पंजाब में आयुष्मान कार्ड से लोगों का रुका इलाज, अस्पतालों ने खड़े किए हाथ, जानें पूरा मामला
punjabkesari.in Wednesday, Sep 18, 2024 - 09:18 PM (IST)
लुधियाना (सहगल) : पंजाब में आयुष्मान भारत योजना के तहत लोगों का अस्पताल में मुफ्त उपचार निजी अस्पतालों ने रोक दिया है और सरकार से अपने पैसे न मिलने पर अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए उक्त योजना के तहत उपचार करने से साफ मना कर दिया है। आज स्थानीय होटल में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में पंजाब हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारी ने कहा कि पिछले 6 महीने से उनके सरकार के प्रति 650 करोड़ रुपए की बकाया राशि खड़ी हो गई है और अब पैसों के अभाव में लोगों का आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग के अनुसार स्टेट हेल्थ एजेंसी द्वारा 15 दिन के भीतर अस्पताल को बिल की पेमेंट करनी होती है जबकि पिछले 6 महीना में 1 से 2 प्रतिशत बकाया बिलों का भुगतान किया गया है।
संगठन के प्रधान डॉक्टर विकास छाबड़ा तथा सचिव डॉ. दिव्यांशु गुप्ता ने कहा राज्य में आयुष्मान भारत योजना के तहत लगभग 500 अस्पताल सरकार के पैनल पर है। इन सभी अस्पतालों में अब इस योजना के तहत उपचार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पैसों के अभाव में कई अस्पताल दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गए हैं और बिलों का भुगतान न होने की हालत में उनके पास न तो दवाइयां, न अपने स्टाफ को सैलरी देने और न ही बाजार से इंप्लांट खरीद कर मरीज को डालने के पैसे बचे हैं। ऐसे में उनकी मजबूरी है कि उपचार को बंद कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि इसी बीच में कई बार इस योजना से जुड़े अधिकारियों से मिल चुके हैं सैकड़ो ईमेल डाल चुके हैं और 2 बार 7 अगस्त तथा 30 अगस्त को स्वास्थ्य मंत्री से मिल चुके हैं, परंतु उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। अकेले लुधियाना में ही इस योजना के तहत पैनल पर 70 के करीब अस्पताल काम कर रहे हैं और कई अस्पतालों का बकाया एक करोड़ से ऊपर हो चुका है।
कैसे बिगड़े हालात
पंजाब हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारी का कहना है कि शुरू में इस योजना के तहत 13 लाख परिवारों को शामिल किया गया था जो नीले कार्ड की कैटेगरी में आते थे। इसके बाद 29 लाख परिवारों को और शामिल कर लिया गया जिससे हालत बिगड़ने शुरू हो गए और बकाया राशि सरकार के खाते में पेंडिंग रहने लगी। उन्होंने कहा कि उन्हें अब सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी का बहाना बनाकर टाला जाता है, परंतु मरीजों की आमद जारी है। जब से उनसे पूछा गया कि उपचार से मना करने पर क्या सरकार उन पर कानूनी कार्रवाई कर सकती है तो उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने अनुबंध की शर्तें पुरी नहीं की ऐसे में उन पर कानूनी कार्रवाई कैसे की जा सकती है। अगर दूसरे शब्दों में कहे तो लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है निजी अस्पतालों की नहीं।
मरीजों की बढ़ेगी मुश्किलें
निजि अस्पतालों द्वारा आयुष्मान योजना के तहत उपचार बंद करने के बाद मरीजों की मुश्किलें बढ़ाने के आसार पैदा हो गए हैं। ऐसे में इस योजना के तहत उपचार कराने वालों में मोतियाबिंद की सर्जरी, गाल ब्लैडर स्टोन, घुटनों का प्रत्यारोपण, हृदय रोगों का उपचार सहित स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट उपचार लोगों को नहीं मिल पाएंगे क्योंकि इन रोगों का उपचार सरकारी अस्पतालों में नहीं होता।
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