्य में 2022 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले, सिद्धू तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ उलझ गए थे। अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से अपदस्थ कर दिया गया था और सिद्धू को पार्टी का अध्यक्ष पद सौंपा गया था।

सिद्धू और हाल ही में भाजपा में शामिल होने वाले दिग्गज नेता सुनील जाखड़ की नजर राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थी, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था।

सिद्धू ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 2004 में भाजपा के टिकट पर अमृतसर से लोकसभा का चुनाव लड़कर की थी, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता आर. एल. भाटिया को शिकस्त दी थी।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News

Related News